ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा को और स्वच्छ बनाने की दिशा में प्राधिकरण ने एक और पहल की है। ग्रेटर नोएडा के सभी कॉलेज व विश्वविद्यालयों को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। इसकी शुरुआत बैनेट विश्वविद्यालय से हो गई है। प्राधिकरण इन विवि व कॉलेजों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में बतौर एक्स्ट्रा एक्टिविटी शामिल कराने के लिए भी प्रयासरत है।
ग्रेटर नोएडा को और अधिक स्वच्छ व हरा-भरा बनाने के लिए प्राधिकरण कई दिशा में प्रयासरत है। कूड़े के निस्तारण की वैज्ञानिक पद्धति पर तेजी से काम चल रहा है। ग्रेटर नोएडावासियों को गंदगी न फैलाने के प्रति जागरूक करने को अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही बल्क वेस्ट जनरेटरों पर पेनल्टी भी लगाई जा रही है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर इस मुहिम को और विस्तार करते हुए सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को जोड़ने की कोशिश शुरू हो गई है। प्राधिकरण के जनस्वास्थ्य विभाग के प्रभारी डीजीएम सलिल यादव, ग्रेटर नोएडा के स्वच्छता अभियान से जुड़ी संस्था एआईआईएलएसजी के प्रतिनिधि प्रशांत शर्मा व अरविंद शर्मा, बैनेट विवि से प्रो. सुनील सक्सेना, प्रो. सुमिता वैद व प्रो. अभिषेक पाठक आदि की बैठक हुई, जिसमें सलिल यादव ने विवि के छात्रों को स्वच्छता अभियान से जोड़ने को कहा। ये छात्र तीन चरणों में काम करेंगे। सबसे पहले वे उस एरिया का डाटा जुटाएंगे। वहां की आबादी, रहन-सहन व दिक्कतों को समझेंगे। उसके आधार पर प्रोजेक्ट तैयार करेंगे और फिर वहां की दिक्कतों को दूर करने के उपायों को क्रियान्वित करेंगे। इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले छात्रों को विवि की तरफ से इसके अंक भी दिए जाएंगे। जनस्वास्थ्य विभाग की टीम ने लोगों को जागरूक करने और स्वच्छता अभियान को क्रियान्वित करने में सहयोग की अपील की। विवि के प्रतिनिधि भी इसके लिए तैयार हो गए हैं। वे अपने 119 छात्रों को इस प्रोजेक्ट पर लगाएंगे। इसी तरह से अन्य विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को भी इस मुहिम से जोड़ा जाएगा। जनस्वास्थ्य विभाग की टीम ने कूड़े के उचित प्रबंधन की भी सीख दी। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों की जानकारी दी। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण का मानना है कि ग्रेटर नोएडा एजुकेशन का हब है। ऐसे में प्रैक्टिसनर व लर्नर के बीच का गैप खत्म होना चाहिए। छात्र फील्ड में जाकर प्रैक्टिकली सब कुछ देखेंगे। उसका अध्ययन करेंगे तो उनके लिए भी बेहतर होगा।