अथॉरिटी द्वारा यूनिटेक के सेक्टर म्यू ग्रेटर नोएडा के प्लाट निरस्तीकरण को बोर्ड मीटिंग में रद्द करने के सन्दर्भ में
महोदय
निवेदन यह हैं कि हम ३५२ लोग यूनिटेक बिल्डर के प्रोजेक्ट युनिहोम सेक्टर म्यू के प्लाट बायर्स हैं जिनको २००९ में यूनिटेक से १०० एवं १६० मीटर के प्लॉट्स अलॉट हुए थे|ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने २००६ में यूनिटेक बिल्डर को १०० एकड़ का आवासीय ग्रुप हाउसिंग का प्लाट सेक्टर म्यू में Rs ५५५.७३ करोड़ में अलॉट किया था जिसको यूनिटेक ने जनवरी २००७ में ३०% रूपये १६६.९३ करोड़ एवं रूपये ६१.१३ करोड़ एक मुस्त लीज रेंट जमा करके लीज डीड करा ली|
इसके बाद शेष राशि ६ किस्तों रूपये ७६.७४ में देनी थे. बिल्डर ने केवल एक क़िस्त जमा की| कुल धन राशि ऑथोर्टी के अकाउंट में Rs ३०४ करोड़ सन २००७ से अथॉरिटी के खाते में हैं जो की प्रीमियम का Rs ५५५.७३ करोड़ का लगभग ५५% हैं | बिल्डर ने सन २००९ में हम ३५२ लोगो को १०० एकड़ में से २५ एकड़ में ३५२ प्लाट अलॉट कर दिएI २०१२ तक बिल्डर ने लगभग ७०% कार्य करके प्लाट अलोटीस से लगभग ७५% प्लाट का प्रीमियम ले लिया. इसके बाद बिल्डर ने काम बंद कर दिया एवं अथॉरिटी को भी कोई आगे किसी क़िस्त का पेमेंट नहीं दिया.
हम लोग कई बार बिल्डर के पास एवं अथॉरिटी के पास गए परन्तु बिल्डर ने आगे कोई काम नहीं किया एवं अथॉरिटी के अधिकारी हमेशा ये कहते रहे कि हमारा आप लोगो से कोई मतलब नहीं हैं| नवम्बर २०१५ को अथॉरिटी जानते हुए भी कि इसमें ३५२ प्लाट होल्डर्स हे इस प्लाट का अलॉटमेंट केंसल कर देती हैंi जब से हम लोग दर दर की ठोकरे खा रहे हे परन्तु न बिल्डर पर कोई फर्क हैं न ही अथॉरिटी पर. दुर्भाग्य से, अथॉरिटी के अधिकारी कोई हल निकालने की जगह अलॉटीज को कहते हैं कि यूनिटेक के पास जाओ. हमसे कोई मतलब नहीं|बिल्डर ने जहा प्लाट होल्डर्स के साथ धोखा किया हे
वही अथॉरिटी ने भी बायर्स के साथ बहुत दोषपूर्ण व्यवहार किया हैं | इन बिन्दुओ पर ध्यान दे:
१) बिल्डर एवं अथॉरिटी की लीज डीड के अनुसार अथॉरिटी के अधिकारिओ को समय समय पर जाकर साइट पर इंस्पेक्शन करना था कि बिल्डर १८ महीने की समय सीमा के हिसाब से कार्य पूरा कर रहा हैं की नहीं. परन्तु किसी भी सम्बंधित अधिकारी ने कभी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया. यही समय रहते इस जिम्मेदारी का निर्वहन किया होता तो ये हालत नहीं होते
२) बिल्डर एवं अथॉरिटी की लीज डीड में, लीज डीड के निरस्तीकरण का क्लॉज़ तो हे परन्तु ये कही भी नहीं जिक्र किया गया हे यदि निरस्तीकरण हुआ तो उन प्लाट बायर्स का क्या होगा जिन्होंने बिल्डर को पैसा दिया हैं| दुर्भाग्य से, प्लाट बायर्स के हित के लिए लीज डीड में कोई क्लॉज़ नहीं हे
३) लीज डीड के अनुसार, बिल्डर केवल एक डेवलपमेंट एजेंट की तरह काम करेगा जब तक की सम्पूर्ण डेवलपमेंट होकर अथॉरिटी सब अलॉटी को लीज डीड न कर दे| शर्मनाक सिथिति यह हैं की अथॉरिटी के एक जिम्मेदार अधिकारी श्री अरविन्द मोहन सिंह आज भी यही कह रहे हे की यूनिटेक के पास जाओ| आपका अथॉरिटी से कोई मतलब नहीं हे
४) नवम्बर २०१५ में, केवल हमारे प्रोजेक्ट को कैंसिल क्या गया जिसका ५५% पैसा अथॉरिटी के पास आठ साल से था एवं लीज डीड भी हो रखा था| जबकि ऐसे बहुत से बिल्डर थे जिन्होंने १०-20% पैसा देने के बाद कुछ भी अथॉरिटी नहीं दिया| ये भेदभाव पूर्ण व्यवहार केवल इसलिए किया गया कियोकि केवल यही प्रोजेक्ट खाली प्लाट का था जिसको अथॉरिटी दोबारा से बेच कर धन कमा सकती थी|
५) अक्टूबर २०१६ को अथॉरिटी को प्रेषित लेटर के अनुसार, अथॉरिटी अपने पास इस प्रोजेक्ट की जमा राशि में से प्लाट होल्डर्स के मूल धन रस ६७ करोड़ को रख कर शेष धन अन्य प्रोजेक्ट में ट्रांसफर कर देती हे जो की कही से भी तर्क संगत नहीं हे| जबकि बिल्डर खुद अथॉरिटी को लेटर देकर कह चूका हे कि अथॉरिटी बची जमा धनराशि में से प्लाट होल्डर्स के 25 एकड़ लैंड एरिया में समायोजित करने के बाद ही धनराशि अन्य प्रोजेक्ट में ट्रांसफर करे|
6) “माननीय मंत्रीओ की कमेटी” ने भी हमारे विषय का संज्ञान लेकर, प्लाट बायर्स के हित को ध्यान में रखते हुए बोर्ड मीटिंग में निर्णय लेने का निर्देश दिया गया | दुर्भाग्य यह हे कि माननीय मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी की कमेटी जो की बायर्स के हित में कार्य करना चाहती हे परन्तु श्री अरविन्द मोहन जैसे अधिकारी अपने निजी अजेंडे के कारण प्लाट बायर्स के हितो को अनदेखा कर रहे हैं| हम लोग 15 सितम्बर को इन अधिकारी से माननीय मंत्री जी के निर्देशों के साथ मिले तो इनका कहना था कि ऐसे निर्देशों की कोई वैल्यू नहीं हैं
हमारा विनम्र करबद्ध निवेदन हैं
अथॉरिटी के पास १०० एकड़ का Rs ५५५ करोड़ के सापेक्ष ५५% ३०४ करोड़ रूपए पिछले १० सालो से हे| यह धन १० सालो में कम से कम ७०० करोड़ हो चूका होगा|
प्लाट बायर्स एवं बिल्डर दोनों लिखित में दे चुके हे कि २५ एकड़ एरिया जिसमे ३५२ अलोटिस के प्लाट हे उसमे इस धन समायोजित करके २५ एकड़ का निरस्तीकरण रद्द करके प्लॉट्स को डवलप कराने के निर्देश दे तथा शेष पैसे को अन्य प्रोजेक्ट में ट्रांसफर कर सकती हे| बचे ७५ एकड़ को सेल करके अथॉरिटी धनोपार्जन कर सकती हैं|इसमें न तो कोई वित्तीय पेच हे न ही कोई अड़चन हैं| फिर भी अथॉरिटी इसको हल नहीं करना चाहती| हमारे २५ एकड़ का निरस्तीकरण रद्द होने से प्लाट बायर्स को प्लाट मिल जायेगा एवं अथॉरिटी को भी 75 एकड़ लैंड बैंक मिल जायेगा|
अथॉरिटी श्री अरविंद मोहन जैसे अधिकारिओ को भी चिन्हित करके कड़ी कार्यवाही करे जो निजी अजेंडे पर काम करते हे तथा अपनी मन मर्जी से बायर्स एवं अन्य लोगो को मिसगाइड कर रहे हे|
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यूनिटेक बिल्डर के प्रोजेक्ट युनिहोम सेक्टर म्यू के प्लाट बायर्स
Note : Representation submitted at GREATER NOIDA AUTHORITY