नोएडा प्राधिकरण के नकारात्मक रवैया से परेशान हैं उद्योगपति, सीएम को सौंपा ज्ञापन

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (13 सितंबर 2022): उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौतमबुद्ध नगर के दो दिवसीय दौरे पर थे जहां उन्होंने वर्ल्ड डेयरी सम्मिट 2022 में भाग लिया और साथ ही साथ गौतमबुद्ध नगर जनपद में चल रहे सभी विकास कार्यों का जायजा लिया। आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने जेवर एयरपोर्ट समेत सभी विकास कार्यों की समीक्षा की।

इस बाबत नोएडा एंट्रेप्रिनियोर्स एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन सौंपा गया, ज्ञापन में संस्था के सदस्यों ने मुख्यमंत्री का नोएडा में स्वागत करते हुए उद्योग क्षेत्र से जुड़ी कई समस्याओं से अवगत कराया है। ज्ञापन में कहा गया है कि “उद्योग के प्रति सरकार का काफी सकारात्मक रवैया है परंतु अधिकारियों द्वारा जो नीति बनाई जाती है उसमें उद्योगों के प्रति काफी नकारात्मक रवैया अपनाया जा रहा है। किसी भी प्रा. लि कंपनी के 1 प्रतिशत शेयर भी बदले जाने पर भी नोएडा प्राधिकरण उसका चार्ज लेता है और स्टांप विभाग भी उसका चार्ज लेता है। जबकि भारत सरकार के कंपनी निगमित मामलों के नियमों के अनुसार यदि किसी कंपनी के शेयर होल्डर बदलते रहते हैं तब भी उस कंपनी की संरचना पर कोई असर नहीं होता है। कंपनी एकबार ही बनाई जाती है जिसमें आवश्यकता अनुसार शेयर होल्डर बदलते रहते हैं।”

ज्ञापन में आगे कहा गया है कि ” आश्चर्य की बात है कि आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण में अगर किसी क्षेत्र में उद्योग लगाना है तो इन प्राधिकरणों द्वारा जो संपत्तियां लीज पर दी जाती है उसपर बोली लगाने का प्रावधान कर दिया गया है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इन अधिकारियों द्वारा यहां पर उद्योग लगाने से इतर जमीन से पैसा कमाने की इच्छा है। किसी भी अन्य जगह पर उद्योग लगाने के लिए हमेशा सरकार ऐसी जमीन देती है जहां पर कम से कम पैसा जमीन पर लगे और उद्योगपति का पूरा ध्यान उद्योग में निवेश पर रहे, यदि जमीन में ही सारा पैसा लग जाएगा तो उद्योग का चलाएगा।”

अपनी समस्याओं को बताते हुए उद्योगपतियों ने आगे कहा कि” नोएडा प्राधिकरण की जितनी भी संपति है वह सब लीज पर है, और जब कोई उद्योगपति उस जमीन को लेता है तो 90 वर्षों के लीज पर लेता है, किसी कारण से जब उद्योग चलाने में असफल हो जाते है तो हम( उद्योगपति) उस भूखंड/ बिल्डिंग को किराए पर लगाकर अपनी जीविका चलाते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि किराएदार रखने पर भी नोएडा प्राधिकरण द्वारा 300 वार्गमीटर रेंट परमिशन चार्ज की गणना कर किराया अनुबंध शुरू कर दिया है।”

साथ ही उद्योगपतियों ने अपने ज्ञापन में यह आग्रह किया है कि” जब औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक संगठन बने हुए हैं तो कोई भी नई नीति लाने से पहले प्राधिकरण को इन औद्योगिक संगठनों से विमर्श कर लिया जाए, ताकि भविष्य में उद्योग के दृष्टिकोण से नीति अनुकूलित रहे। बंद कमरे में एसी में बैठकर यदि अधिकारी अपने विवेक से नीति बनाकर पास कर देंगे और भविष्य में उन नीतियों से उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?

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