टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा, 21 नवंबर 2024
ग्रेटर नोएडा स्थित प्रतिष्ठित जीएल बजाज संस्थान ने अपनी स्थापना के 20 गौरवशाली वर्षों का भव्य उत्सव मनाया। यह अवसर संस्थान की शिक्षा, नवाचार, और सामाजिक उत्थान के प्रति समर्पण को समर्पित था। इस ऐतिहासिक दिन पर समारोह के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि, प्रेरक वक्ता, और राम कथा मर्मज्ञ डॉ. कुमार विश्वास रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन से हुई। संस्थान के वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने स्वागत भाषण में संस्थान की अब तक की उपलब्धियों और उसकी यात्रा का विवरण दिया। उन्होंने छात्रों, शिक्षकों, और कर्मचारियों के योगदान को सराहते हुए कहा, “जीएल बजाज ने पिछले दो दशकों में शिक्षा और नैतिक मूल्यों का आदर्श प्रस्तुत किया है। हमारी सफलता का आधार छात्रों और शिक्षकों का समर्पण है, और हम आने वाले वर्षों में इसे और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
डॉ. कुमार विश्वास ने जीएल बजाज संस्थान के 20 वर्षों की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान छात्रों को सिर्फ शैक्षणिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि नैतिकता और मूल्यों का पाठ भी सिखा रहा है। उन्होंने कहा,
“किसी संस्थान के बच्चों को पहली बार इतना शालीन देखा है। पहली मुलाकात में अगर नजदीकी महसूस होती है, तो यह संस्कारों का प्रतीक है।” उन्होंने मध्यम वर्गीय युवाओं के संघर्ष और उनकी उम्मीदों पर बात की। उन्होंने कहा कि इस वर्ग के बच्चे अक्सर अपने सपनों को लेकर असमंजस में रहते हैं। “मध्यम वर्ग के बच्चों को लगता है कि क्या वे इस मुकाम तक पहुंच सकते हैं। लेकिन याद रखें, नियत और चरित्र से ही रास्ता बनता है।” उन्होंने युवाओं को अपनी नियत और चरित्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया और कहा कि यही सफलता की असली कुंजी है।
सफलता के वास्तविक अर्थ को समझाते हुए कहा, “सफलता का मतलब सिर्फ पद या धन नहीं है। यह आपके चरित्र और नियत पर निर्भर करता है। हमें रोज रात यह सोचना चाहिए कि हम क्या बनना चाहते हैं और क्या बन रहे हैं।” उन्होंने उदाहरण दिया कि जैसे यूरेनियम अपनी मजबूती से पहचाना जाता है, वैसे ही इंसान को भी अपने चरित्र और नियत से पहचाना जाना चाहिए।
डॉ. विश्वास ने भारतीय संस्कृति और प्राचीन ग्रंथों की महत्ता को समझाया। उन्होंने कहा, “हमारी सांस्कृतिक धरोहर सिर्फ इतिहास नहीं है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य को दिशा देने वाले प्रकाश स्तंभ हैं। रामायण सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह जीवन जीने की कला सिखाती है।” उन्होंने युवाओं से अपनी संस्कृति और परंपराओं से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
डॉक्टर कुमार ने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए असफलता के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, “मैंने जीवन में कई बार असफलता का सामना किया है, इंजीनियरिंग में, राजनीति में। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। असफलता से कभी डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे सीखने और आगे बढ़ने का माध्यम बनाना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में असफलता को गहराई से देखने की बजाय उसे एक प्रक्रिया मानें। “तुम्हारी असफलता तुम्हें सफलता की ओर ले जा सकती है। भगवान ने तुम्हारे लिए कुछ बेहतर सोच रखा है।”
आज के युवाओं की जीवनशैली पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “आज के युवा वर्चुअल जीवन में जी रहे हैं। वे सोशल मीडिया पर अपनी छवि बनाने में लगे रहते हैं, लेकिन यह वास्तविकता नहीं है। तुम्हें अपने जीवन को वास्तविक और सार्थक बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्चुअल दुनिया में पहचान बनाना आसान है, लेकिन असली सफलता वह है जो आपके परिवार, समाज और खुद के लिए सकारात्मक योगदान दे। डॉ. विश्वास ने एक कहानी सुनाई जिसमें एक आदमी ने मंदिर जाते समय अपने घोड़े को एक बच्चे को सौंप दिया। बच्चे ने घोड़े की जिन उतारकर उसे बाजार में बेच दिया। “इस कहानी से यह समझ आता है कि इरादे और चरित्र कितने महत्वपूर्ण हैं। हमारी नियत हमें सही दिशा में ले जाती है।”
डॉ. विश्वास ने युवाओं को खुद पर विश्वास करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “जब मैंने कवि सम्मेलन शुरू किया था, लोग मुझसे पूछते थे कि मैं किस कवि जैसा बनना चाहता हूं। मैंने कहा कि मुझे किसी के जैसा नहीं बनना है। मुझे खुद ‘कुमार विश्वास’ बनना है। तुम भी किसी के जैसे बनने की कोशिश मत करो। खुद को बेहतरीन इंसान बनाओ।” “तुम्हें अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए खुद पर विश्वास करना होगा। अगर तुम अपने सपनों पर काम नहीं करोगे, तो उन्हें कोई और साकार नहीं करेगा।” शिक्षा और चरित्र के बीच संबंध पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “शिक्षा सिर्फ धार है, लेकिन व्यक्ति की आत्मा और चरित्र चाकू है। धार केवल सहायक है। अगर धार सही दिशा में इस्तेमाल नहीं की जाए, तो यह नुकसान पहुंचा सकती है।”
डॉ. विश्वास ने युवाओं को जीवन में कड़ी मेहनत और धैर्य का महत्व समझाया। उन्होंने कहा, “जिंदगी सिर्फ 100 या 90 साल का सफर नहीं है। यह एक लंबा सफर है। तुम्हें अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए समय देना होगा। असली सफलता वह है जो समाज और परिवार के लिए सकारात्मक बदलाव लाए।”
अपने संबोधन के आखिरी में उन्होंने कहा कि, “तुम्हारी मस्ती तुम्हारी हस्ती को जिंदा रखती है। हमेशा मुस्कुराते रहो और सकारात्मक रहो। जीवन में हर छोटी-बड़ी चुनौती से सीखो और आगे बढ़ो।” उन्होंने अपने वक्तव्य को सामूहिकता की भावना के साथ विराम देते हुए कहा, “एक साथ आना शुरुआत है, एक साथ रहना उन्नति है, और एक साथ काम करना सफलता है।”
डॉ. कुमार विश्वास ने युवाओं को अपने जीवन के हर पहलू में सृजनशीलता, धैर्य, और आत्मविश्वास बनाए रखने का आह्वान किया। उनके विचार न केवल प्रेरक थे, बल्कि छात्रों के भीतर एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करने वाले थे।।