गौतम बुद्ध नगर के स्वघोषित किसान नेताओं के धरनों से जन मानस त्रस्त

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (28 नवंबर 2024): गौतमबुद्ध नगर के किसान नेताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा बैनर तले नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह धरना प्रदर्शन संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर 25 नवंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के गेट से शुरू हुआ, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी किसानों के समर्थन में पहुंचे थे। तीन दिन तक जारी रहे इस धरने के बाद, आज 28 नवंबर को किसानों का काफिला महिलाओं के साथ रैली करते हुवे यमुना प्राधिकरण पर धरना देने पहुंचा है। यह आंदोलन 2 दिसंबर को दिल्ली कूच के साथ आगे बढ़ेगा।

क्या है किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों का आरोप है कि प्राधिकरणों और राज्य सरकार की नीतियां उनके हकों का उल्लंघन कर रही हैं। किसान नेता पवन खटाना ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके द्वारा उठाई गई प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

1. 10% विकसित भूखंड का अधिकार किसानों को तुरंत दिया जाए।

2. 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून लागू किया जाए।

3. हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए शासनादेश जारी किया जाए।

हालांकि, किसानों द्वारा उठाई गई इन मांगों में से कई उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, और ये सभी मांगें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के दायरे से बाहर हैं। भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे मुद्दे राज्य सरकार द्वारा ही हल किए जा सकते हैं, जबकि तीनों प्राधिकरणों का इसमें कोई सीधा रोल नहीं है।

आंदोलन से प्रभावित हो रहा सामान्य जीवन

धरना प्रदर्शन के कारण क्षेत्र में भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। प्राधिकरणों के गेटों के पास किसान संगठन धरना दे रहे हैं, जिससे वहां के आवागमन में रुकावट आ रही है। इसके परिणामस्वरूप प्राधिकरण में काम करने वाले कर्मचारियों और आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही, आंदोलन में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

कौन है असली किसान
एक अधिकारी ने अनौपचारिक रूप से बताया कि किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि इन मांगों का समाधान राज्य स्तर पर होगा न कि प्राधिकरणों के कार्य क्षेत्र में। इसलिए, किसान संगठनों को उच्च स्तर पर अपनी मांगों को उठाकर समाधान का प्रयास करना चाहिए, ताकि यह धरना प्रदर्शन आम जनता के लिए और अधिक परेशानी का कारण न बने।

गौरतलब है कि भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है और यह हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण आधार है। लेकिन विडंबना यह है कि “किसान” की कोई स्पष्ट और आधिकारिक परिभाषा नहीं है, जो वास्तव में एक समस्या है। समाज में जिनके पास भूमि है और जो कृषि कार्य करते हैं, उन्हें किसान कहा जाता है। वहीं, भूमिहीन लेकिन कृषि में श्रम देने वाले लोग किसान मजदूर कहलाते हैं और जो लोग किसानों की मांगों को शासन तक पहुंचाते हैं उन्हें किसान नेता कहा जाता है।

क्या SUV CAR रैली करते है किसान
समान्यत: देश में किसानों के विपन्न होने की चर्चा होती है और उनकी आर्थिक विपन्नता के समाधान की बात की जाती है, लेकिन गौतमबुद्ध नगर भारत का एक अनोखा जिला है जहां किसान काफी संपन्न हैं और उनकी संपन्नता की व्याख्या किसान आंदोलन में कई लग्जरी गाड़ियों का काफिला कर रही है।

क्या गौतमबुद्ध नगर के किसान नेता अपनी राजनीति चमकाने और अपना दबदबा बनाने के लिए किसानों की मांग के आड़ में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं या फिर ये वास्तव में किसान हैं?, आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं अपनी प्रतिक्रिया हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।।

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