टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (27 अप्रैल 2023): 28 अप्रैल 2023 को गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में यूपीईआरसी द्वारा नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (NPCL) के क्षेत्र में टैरिफ पेटिशन को लेकर एक अहम बैठक होगी। बैठक में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता रवि शर्मा लोगों के हित में एनसीपीएल द्वारा प्रस्तुत डाटा को लेकर अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव रखे।
• कंपनी को यूपीपीटीसीएल द्वारा सबस्टेशन प्रदान करने के बाद भी 33 KV वोल्टेज पर कोई कमी नहीं दिखी है, कमीशन को स्काडा से प्रति माह टेक्निकल घाटे की रिपोर्ट और बिजली घाटे की रिपोर्ट प्रति माह वेबसाइट पर डालने के लिए NCPL को निर्देश दिया जाए।
• कंपनी में सामान और सर्विस की खरीद 25% से 100% प्रतिशत ज्यादा रेट पर की जा रही है। डिटेल एफएआर से लेकर मार्केट की कीमत से तुलना कर दाखिल की गई है। कंपनी के अधिकारी सीवीसी द्वारा निर्धारित ओपन बिडिंग का उल्लंघन अपने निजी स्वार्थ के लिए कर रहे हैं। इस पूरे मामले को CAG से जांच करवाने की मांग की गई है।
• पावर एक्सचेंज, बिजली खरीद करने पर भी 3 करोड़ रुपया कमीशन में दिया गया है। अपने प्रमोटर खेतान से संबंधित लॉ फर्म को 3 करोड़ रुपया दिया गया, जिसके लिए कोई बिडिंग नहीं की गई। ऐसे अनियमितताओं को आयोग द्वारा खत्म किया जाए।
• प्रोजेक्ट की जांच ना हो इसलिए एक ही प्रोजेक्ट को कई टुकड़ों में तोड़ा गया है। और प्रोजेक्ट की वैल्यू 10 करोड़ से कम रखी गई । ऐसा बिल्कुल उसी अंदाज में हो रहा है, जैसे केजरीवाल जी का बंगला 47 करोड़ में बनवाया गया। ये आयोग की रेगुलेशन की मूल भावना के विपरीत है। और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। आयोग से सिफारिश की गई है की इस पर रोक लगाए और एक्सपर्ट कमिटी बिठाई जाए।
वहीं टेन न्यूज से टेलीफोनिक बातचीत में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता रवि शर्मा ने कहा कि ” खेतान से संबंधित लॉ फॉर्म को तीन करोड़ रुपया दिया गया, इसके लिए कोई बिडिंग नहीं की गई। कंपनी द्वारा लोगों से कई गुणा अधिक पैसे की वसूल की जा रही है।”
इन आरोपों को लेकर NPCL के अधिकारी ने क्या कहा
इन सभी आरोपों को लेकर टेन न्यूज की टीम ने NPCL के वाइस प्रेसिडेंट सारनाथ गांगुली से टेलीफोनिक बातचीत की और इन आरोपों पर उनका पक्ष जाना। एनपीसीएल के अधिकारी सारनाथ गांगुली ने लॉ फार्म को अधिक पैसे देने के आरोपों पर कहा कि ” ये आरोप बेबुनियाद हैं चुकी जब भी हम किसी एक लॉ फॉर्म से कॉन्ट्रैक्ट करते हैं तो केवल एक मामले के लिए नहीं करते हैं बल्कि हम उनसे अलग अलग न्यायालय में चल रहे अलग अलग मामलों और अलग अलग स्तर के अधिवक्ताओं के लिए करते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लें कि यदि कोई मामला उच्चतम न्यायालय में है तो वहां अधिवक्ताओं की फीस अधिक होगी और कोई मामला जिला न्यायालय में है तो वहां अधिवक्ताओं की फीस कम होगी। तो इसी आधार पर और लॉ फॉर्म की विश्वसनीयता को ध्यान में रखकर कांट्रेक्ट की जाती है।”
आगे समान की कीमतों में और सेवाओं मुहैया कराने के खर्च में अंतर के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ” अलग -अलग क्षेत्रों में, अलग-अलग जगहों पर सेवा मुहैया कराने में खर्च अलग होता है। चुकी कहीं कम भौगोलिक क्षेत्र होता है कहीं अधिक भौगोलिक क्षेत्र होता है। और फिर अलग अलग क्षेत्रों में जो कांट्रेक्टर होते हैं उनके साथ भी अलग अलग कीमतों पर बातचीत होती है तो एकसाथ ही सभी कार्यों का बिल देना संभव नहीं है। इसीलिए अलग अलग प्रोजेक्ट्स के अलग- अलग बिल दिए जाते हैं। और जहां तक बात रही समान के कीमतों की तो हमारी कंपनी उच्च गुणवत्ता वाले समानों का उपयोग करती है। इसीलिए जब कंपनी किसी सामान की खरीदारी करती है तो उच्च गुणवत्ता वाले समानों की खरीदारी करती है। लाजमी है कि जब आप कोई उच्च गुणवत्ता वाले किसी अच्छी कंपनी का समान खरीदेंगे और फिर बाजार के लोकल प्रोडक्ट्स की कीमतों में अंतर आएगा। लेकिन NPCL जिस समान को खरीदती हैं वो लॉन्ग लाइफ सामान होती है जबकि लोकल प्रोडक्ट्स जल्दी खराब हो जाती है।” और साथ ही उन्होंने कहा कि “NPCL सबसे कम कीमतों पर बिजली मुहैया कराती है, सभी जगहों से 10 फीसदी कम कीमतों पर हम बिजली उपलब्ध कराते हैं।”
सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं RWA ने क्या कहा
इस पूरे मामले को लेकर टेन न्यूज नेटवर्क से टेलीफोनिक बातचीत करते हुए ग्रेटर नोएडा RWA देवेंद्र टाइगर ने कहा कि ” हम एनपीसीएल के सेवाओं और सुविधाओं से पूर्णत: संतुष्ट हैं। कल की बैठक में हमारी मुख्य मांग यह होगी कि ग्रेटर नोएडा में उपभोक्ताओं को जो दस फीसदी छूट दी जा रही है उसे बढ़ाकर पंद्रह फीसदी कर दिया जाए और बिजली की दरों में वृद्धि ना की जाए।”
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह ने टेलीफोनिक बातचीत में कहा कि “किसी भी कंपनी के कार्य करने का तरीका और वो किसे कॉन्ट्रैक्ट दे किसे ना दें वह उस कंपनी का आंतरिक मामला है। वर्तमान में एनपीसीएल के कार्यों से उपभोक्ता पूर्ण संतुष्ट हैं।”
बता दें कि 28 अप्रैल को जनपद के गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में यूपीईआरसी द्वारा नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के क्षेत्र में टैरिफ पेटिशन को लेकर एक अहम बैठक होनी है।।