ईशान एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में 22वें यजुर्वेद पारायण महायज्ञ का सफल समापन

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (30 नवंबर 2024): ईशान एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन, ग्रेटर नोएडा में आयोजित 22वें यजुर्वेद पारायण महायज्ञ का आज 30 नवंबर को सफल समापन हुआ। यह महायज्ञ 26 नवंबर से 30 नवंबर तक वैदिक गुरुकुल, राजस्थान के तत्वावधान में संपन्न हुआ। महायज्ञ के मार्गदर्शक के रूप में पद्मश्री डॉ. सुकामा आचार्य, प्राचार्य विश्ववारा कन्या गुरुकुल, रुड़की उपस्थित रहे।

भारतीय संस्कृति और गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास

महायज्ञ के समापन पर ईशान ग्रुप के चेयरमैन डॉ. डी.के. गर्ग ने टेन न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत के दौरान भारतीय संस्कृति और गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “गुरुकुल का नाम बदलने और हमारी परंपराओं को पीछे छोड़ने से भारतीय संस्कृति कमजोर हुई है। आज परिवारों में भी रिश्ते खत्म होते जा रहे हैं। इस महायज्ञ का उद्देश्य गुरु-शिष्य, पिता-पुत्र, और परिवार के अन्य संबंधों को फिर से सशक्त करना है।”

डॉ. गर्ग ने बताया कि पिछले 22 वर्षों से ईशान संस्थान इस महायज्ञ का आयोजन कर रहा है। इस बार महायज्ञ में 19125 मंत्रों का पाठ किया गया और पांच हवन कुंड स्थापित किए गए, जहां आठ आहुति एक साथ डाली गईं। गाय के शुद्ध घी का उपयोग करते हुए वैदिक विधि से यज्ञ संपन्न हुआ। महायज्ञ में ईशान इंस्टीट्यूशन के 400 मेडिकल छात्र-छात्राओं ने सक्रिय भागीदारी की।

यज्ञ से भारतीय संस्कृति की जागृति

महायज्ञ के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. गर्ग ने कहा, “भारतीय संस्कृति को अगर एक शब्द में समझाना हो तो वह यज्ञ है। यज्ञ केवल अग्निहोत्र नहीं, बल्कि समाज और विश्व कल्याण के लिए किया गया परमार्थ कार्य है। यह हमारी संस्कृति का केंद्र है और वेदों के बिना यज्ञ और यज्ञ के बिना वेद अधूरे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारा उद्देश्य हर घर में यज्ञ की परंपरा को बढ़ावा देना है ताकि भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान हो सके। यज्ञ केवल धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि व्यक्ति के शुद्धिकरण और समाज कल्याण का माध्यम है। यह बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक प्रयास है।”

महायज्ञ के लाभ और विश्व कल्याण का संदेश

डॉ. गर्ग ने कहा कि यज्ञ भगवान को प्रसन्न करने और पूरे विश्व का कल्याण करने का सर्वोत्तम माध्यम है। यज्ञ से न केवल पर्यावरण शुद्ध होता है, बल्कि यह समाज में सकारात्मकता का भी संचार करता है।

महायज्ञ के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार और वैदिक विधियों से आयोजित हवन ने उपस्थित जनसमुदाय को भारतीय परंपराओं की गहराई से जोड़ दिया।

महायज्ञ के समापन पर डॉ. गर्ग ने इस प्रयास को आगे बढ़ाने और समाज में वेदों व यज्ञ की महिमा को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हर घर में वेद की वाणी गूंजे और यज्ञ की ज्योति जले, यही हमारा प्रयास है। यह महायज्ञ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, जो हमारी संस्कृति और विरासत को सजीव रखेगी।”

इस प्रकार, पांच दिवसीय 22वां यजुर्वेद पारायण महायज्ञ भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का सशक्त उदाहरण बनकर समाप्त हुआ।।


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