बिमटेक स्थापना दिवस समारोह में गूंज सामाजिक संस्था के संस्थापक अंशु गुप्ता ने साझा किए समाजसेवा के मूलमंत्र

टेन न्यूज़ नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (02 अक्टूबर, 2023): BIMTECH के द्वारा 36वें स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। यह आयोजन इसलिए भी खास है क्योंकि देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिवस के अवसर पर BIMTECH के द्वारा स्थापना दिवस मनाया जाता है। स्थापना दिवस के कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सर्व धर्म और पंथों की प्रार्थनाओं के साथ की गई। इसके पश्चात सभी डिग्निटरीज का वेलकम कार्यक्रम की संचालिका डॉक्टर रीति कुलश्रेष्ठ के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में वैष्णव जन तो तेने कहिये महात्मा गांधी के प्रिय भजन गाया ।

BIMTECH के डायरेक्टर डॉ एच चतुर्वेदी द्वारा स्वागत वक्तव्य देकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में गूंज के फाउंडर अंशु गुप्ता रहे।

बिमटेक के निदेशक डॉ एच चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज महात्मा गांधी के जन्म दिवस की 154वीं वर्षगांठ है, और BIMTECH का 36वाँ स्थापना दिवस है। BIMTECH ने साल 1988 में बिरला विद्या निकेतन स्कूल के द्वारा शिक्षण जगत में अपना कदम रखा। आज यहां पर जितने भी विद्यार्थी हैं या यहां से पास आउट हुए विद्यार्थी हैं और जो भी BIMTECH का हिस्सा रहे हैं उन सभी को शुभकामनाएं। उन्होंने बताया कि किस तरह से घनश्याम दास बिरला जी महात्मा गांधी के द्वारा किए गए सभी कार्यों से प्रेरित थे और उनके आदर्शो को बहुत मानते थे।

डॉ एच चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में महात्मा गांधी के सिद्धांतों की बात की और बापू ने पूरे जीवन में जिन 11 व्रत सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्वाद, अस्तेय, अपरिग्रह, अभय, छुआछूत निवारण, सर्व धर्म समानत्व और स्वदेशी का पालन किया, उनको सभी को जीवन में अपने की बात कही। अल्बर्ट आइंस्टीन ने जो शब्द महात्मा गांधी के लिए कहे थे उन्हें दोहराते हुए कहा कि “Generations to come, it may well be, will scarce believe that such a man as this one ever in flesh and blood walked upon this Earth. अर्थात भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे जो बातें कही वो अपने आप में बड़ी बात थी। गांधी अपने में एक विचार थे, गांधी युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के श्रोत हैं। गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के दृष्टिकोण से भारत और दुनिया को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसके पश्चात डॉ चतुर्वेदी ने गांधी के सभी आंदोलन के बारे में बातचीत की चंपारण, खेड़ा, असहयोग और दांडी मार्च के बारे में भी उन्होंने चर्चा की। उसके पश्चात उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंशु गुप्ता के बारे में बताया कि 25 साल पहले उन्होंने कॉरपोरेट वर्ल्ड को छोड़ गूंज संस्था जोकि एक नॉन गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन है उसकी शुरुआत की, और आज देश विदेश में वह अनेकों सम्मानों से नवाजे जा रहे हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गूंज संस्था के संस्थापक अंशु गुप्ता ने अपने वक्तव्य में सर्वप्रथम सभी को धन्यवाद करते हुए महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस पर मनाई जा रही BIMTECH के फाउंडेशन डे पर सभी को शुभकामनाएं दी और कहा कि मैं सिर्फ तीन चार बातों में अपनी बात को समाप्त करूंगा। मैं एक इंजीनियर फैमिली से बिलॉन्ग करता हूं आपको लाइफ में एक लक्ष्य चाहिए होता है, जिस पर वह काम करें। मैं समझता हूं कि मेरा ड्रीम सही डायरेक्शन में है। उन्होंने बताया कि पत्रकारिता के अंतर्गत उन्होंने एडवर्टाइजमेंट और पब्लिक रिलेशन की भी पढ़ाई की और वह देहरादून के एक स्मॉल सिटी से आते हैं, हालांकि वह आज एक बड़ी सिटी बन चुकी है। और उन्होंने देखा है कि किस तरह मायने बदलते हैं। उन्होंने बताया कि फुटपाथ पर पूरी जिंदगी को देखा जा सकता है, क्योंकि फुटपाथ पर लोगों को खाते हुए नहाते हुए और बच्चों को स्कूल जाते हुए देखा जा सकता है। आगे उन्होंने कहा कि रेड लाइट के चारों तरफ जीवन दिखता है। मेरे अंदर जर्नलिज्म का एक कीड़ा था, स्ट्रीट फूड खाना भी पसंद था। एक दिन घूमते हुए रिक्शा दिखा और उन्होंने बताया कि किस तरह डेड बॉडी को उठाना भी एक प्रोफेशन हो सकता है यह उस बात ने मुझे चकित कर गया।

जब उन्होंने गूंज की शुरुआत की तब उन्होंने पाया कि किस तरह कपड़ा एक चैरिटेबल पार्ट होता है। भले ही कहा जाता है कि, रोटी, कपड़ा और मकान एक साधारण जरूरत होती है। पर कपड़ा अपने आप में एक अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि यदि एक अमीर व्यक्ति से उसके स्टेटस पूछ लिए जाएं तो वह अनेकों वस्तुओं के नाम देगा पर उन्होंने आत्मसम्मान को जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बताया। उन्होंने कहा कि गांधी जी के आदर्श अपने आप में बहुत बड़े थे, ग्राम स्वराज की बात भी उन्होंने की और कहा कि मैं अभी उन्हें इतना पढ़ा नहीं है पर उन्हें मैं पढ़ूंगा। साथ ही किसानों के बारे में वे बताते हैं कि किसान ही है जो देश का पेट भरता है और उन्हें ही अनस्किल्ड बताया जाता है। साथ ही हम जैसे लोग जो एग्रीकल्चर पर 15 या 20 मिनट का लेक्चर देते हैं, वह गूगल में अपनी एक जगह बना लेते हैं और जगह-जगह कार्यक्रमों में चीफ गेस्ट के रूप में आते हैं। बल्कि किसान ही देश का वह नागरिक है जो देश में कृषि को जीवित किए हुए हैं। उन्होंने बताया कि कोविड में ना तो हम डॉक्टर की वजह से जिंदा रहे, ना खुद की केयर करने की वजह से जिंदा रहे, बल्कि देश के किसानों की वजह से जिंदा रहे।

शिक्षण संस्थानों की फीस के बारे में वे कहते हैं कि एक बार जब मैं किसी संस्थान की फीस के बारे में बात की तो मैंने यह सोचा कि क्या उसे समय मेरे पेरेंट्स इस अमाउंट को पे कर सकते थे या नहीं। उन्होंने कहा कि हम लोग बहुत प्रिविलेज हैं, क्योंकि हम सोसाइटी में या तो कुछ बन चुके हैं, या कल कुछ बनेंगे तो जरूर ही समाज के लिए कुछ ना कुछ करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम 3 बेडरूम में रह रहे हैं तो हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे आसपास की बस्तियां भी साफ रहे। स्त्री सशक्तिकरण की बात करते हुए कहते हैं कि घर के बाहर लड़कियां यदि ईयरफोन लगाकर बाहर निकल रही हैं तो इसका मतलब यह ही नहीं है कि उन्हें म्यूजिक पसंद है ऐसा भी हो सकता है कि वह किसी बकवास को सुनने की वजह से बच रही हो। इसीलिए हमें ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जो अपने आप में सिद्धांतों और संस्कारों से भरा हुआ हो। राष्ट्र निर्माण हम सभी की जिम्मेदारी है। समाज की डिसीजन मेकिंग प्रोसेस में हम सभी अपनी भागीदारी रखते हैं, इसीलिए हमें समाज के निर्माण में अहम योगदान देना होगा। हर घर के आगे दो फीट ऊंची सड़के बना देने से और फिर वहां आसपास रह रहे लोगों को low महसूस करवाने की बजाय हमें एक बेहतर नियोजन करना होगा। उन्होंने एक प्रकरण को साझा करते हुए कहा कि 12वीं कक्षा में जब मैं था तो मेरी एक सर्जरी होनी थी और उसके लिए उनके पेरेंट्स से ₹400 की रिश्वत मांगी थी। लेकिन मेरे परिवार वालों ने उन पैसों को देने से मना कर दिया तो डॉक्टर ने कहा कि यदि लड़का मर गया तो आप क्या करेंगे, इस पर मेरे पैरंट्स ने कहा कि वह हमारी किस्मत है। लेकिन यदि उस दिन मेरे पेरेंट्स वह पैसे भर देते तो मैं रिश्वत के पैरों पर खड़ा होता, बल्कि आज मैं अपने पैरों पर खड़ा हूं।

अंशु गुप्ता का यह वक्तव्य मुख्यतः समाज में बढ़ रही बुराइयों के कटाक्ष पर केंद्रित था वही समाज में एक कुशल और सौहार्द वातावरण बनाने पर कैंद्रित देखने को मिला। उनके वक्तव्य में मुख्यतः जहां यह देखने को मिला कि हमारी जिम्मेदारियां क्या है। वहीं यह भी बताने का प्रयास किया कि रास्ते कठिन हो सकते हैं पर असंभव नहीं हो सकते। उन पर प्रयास करने की जरूरत है। और एक अच्छा परिणाम हमारे सामने आएगा।

BIMTECH के स्थापना दिवस के अवसर पर कई अवार्ड भी दिए गए जिसमें मुख्यतः बसंत कुमार बिरला डिस्टिंग्विश्ड स्कॉलर अवार्ड 2022 जोकि दो भागों में विभाजित कर दिया गया। जिसमें पहले गवर्नमेंट एंड फंडेड इंस्टीट्यूट के लिए था जिसमें प्रथम स्थान IIM नागपुर के प्रोफेसर सतीश कुमार को दिया गया। वहीं दूसरे स्थान पर पेरिस के EMLV बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर रंजन चौधरी रहे। वहीं प्राइवेट इंस्टिट्यूट में पहले स्थान पर LM थापर स्कूल आफ मैनेजमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज सिंह भाटिया रहे। IIM उदयपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रदीप होता रहे। वहीं दूसरे स्थान पर हरियाणा की जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर आशीष त्रिवेदी और नोएडा के जयपुरिया इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट की प्रोफेसर शालिनी श्रीवास्तव रही। इसके पश्चात रिसर्च अवॉर्ड भी दिए गए जिसमें बेस्ट रिसर्चर अवार्ड प्रोफेसर एसएम फतेह उद्दीन और प्रोफेसर निशा बामेल को दिया गया। वहीं उसके बाद फैकल्टी और स्टाफ को भी उनके 30, 20 और 10 साल के कार्यकाल के अनुरूप सम्मानित किया गया अंत में बुक रिलीज का कार्यक्रम भी किया गया। इसके पश्चात धन्यवाद ज्ञापन कर राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम की समाप्ति की गई।।

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