लालच का कोई लिमिट नहीं होता : पूर्व आईपीएस डॉ किरण बेदी, | GIMS, Greater NOIDA White Coat Ceremony

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (27/02/2022): जिंदगी में जो मिला है उसे स्वीकार करो और शिकायत मत करो : पूर्व आईपीएस डॉ किरण बेदी

पूर्व आईपीएस डॉ किरण बेदी ने जीआईएमएस ग्रेटर नोएडा के 7वें स्थापना दिवस और वाइट कोट सेरेमोनी में संबोधित करते हुए कहीं कि हमें जीवन में कभी हार नहीं मानना चाहिए हमें जो भी मिला है उसे स्वीकार करना चाहिए। जब भी आप मरीज का उपचार करें तो थोड़ी प्रार्थना करें कि मेरी नियत अच्छी है और मेरी काबिलियत भी है। ये ध्यान रखना है कि मरीज आपकी नियत और काबिलियत की वजह से ठीक हुए हैं।

उन्होंने कहा कि, हमें कभी भी अपनी काबिलियत पर शक नहीं करना चाहिए। मैंने कभी भी अपनी काबिलियत पर शक नहीं किया क्योंकि मेरा इरादा कभी खराब नहीं था। मेरा इरादा केवल दूसरों का भला करना था और मैंने कोई अपना स्वार्थ नहीं रखा था। यह बहुत जरूरी होता है और आप भी अपने प्रोफेशन में अपनी काबिलियत को बढ़ाते रहना , अपने में विश्वास रखना और कुदरत की सहयोग में विश्वास रखना है। जब भी आप मरीज का उपचार करें तो थोड़ी प्रार्थना करना कि मेरी नियत अच्छी है और मेरी काबिलियत भी है और मेरी इस उपचार से उस मरीज का सहयोग और भला हों। अपनी इस उपचार के लिए फीस जरूर लेना लेकिन डराना और धमकाना नहीं है। ये ध्यान रखना कि मरीज आपकी नियत और काबिलियत के वजह से ठीक हुए हैं। आपको इस प्रोफेशन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होगी और मेरी आप लोगों से अपील है कि आप लोग अपनी साहस को बढ़ाते रखो लेकिन कमाया हुआ साहस काबिलियत से आता है और अपनी कौशल को बढ़ाते रखना है और जो नई तकनीक या फिर कोई नई मेडिसिन और नए के बारे में जानकारी हासिल करते रहना है। आपकी जिंदगी में कभी भी फैलियर नहीं आएंगी अगर आप हमेशा अपडेट रहेंगे और एक दूसरे से सीखते रहेंगे। अगर कुछ चीज आपके हाथ में नहीं है तो आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। जब आप अपनी नियत पर शक नहीं करेंगे तो आपको हमेशा काबिलियत मिलेगी उस वक्त शायद आपको लगेगा कि कई लोग नाराज हो गए हैं और आपको धक्का लगेगा कि आपका ट्रांसफर ना हो जाए आपका मरीज ना चला जाए लेकिन कुछ नहीं होगा यदि आपका नियत साफ है और आप में काबिलियत है तो आपको हमेशा कामयाबी मिलेगी आप अपने निराशा से मत घबराना बल्कि हिम्मत से काम लेना है।

सबसे पहले आपको अपने मन को “मास्टर ऑफ माइंड” बनाना पड़ेगा जैसे कि आपको गुस्सा आया इसका मतलब यह हुआ कि आपने अपने मन को जांचा और ना कि गुस्से के साथ बह गए। तो फिर आप अपने मन को निर्देशित कर रहे हैं, आप अपने मन के शिक्षक हैं और आप अपने मन के नेता हैं। हम सबका मन बंदर की तरह है वो कहीं भी कूद सकता है। मनुष्य में अध्यात्म का अर्थ है एक अच्छा इंसान बनना है। इसलिए डॉक्टर के लिए मन का प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण है। आपको इससे संबंधित कोई ना कोई प्रोग्राम जरूर देखना चाहिए जिससे आपके मन को शांति मिलेगी और आप इससे शांतिपूर्ण और सहायक डॉक्टर बन जाएंगे। मेडिकल की पढ़ाई में यदि आप यह सोचेंगे कि जो भी मैं करूंगा दूसरे का भला के लिए करूंगा और इस तरह का अभ्यास लंबे समय तक करेंगे तो आप रोजाना अपने प्रोफेशन का आनंद लेंगे।

जिंदगी की एक philosophy है। डॉक्टर और पुलिस के प्रोफेशन में सिर्फ वर्दी का अंतर होता है। एक डॉक्टर अपने मरीज को भूल सकता है लेकिन एक मरीज अपने डॉक्टर को कभी नहीं भूल सकता है। जैसे कि मैं एक पुलिस आफिसर हुं और मेरे पास हजारों की शिकायतें आती है लेकिन यह नहीं कि मैं उस शिकायतों को लेने की जगह उसे मना कर दूं बल्कि यदि मेरे पास समय है तो मैं उस काम को ईमानदारी से करूं यदि आपके पास समय नहीं है तो अगले दिन बुलाओ इससे आपको जो दुआएं मिलेगी वह आपको पूरी जिंदगी में काम आएगी और अगले जन्म में भी यह दुआएं जारी रहेगी। यह मेडिकल प्रोफेशन या सेवाएं वाली जितने भी प्रोफेशन हैं और खाकी वर्दी वाले प्रोफेशन यह लोगों को सेवाएं देने के लिए है। आपको लालच नहीं बल्कि आपको जरूरत को बढ़ाना है क्योंकि “लालच का कोई लीमिट नहीं होता और जरूरत से आप कभी अधूरे नहीं हो सकते” हैं। आपका प्रोफेशन ही ऐसा है जिसमें कि आप को सेवाएं देना है ना कि लालच करना है और आप सब दुआओं का लालच रखना क्योंकि जितनी मरीज आए उतना ही कम हैं। जितने भी मरीज आए और वो आपका दफ्तर छोड़कर जाए तो वह कहे कि डॉक्टर हो तो ऐसा।

मेरे पास जितने भी लोग मदद के लिए आए हैं मैं उनकी मदद की हूं और जिन लोगों को में मदद नहीं कर पाई मैं लोगों को उसका कारण बताई कि मैं उसकी मदद क्यों नहीं कर सकती हूं इससे यह होता था कि मुझे आगे कोसा नहीं जाता था। इसलिए इस प्रोफेशन में यह philosophy रखो कि मैं इस मरीज को भूल सकता हूं लेकिन वह मुझे कभी नहीं भूलेगा‌। जो आपको दिल से आशीर्वाद मिलेगा वह आपको कहीं और से नहीं मिल सकता है सिवाय सेवा की इसलिए सफेद कोट और खाकी वर्दी का एक ही लक्ष्य है दूसरे को तंदुरुस्ती देना है। अब आप में से काबिल वहीं बनेगा जो अपने प्रोफेशनल और पर्सनल काबिलियत को बढ़ाते रहेगा जितना आप बढ़ाते रहोगे आप उतना ही नाम कमाओगे।

मेडिकल एजुकेशन लेने से पहले मेंटल एजुकेशन लो कि लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान नहीं देना है। मैंने तो मेहनत किया हूं पर लोग क्या कहेंगे और लोगों को गोली मारो बस आपने जो मेहनत किया अपने ऊपर विश्वास रखो यदि आपका मन कह रहा है कि आपने मेहनत नहीं की थी और मेहनत करो और और दोबारा कोशिश करो। आप अपने लिए मेहनत किए हैं इसलिए लोग क्या कहेंगे इसके बारे में नहीं सोचना है और ना तो फ्रस्ट्रेशन लेना है। अपने काम को ईमानदारी से करना है और लोगों के बारे में नहीं सोचना है। बस अपना तन-मन-धन लगाकर काम करना है जहां धन लगाने के लिए जरूरत है तो वहां धन लगाइए और अपने तन मन लगाकर काम कीजिए। मैंने अपना काम समझदारी से कर लिया हूं और जो भी नतीजा आएगा मैं उसे कबूल करुंगा और अब मैं अगले नतीजे के लिए काम करूंगा। दूसरों के जज करने पर ध्यान मत दो बस आपको अपने आप को जज करना है और उस पर काम करना है।

जीवन में हर चीज नहीं मिलती है इसलिए आप इस गलतफहमी में मत रहना कि जो आप ने मांगा है वह आपको मिलेगा ही। कई बार आपको कम और ज्यादा मिलता है जब आपको ज्यादा मिलता तो आप भगवान से पूछते हो कि आपको ज्यादा क्यों दे दिया है तो जब कम मिलता है तो आप भगवान से क्यों पूछतो हो कि आपको कम मिला है। आप अपनी तुलना उनसे करो जो आप से कम में हैं जो अपंग व्यक्ति है आप उनसे अपनी तुलना करके देखो कि आपको कितना कुछ मिला है। इसलिए हमें भगवान से शिकायत नहीं करना चाहिए। यदि आप तंदुरुस्त है और आपको कोई बीमारी नहीं है तो आपके पास सब कुछ है।

मेरे पास 9 महीने तक कोई काम नहीं था सरकार ने मुझे कोई काम नहीं दिया था और वह सोचते थे कि यदि उसे कोई काम दे देते हैं तो वह मुझ पर कार्रवाई करेगी और मुझे काम करने नहीं देगी इसलिए उन्होंने मुझे काम नहीं दिया और मैं उन नौ महीनों में किताब लिखना शुरु कर दी और मैं बोली कोई बात नहीं एक दिन तो मुझे पैसा मिलेगा ही और मैंने किसी से कोई शिकायत नहीं की और एक दिन मुझे मैसेज आया कि आपकी पोस्टिंग हो गया है। वहां पर कोई भी 3 महीने से ज्यादा टिकता नहीं था और मेरी पोस्टिंग वहां कर दिया और और मैं मन में सोची कि वह बाद में पछताएंगे कि वह मेरी पोस्टिंग यहां पर क्यों कर दी है।

उन्होंने आखिर में कहा कि आपको जो भी मिला है आप उसको कबूल करो और स्वीकार करो और पूरा तन मन काम को दे दो‌। यदि आपको उसे स्वीकार नहीं करना है तो आप कुछ नए काम की शुरुआत करो कि मुझे और आगे क्या नया काम करना है। उस नए काम पर मेहनत करो घबराओ नहीं, फर्स्ट्रेशन मत लो और हार नहीं मानो क्योंकि यह आपकी एनर्जी को खा लेगा। यदि आपने कोई काम मेहनत से किया है तो आपको यही मिला है तो आप उसे स्वीकार करके आगे चलो पीछे मत मुड़ो। किसी को कुछ भी शिकायत करने की जरूरत नहीं है बस आपको यह सोचना है कि उस काम को और बेहतर तरीके से कैसे कर सकता हूं। आप कोई यूनिक नहीं है जो आपके जिंदगी में उतार चढ़ाव आया है यह सबके जिंदगी में आता है आपको उस काम को समानता ढंग से संभालना है और आप उस में तरक्की करते चले जाएंगे।

 

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