फाउंडर्स ने गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाया और समाज के लिए बड़े-बड़े काम किए : डॉक्टर एच चतुर्वेदी , DIRECTOR BIMTECH

टेन न्यूज़ नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (02 अक्टूबर, 2023): बिमटेक के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर भव्य आयोजन किया। यह आयोजन और भी खास इसलिए है क्योंकि गांधी जयंती पर बिमटेक द्वारा खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर एवं सर्व धर्म प्रार्थनाओं के साथ हुई। इसके पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम की संचालिका डॉक्टर रीति कुलश्रेष्ठ के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ महात्मा गांधी के प्रिय भजन का आनंद लिया ।

BIMTECH के निदेशक डॉ एच चतुर्वेदी द्वारा स्वागत वक्तव्य देकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया ल। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में गूंज सामाजिक संस्था के संस्थापक अंशु गुप्ता ने साझा किए समाजसेवा के मूलमंत्र ।

डॉ एच चतुर्वेदी ने टेन न्यूज से खास बातचीत में कहा कि हमारे यहां पिछले 15 वर्षों से बिजनेस के नाम से एक कोर्स पढ़ाया जाता है। आज के कार्यक्रम की मंच संचालन कर रही रितिका कुलश्रेष्ठ उन फैकल्टी में से एक है, जो रिस्पांसिबल बिजनेस को पढ़ाती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के इश्यूज पर भी पिछले वर्ष हमने एक कोर्स शुरू किया। जिसका नाम है सस्टेनेबिलिटी एंड क्लाइमेट रिस्क। यह कोर्स फ्रांस की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के द्वारा तैयार किया गया है। यूरोप की बड़ी प्रबंधन संस्थानों में यह पढ़ाया जाता है। जब पिछले वर्ष उन्होंने यह कोर्स हमें ऑफर किया तो BIMTECH ने पिछले वर्ष इस कोर्स को शुरू किया। क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थियों की सस्टेनेबिलिटी और ग्लोबल वार्मिंग पर एक समझ विकसित हो। तो जब वह कंपनियों में काम करें तो वह यह अवश्य ध्यान रखें कि उनके डिसीजन से सस्टेनेबिलिटी और ग्लोबल वार्मिंग पर कोई असर न पड़े और जो जिम्मेदारी प्रबंधकों की होती है उसका निर्वाह कर सकें। हमारे दो फाउंडेशन भी सामाजिक दृष्टि से कार्य कर रहे हैं जिनके नाम BIMTECH फाउंडेशन और रंगनाथन सोसाइटी है। इनके माध्यम से भी हम विद्यार्थियों में सामाजिक मूल्य को बढ़ावा देते हैं। हम परी चौक मेट्रो स्टेशन के पास एक बिमटेक विद्या केंद्र के नाम से एक स्कूल पिछले 6 वर्षों से चला रहे हैं। यह एक फॉर्मल स्कूल नहीं बल्कि इनफॉर्मल स्कूल है। यहां पर चार विषय पढ़ाए जाते हैं जो विद्यार्थी गरीब बस्तियों में रहते हैं उनके लिए मैथमेटिक्स, कंप्यूटर साइंस और इंग्लिश आदि विषयों में पढ़ाई करवाई जाती है। जिन विषय में बच्चा कमजोर होता है उसे हम पढ़ाते हैं और यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस किताबें BIMTECH विद्या केंद्र में प्रोवाइड की जाती हैं। और गरीब महिलाओं को भी बुनाई कढ़ाई का कार्य BIMTECH के द्वारा सिखाया जा रहा है। इसके लिए हमें सिलाई मशीन कंपनी का सहयोग भी मिल रहा है।

जिस तरह से हमारे फाउंडर्स ने गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाया और समाज के लिए बड़े-बड़े काम किए। आप देश में कहीं भी जाइए तो आपको बिरला मंदिर और बिरला स्कूल मिलेंगे और दिल्ली के सबसे पुराने मंदिरों में बिरला मंदिर को जाना जाता है। वह भी हमारे संस्थापकों ने स्थापित किया, जिसका उद्घाटन 1920 में महात्मा गांधी ने किया।

BIMTECH के अंतर्गत व्यक्तिवादी तरीके से कार्य नहीं किया जाता है। एक सामूहिकता की संस्कृति यहां पर विकसित की जाती है क्योंकि हमें हर व्यक्ति के सहयोग की आवश्यकता होती है। चाहे वह माली, इलेक्ट्रीशियन और कूकस आदि हैं। हमारे संस्थान में प्राध्यापक और डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारी और सहायक कर्मचारी जिनसे कांट्रेक्चुअल के थ्रू हम उनकी सेवाएं लेते हैं और उन्हें गवर्नमेंट एक्ट के अनुसार पे भी किया जाता है, और जो उन गतिविधियों से संबंधित कर्मचारी हैं जिनकी उपस्थिति यहां 24 घंटे जरूरी होती है उन्हें कैंपस में ही रखा जाता है।

गौतमबुद्ध नगर में महात्मा गांधी की मूर्ति के विषय में वह कहते हैं कि राजनीतिज्ञों की मूर्तियों यहां पर बहुत लगी हुई है। और उस पर सैकड़ो करोड़ों रुपए खर्च भी हुए हैं। कई मूर्तिकार हैं जिनके में नाम नहीं लेना चाहूंगा। उन्होने सैकड़ो करोड़ सरकारों से कमाए और उनके राजनेताओं की मूर्तियां लगवाई गई लेकिन महात्मा गांधी की यदि कोई तस्वीर गौतमबुद्ध नगर में है, तो वह BIMTECH में है। एक प्रकरण का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि हमने यहां के स्थानीय मूर्तिकारों से गांधी जी की मूर्ति के लिए बात की, तो वह बहुत ऊंची कीमतें मूर्ति बनाने के लिए लगा रहे थे। इसीलिए उड़ीसा के प्रसिद्ध मूर्तिकार ने यह मूर्ति बनाई जो आज BIMTECH के संस्थान के अंतर्गत विराजमान है और उन्होंने हमसे इसके लिए ज्यादा कीमत भी नहीं मांगी। यह मूर्ति 5 वर्ष पहले अरुण मायरा, जो नीति आयोग के सदस्य भी रहे हैं और बहुत बड़े अर्थशास्त्री हैं, उनके द्वारा स्थापित की गई।

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