आज दिनांक 17 नवंबर, 2024 दिन रविवार को पूर्वांचल सिल्वर सिटी 2 सोसायटी के क्लब हाउस में “अंगदान, देहदान – जागरूकता, भ्रांतियां और समाधान” विषय पर राष्ट्रचिंतना की इक्कीसवीं मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का आयोजन राष्ट्रचिंतना और भारत विकास परिषद् विवेकानन्द शाखा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों ने भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर और पुष्प अर्पित कर किया गया।
गोष्ठी का विषय परिचय और संचालन एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के हैड प्रोफेसर विवेक कुमार ने किया।
मुख्य वक्ता राकेश अग्रवाल ने अंगदान, देहदान की महत्ता को विस्तार से बताया। और सभी को देहदान का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि महर्षि दधीचि ने देवताओं के अनुरोध पर अपनी अस्थियां दान कर दी थीं और उन हड्डियों से बने वज्र से उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की थी।
भारत विकास परिषद् के प्रांतीय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि यह शरीर हमारी मृत्यु के पश्चात 40 ग्राम राख में बदल जाता है। यह हमें तय करना है कि मृत्यु के पश्चात हमारे अंगों से किसी और को जीवन दान मिल जाता है तो इससे बड़ा और कोई दान नहीं है।
जिम्स की एनाटॉमी विभाग की अध्यक्ष डॉक्टर रंजना ने देहदान की प्रक्रिया और आवश्यकताओं को विस्तार से बताया।गोष्ठी की अध्यक्षता कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो बलवंत सिंह राजपूत ने की।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान द्वारा किया गया। सिल्वर सिटी सोसायटी की आर डब्लू ए के अध्यक्ष और भारत विकास परिषद् विवेकानन्द शाखा के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने सभी प्रबुद्धजन और अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में संयोजक नरेश गुप्ता, राजेंद्र सोनी, श्री चंद गुप्ता, रवेंद्र पाल सिंह, विनोद शर्मा, विवेक अरोरा, योगेश गर्ग, राजेश बिहारी, सुरजीत, सविता अरोरा, संतोष गुप्ता, प्रो सतीश गर्ग, डॉक्टर पल्लव, डॉ आकांक्षा, गुड्डी तोमर, डॉ निधि, कांति पाल, गगन मिश्रा, ज्योति सिंह, जसवंत नेगी, कैप्टन राजीव सक्सैना, अरविंद साहू, संजय सेंगर, आदि प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।