जेवर की चुनावी चाभी किसानों के हाथ, खिलेगा कमल या चलेगा हैंडपम्प तय करेंगें अन्नदाता

टेन न्यूज नेटवर्क

जेवर (04/02/2022): ज्यों-ज्यों चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, सभी में चुनाव को लेकर कौतूहल और उत्साह देखने को मिल रहा है। चाहे वह पार्टी कार्यकर्ता हों, उम्मीदवार हों या फिर आम जनता सभी के मन में इस बार के विधानसभा चुनावों को लेकर अलग -अलग भावना बनी हुई है।

किसी मतदाता के लिए महंगाई सबसे जरूरी मुद्दा है तो वहीं कोई कानून व्यवस्था और विकास के नाम पर वोट देने का मन बना चुका है।

जेवर एयरपोर्ट की शुरुआत के साथ चर्चा में आई इस विधानसभा सीट पर भी चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। जेवर विधानसभा सीट पर कुल 3 लाख 22 हजार 982 मतदाता हैं, जिसमें 59 प्रतिशत शहरी जबकि अन्य ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं। जेवर सीट पर दलित 60 हजार,ठाकुर 65 हजार,गुर्जर 70 हजार,जाट 35 हजार,ब्राह्मण 35 हजार,मुस्लिम 65 हजार व वैश्य 15 हजार है।

यहां के सिटिंग भाजपा विधायक धीरेन्द्र सिंह को चुनौती देने के लिए इस बार रालोद और सपा ने गठबंधन किया है।मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से भाजपा छोड़ कर आए विधायक अवतार सिंह भड़ाना संयुक्त गंठबंधन के प्रत्याशी है। इन्हें किसान संगठनों का भी सहयोग प्राप्त है।

दूसरी ओर किसानों और विधानसभा के निवसियों से किये वादे ना पूरे करना भाजपा के लिए इस चुनाव में हानिकारक सिद्ध हो सकता है। जेवर एयरपोर्ट मैं जिन किसानों की जमीन गई है उन किसानों के 18 साल के बच्चों को जेवर एयरपोर्ट यमुना प्राधिकरण द्वारा ₹5,00,000 दिए जाने थे जो अभी तक नहीं दिए गए हैं।

साथ ही 18 साल से ऊपर के बच्चे जिनकी शादी हो गई है उनको यमुना प्राधिकरण द्वारा घर दिया जाना था वह भी किसानों के बच्चों को नहीं मिला है गांव को उजाड़ दिया गया है। जबरदस्ती पुलिस बल द्वारा मकानों को खाली करा कर तोड़ दिया गया उन परिवारों के ऊपर ना घर है ना छत है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि किसानों की जमीन जेवर एयरपोर्ट में गई है सरकार द्वारा किसानों को प्लाट देकर दोबारा गांव बनाए गए हैं पर जहाँ यह गांव स्थापित किए गए हैं वहां पर ना तो सीवर की सुविधा है ना ही वहां पर श्मशान एवं कब्रिस्तान की कोई सुविधा है ना ही वहां पर बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल की सुविधा है ऐसे में यह किसानों के साथ विश्वासघात सा प्रतीत होता है।

कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि जिन किसानों के गांव में बिजली के कनेक्शन थे उनको यहां पर अपने प्लॉट पर दोबारा नए कनेक्शन बिजली विभाग द्वारा दिए जा रहे हैं जिसमें मोटी रकम बिजली विभाग द्वारा वसूली जा रही है जबकि जिन किसानों के नाम पुराने कनेक्शन हैं उनको वही कनेक्शन बिजली विभाग द्वारा दी जानी चाहिए थी।

इन्हीं सब कारणों से भाजपा की राह उस जेवर में भी आसान नजर नहीं आ रही जिसे वह पूरे प्रदेश में विकास के मॉडल के रूप में भुनाने में लगे हैं।
मौजूदा विधायक और बीजेपी प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह अपनी हर सभा और मीडिया से होने वाली चर्चा में एयरपोर्ट, फ़िल्म सिटी और मेडिकल डिवाइस पार्क को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाते हैं.

परन्तु बसपा प्रत्याशी भी जेवर एयरपोर्ट को मायावती का सपना बात इसका श्रेय लेने की जुगत में हैं। दूसरी ओर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण से जुड़ा विवाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा। अवतार सिंह भड़ाना अपने भाषणों में किसान आंदोलन की याद दिलाते हैं और किसी भी कार्यक्रम में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति से जुड़े विवाद को उठाना नहीं भूलते।

इन सब के बीच वोटरों का फैसला अभी उनकी मुट्ठी में बंद है और जेवर का आने वाला भविष्य 10 फ़रवरी को ईवीएम में बटन दबा कर तय होगा।

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