इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित कवि सम्मलेन अपने अंतिम दौर पर पहुंच रहा है और राहत इन्दोरी साहब ने मंच संभाल लिया है ।
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मशहूर शायर ने अपना शेर पेश किया, "मेरी साँसों में समाया भी बहोत लगता है, वही सख्स पराया भी बहोत लगता है। उससे मिलने की तम्मन्ना भी बोट है, आने जाने में किराया भी बहोत लगता है ।"
उन्होंने आगे बोला ,"आँग के पास कभी मोम को लाकर देखूं,
इजाजत हो तो तुझे हाथ लग कर देखूं’,
मेरे दिल मैं वीराना बहोत है,
तेरी तस्वीर दिल में लगा कर देखूं "