14 साल पहले निकले स्कीम में अबतक नहीं मिले प्लॉट, Noida Authority के ACEO आशुतोष द्विवेदी ने क्या कहा

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (25 जुलाई 2024): ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (GNIDA) द्वारा 2010 में लाई गई आवासीय भूखंड योजना RPS02, सेक्टर ZETA-2 के आवंटियों को 2013 तक पूरा पैसा जमा करने के बाद प्लॉट पर कब्जा दिया जाना था परंतु अब 2024 आ गया है और आवंटियों के द्वारा पूरा पैसा भी जमा कर दिया गया है परंतु अभी तक प्राधिकरण के द्वारा प्लॉट पर कब्जा नहीं दिया गया है।

कुछ आवंटी Agreement to Lease भी करा चुके हैं और कुछ आवंटी 64 प्रतिशत अतिरिक्त प्रतिकर के व्ययभार के अनुरूप में प्राधिकरण द्वारा मांगी गई अतिरिक्त धनराशि भी जमा कर चुके हैं। वर्ष 2019 में प्राधिकरण ने उक्त योजना कैंसिल कर दी जिसके विरुद्ध आवंटी इलाहाबाद हाई कोर्ट गए जहां से हाई कोर्ट द्वारा स्टे दिया गया और आवंटियों के लिए वैकल्पिक भूखण्ड देने की संभावनाओं पर विचार करने का निर्देश दिया गया। लेकिन अथॉरिटी ने वैकल्पिक भूखण्ड के लिये कोई ऑफर नहीं दिए।

इस विषय पर आवंटियों का कहना है कि उन आदेशों के अनुक्रम में प्राधिकरण द्वारा दिसंबर 2022 में 128वीं बोर्ड मीटिंग में आवासीय भूखंड योजना RPS02, सेक्टर ZETA-2 को पुनः बहाल करने का निर्णय लिया गया किंतु आवंटर दर रुपये 11550 से बढ़कर 34000 प्रतिवर्गमीटर कर दी गई। जिसके (बढ़ी हुई आवंटन दर रुपये 34000 sq. mtr.) के विरुद्ध हम आवंटी फिर से हाईकोर्ट गए तब हाई कोर्ट ने प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाते हुए आवंटियों की समस्याओं का 3 महीने में निस्तारण करने का आदेश दिया। किंतु प्राधिकरण ने आवंटियों की समस्याओं का निस्तारण करने के बजाय उस आदेश की व्याख्या अपनी सुविधा अनुसार करते हुए हम आवंटियों को प्लॉट का कब्जा न देकर हमारे पैसे वापस करने का निर्णय लेते हुए आवंटियों को पैसे वापसी के लिए एक हफ्ते में दो लेटर जारी कर दिए जिसके विरुद्ध आवंटी पुनः हाईकोर्ट गए जहां से हाईकोर्ट ने पैसे वापसी पर स्टे लगा दिया है।

सभी आवंटी अलॉटमेंट लेटर के अनुसार मांगी गई मूल आवंटन दर रुपये 11550/- रु० प्रति वर्गमीटर के अनुसार आवंटित भूखंड की पूरी राशि पहले ही जमा कर चुके हैं। प्राधिकरण को वर्ष 2013 तक कब्जा देना था किंतु प्राधिकरण की अपनी गलती के कारण आज तक भी कब्जा नहीं मिल पाया है और अभी भी प्राधिकरण बढ़ी हुई आवंटन दर की मांग करके भूखंडों का कब्जा देने में अनावश्यक देरी कर रहा है जबकि प्राधिकरण के योजना ब्रोशर में आवंटन दर को बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है और इलाहाबाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी आनंद कुमार वाले केस में पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि प्राधिकरण मूल आवंटन दर को बढ़ा नहीं सकता। किंतु इसके बावजूद भी प्राधिकरण हाईकोर्ट से 3 माह में निस्तारण के आदेश होने के उपरांत भी आवंटित भूखंडों का कब्जा नहीं दे रहा है।

आपको बता दें की चौदह वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक प्लॉट पर कब्जा नहीं दिया गया है, जिंदगी भर की कमाई एक प्लॉट में लगाने के बाद अभी भी हाथ खाली दिखाई दे रहे हैं। अपने आशियाने का सपना देखने वाले कई लोग तो इस दुनिया को छोड़कर परलोक की ओर प्रस्थान कर चुके हैं।

आवंटियों का कहना है कि जब हम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जाते हैं तो वहां अधिकारी हमसे असभ्य व्यवहार करते हैं और वरिष्ठ अधिकारियों ने तो यहां तक कहा दिया कि आपकी 7 पुश्तें (पीढ़ियां) भी हमसे भूखण्ड नहीं ले पाएंगी। शीर्ष अधिकारियों द्वारा अति वरिष्ठ नागरिकों व आवंटियों के प्रति इस तरह का व्यवहार अत्यंत निराशाजनक व हतोस्ताहित करने वाला है। इस विषय पर प्राधिकरण का कहना है कि इस तरह की कोई वार्ता अधिकारियों से नहीं हुई है।

इस विषय पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि जिस भूमि पर प्राधिकरण का कब्जा नहीं है वह आवंटियों को देना हमारे लिए संभव नहीं है। चार प्रतिशत की ब्याज दर के साथ हम उनका पैसा भी वापस कर रहे थे। परंतु कोर्ट के द्वारा यह आदेश दिया गया कि अभी इस विषय पर स्टे लगा दिया जाए। इसलिए इस विषय पर किसी भी प्रकार का क्रियान्वयन अभी नहीं किया जा रहा है।।

 

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