आई.टी.एस. इंजीनियरिंग कॉलेज के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग एवं संबद्ध शाखाओं विभाग ने “स्पर्श” नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें छात्रों और संकायों ने संगीत, नृत्य, कविता, वाद-विवाद, निबंध लेखन प्रतियोगिता और नुक्कड़ नाटक जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन और माँ सरस्वती वंदना से हुई, जिसे प्रो. (डॉ.) मयंक गर्ग, निदेशक, आई.टी.एस.ई.सी., डॉ. विष्णु शर्मा, डीन, सी.एस.ई. एवं संबद्ध शाखाएं, और डॉ. जया सिन्हा, एच.ओ.डी., सी.एस.ई.-ए.आई.एम.एल. एवं डी.एस. ने मिलकर संपन्न किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की शुभारंभ की घोषणा करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया गया।
इसके बाद डॉ. मयंक गर्ग और डॉ. विष्णु शर्मा ने छात्रों को प्रेरित करते हुए अपने संबोधन में ऐसे कार्यक्रमों के महत्व को उजागर किया, जो छात्रों में रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देते हैं। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्रों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने, रचनात्मकता का जश्न मनाने और कला के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है।
कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण:
• संगीतमय कार्यक्रम: छात्रों ने संगीत के विभिन्न रूपों में प्रदर्शन किया, जिसमें आत्मा को छूने वाली वाद्ययंत्र प्रस्तुतियाँ और जीवंत समूह प्रदर्शन शामिल थे। इसके बाद कॉलेज के गायक समूह द्वारा प्रस्तुत गीतों का संगम ने दर्शकों के दिलों को छुआ।
• नाटक और नाटिकाएँ: नाटक क्लब ने समाजिक मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित छोटे नाटक और स्किट्स प्रस्तुत किए, जिन्होंने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
कार्यक्रम के समापन पर हर्षिता, सहायक प्रोफेसर (CSE) और कार्यक्रम संयोजिका ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने आई.टी.एस. इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन का आभार व्यक्त किया और प्रोफ. (डॉ.) मयंक गर्ग, डॉ. विष्णु शर्मा, डॉ. जया सिन्हा, मनीक चंद्र पांडे, दीप्ति जायसवाल, लकी शर्मा, तनमयी तिलकर और छात्र समन्वयक अनुभव त्रिपाठी, आयुष श्रीवास्तव, अनिकेत आनंद, अनुष्का त्यागी, उत्कर्ष जोशी, अग्रिम ध्यानी और पूनम सिंह के योगदान और मेहनत की सराहना की। उनके परिश्रम और योजनाबद्ध प्रयासों के कारण ही इस सांस्कृतिक कार्यक्रम की सफलता संभव हो पाई।
कुल मिलाकर, स्पर्श एक शानदार सांस्कृतिक उत्सव था, जो छात्रों की प्रतिभा, सामुदायिक भावना और कला की शक्ति को मनाने का एक अद्भुत अवसर बना।