“विनाश काले विपरीत बुद्धि” रावण के अभिमान के कारण हुआ लंका दहन, श्री धार्मिक रामलीला द्वारा अद्भुत मंचन

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (24 अक्टूबर 2023): श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वाधान में गोस्वामी सुशील जी महाराज के दिशा निर्देशन में रामलीला का मंचन राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। रामलीला मैदान ऐच्छर पाई सेक्टर में मंगलवार, 23 अक्टूबर के मंचन में मुख्य अतिथि के०पी० मलिक (राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार) रहे।

मंगलवार की लीला में जब लंका की अशोक वाटिका को बजरंगबली तहस-नहस करने लगते हैं तथा रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर देते हैं तब मेघनाथ बजरंगबली पर ब्रह्मास्त्र का प्रहार कर देता है। बजरंगबली ब्रह्मास्त्र का सम्मान करते हैं और उसके बंधन में अपने आप को बधने देते हैं और रावण के सामने प्रस्तुत हो जाते हैं। विभीषण के कहने पर रावण बजरंगबली को मृत्यु दण्ड न देकर उनकी पूंछ में आग लगाने का आदेश देता है। बजरंगबली अपनी पूंछ इतनी बड़ी करने लगते हैं कि पूरे लंका के वस्त्र उनकी पूंछ में लपेट दिये जाते हैं और उसमें आग लगा दी जाती है। बजरंगबली अपनी पूछ के माध्यम से पूरी लंका में इधर-उधर घूमते रहते हैं, विभीषण का निवास छोड़कर बाकी पूरी लंका को जलाकर भस्म कर देते हैं। इस लीला के माध्यम से बजरंगबली रावण को भगवान श्री राम की ताकत से परिचय कराते हैं। और इस लीला से भगवान श्री राम बजरंगबली के माध्यम से यह शिक्षा देना चाहते हैं कि अगर आप अपने अभिमान में आकर पाप करने से भी नहीं डरेंगे, स्त्री का अपमान करेंगे तो आपके जीवन में कमाया हुआ सारा ऐश्वर्य और धन संपदा एक तिनके की सामान जलकर भस्म हो जाएगा। बजरंगबली के वापस आने पर भगवान श्री राम नल नील के साथ अपनी पूरी सेना के साथ पूरे समुद्र पर पुल बनाते हैं। पूरी सेना लेकर लंका पहुंच जाते हैं लेकिन एक मौका सभी लोग चाहते हैं कि रावण को और देना चाहिए और अंगद दूत बनकर जाते हैं। कहते हैं ना कि “विनाश काले विपरीत बुद्धि” लाख समझाने पर जब रावण समझने के लिए तैयार नहीं होता है तो एक बार और भगवान की ताकत का परिचय करने के लिए अंगद अपना पैर जमीन पर रखकर कहते हैं कि अगर कोई भी मेरे पैर को इस पृथ्वी से उठा दिया तो भगवान श्री राम अपनी पूरी सेना लेकर वापस लौट जाएंगे पूरी लंका के बड़े-बड़े शूरवीर अंगद के पैर को हिला तक नहीं पाते। रावण के आने पर अंगद कहते हैं कि रावण तुम्हें मेरा पैर पकड़ने की जगह स्वयं भगवान श्री राम का पैर पकड़ चाहिए। बातचीत की सारी संभावनाएं समाप्त हो जाती है और दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने युद्ध के लिए तत्पर होती हैं। फिर दुनिया के सबसे बड़े ज्ञानियों में से एक महा ज्ञानी परंतु महा अभिमानी और महा पापी रावण के अंत का प्रारंभ होता है असत्य पर सत्य की विजय का प्रारंभ होता है।। जय श्री राम।

सभी भक्तों ने आज की सभी कथाओं का भरपूर आनंद लिया और सब ने भगवान श्री राम का पूरे परिसर में जयकारा लगाकर पूरे परिषद को श्री राम मय कर धन्य कर दिया। जय श्री राम।।

इस अवसर पर संस्था के संस्थापक गोस्वामी सुशील महाराज, राजकुमार नागर, शेर सिंह भाटी, संरक्षक हरवीर मावी, प्रदीप शर्मा, बालकिशन सफ़ीपुर, सुशील नागर आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।।

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