कमला बहुगुणा के जन्म शताब्दी वर्ष पर गलगोटिया विश्वविद्यालय में ‘वाद-विवाद प्रतियोगिता’

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (17 अक्टूबर 2024): 16 अक्टूबर, बुधवार को प्रख्यात महिला नेत्री स्व. कमला बहुगुणा के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के 40 विश्वविद्यालयों में “वाद – विवाद प्रतियोगिता” का आयोजन किया गया। वाद – विवाद प्रतियोगिता का विषय “क्या भारत में महिलाओं को आरक्षण देने से वास्तविक समानता हासिल की जा सकती है?” रहा। इस प्रतियोगिता में सफल होने वाले प्रतियोगियों के लिए सम्मान राशि के रूप में प्रथम पुरस्कार के लिए 51,000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार के लिए 31,000 रुपए और तृतीय पुरस्कार के लिए 21,000 रुपए सुनिश्चित किया गया है। वाद विवाद प्रतियोगिता का फाइनल राउंड नवंबर के प्रथम सप्ताह में लखनऊ में आयोजित किया जाएगा।

इस अवसर पर गलगोटिया विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में आयोजित कार्यक्रम में युवाओं एवं सभी सम्मानित अतिथियों को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि कोई भी विषय तब तक सार्थक नहीं होता जबतक कि उनमें दोनों पक्ष ना आए। जब दोनों पक्ष होगा तो एक दूसरे में सकारात्मक प्रतिस्पर्धात्मक भाव होगा और बेहतर की तरफ बढ़ सकेंगे।

भारत एवं विश्व में महिलाओं की स्थिति पर क्या बोलीं रीता बहुगुणा जोशी

महिलाओं की स्थिति पर रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा और सबसे समृद्ध लोकतंत्र है। ये तीन चीजों पर निर्भर करता है, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। लेकिन इन तीनों में महिलाओं की स्थिति क्या है?

एक प्रसंग साझा करते हुए उन्होंने कहा कि, जब मैं मेयर बनीं तो मेरा म्युनिसिपल कमिश्नर कह रहा था कि “ये मुझे ऑर्डर देंगी अब…” जबकि मैं विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थी, मेरे पिताजी एक प्रतिष्ठित राजनेता थे और मैं एक सशक्त महिला थी, लेकिन जब मेरे साथ ऐसा हो सकता है तो फिर आम महिलाओं के साथ क्या होगा…?, आगे कहा कि जिस तेजी से विश्व दौर रही है उसमें महिलाएं काफी पीछे छूट रही है और ये स्थिति ना केवल भारत की है बल्कि विश्व के सभी देशों में महिलाओं की यही स्थिति है।

अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने कहा कि, उदाहरण के लिए आप राज्यों के विधानसभा को देखें वहां कितनी महिलाएं हैं, आप लोकसभा को देखें वहां कितनी महिलाएं हैं। आप अलग अलग क्षेत्रों में, सामाजिक क्षेत्र में, राजनीतिक क्षेत्र में, प्रशासनिक क्षेत्र में देखें कि आखिर महिलाओं की तादाद कितनी है? इसका मतलब यह है कि यहां मुद्दा उनके ज्ञान या प्रतिभा का नहीं है बल्कि यहां मुद्दा उनको मिलने वाले अवसर का है जोकि एकसमान नहीं मिल पा रहा है। 2027 में भारत में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनेंगी। आप सोचिए कि भारत में महिला को मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए आजादी के बाद लगभग 80 वर्ष का समय लगा, और यह खुशी की बात है कि अब वह बन रहीं हैं क्योंकि उनके देख के कई महिलाओं में आत्मविश्वास आएगा और वे भी आगे बढ़ेंगी।

कौन थीं कमला बहुगुणा

विख्यात इतिहास प्रोफेसर रामप्रसाद त्रिपाठी की प्रथम पुत्री व दूसरी संतान कमला बहुगुणा का जन्म 30 दिसंबर 1924 को प्रयागराज में हुआ। इलाहाबाद के सेंट मेरिज कॉन्वेंट स्कूल से उनकी शिक्षा- दीक्षा हुई, जिसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण किया। आजादी की लड़ाई के दौरान हुए तमाम आंदोलनों में सक्रिय रहीं। 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ और 1962 से 1972 तक वह जिला कांग्रेस कमेटी की निर्वाचित लोकप्रिय अध्यक्ष रहीं। 1974 में इलाहाबाद जिला परिषद का चुनाव जीत कर उन्होंने उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला अध्यक्ष होने का कारण प्राप्त किया। इसके बाद 1977 में वे फूलपुर, इलाहाबाद से सांसद चुनी गई। उस समय पूरे देश से केवल 19 महिलाएं लोकसभा पहुंची थी। उत्तर प्रदेश से तीन महिलाएं छठवीं लोकसभा में पहुंची थी जिनमें एक कमला बहुगुणा जोशी भी थी।

आपातकाल में अपने पति के साथ उन्होंने भी कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया। साल 1989 में पति के निधन के बाद वह सक्रिय राजनीति से अवकाश ले लीं और 2001 में उनका स्वर्गवास हो गया।।


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