पौष के महीने में दीपावली मना रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से : जीएल बजाज इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (17 जनवरी 2024): मंगलवार को जीएल बजाज इंस्टीट्यूशंस, ग्रेटर नोएडा के परिसर में ‘श्री राम महोत्सव’ का आयोजन किया गया। इस दिव्य आयोजन में विशिष्ट वक्ता के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला व रामकथा मर्मज्ञ संत स्वामी मैथिलीशरण उपस्थित रहे। भाजपा नेता सुधांशु द्विवेदी और संत मैथिलीशरण ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके पश्चात गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

शुरुआत में जीएल बजाज इंस्टीट्यूशंस के वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने कहा कि आज हम कलयुग में त्रेता युग देख रहे हैं और पौष के महीने में दीपावली मना रहे हैं यह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से सफल हो पाया है। महोत्सव में आए सभी लोगों का उन्होंने अपने शब्दकमलों से स्वागत किया। वह कहते हैं कि वह पर्व जिसका इंतजार हम सबको था वह आ गया है और यह सिर्फ पर्व नहीं बल्कि भारत की समृद्धि का प्रतीक है। आगे उन्होंने कहा कि राम ने हमें जो सीख दी वह हमारे जीवन में मार्गदर्शन का कार्य करती है राम के द्वारा हमें साहस, नैतिकता और कठिन समय में धैर्य रखने की सीख दी गई। और राम के सिद्धांत पर चलते हुए जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ने ‘A’ ग्रेड हासिल किया है।

आगे कहा कि हमारे यहां एंटरप्रेन्योर्स को अधिक बढ़ावा दिया जाता है, पीएम के द्वारा भी दो छात्रों को सम्मानित किया गया है। हमें सभी कार्यों की प्रेरणा भगवान श्री राम से मिलती है। अंत में वे रामायण की कुछ पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि “राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥”

इस अवसर पर भाजपा के प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आज संयोग अच्छे बन रहे हैं सूर्य उत्तरायण में प्रवेश कर चुका है और भारत का सूर्य भी उत्तरायण में प्रवेश कर रहा है। “सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे” ये पंक्ति राम मंदिर आंदोलन का नारा बन गई थी परंतु शासन- प्रशासन इतना था कि मंदिर बनाना आसान नहीं था। परंतु हमारे वीरों का साहस था कि चाहे शासन चलाएं सीने पर गोलियां पर मंदिर को वहीं बनाना है और प्रभु श्री राम की कृपा से यह पंक्ति सच हुई कि ‘जो इच्छा करिहहु मन माहीं। हरि प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं॥’ जो लोग पहले कहते थे कि परिंदा पर भी नहीं मार पाएगा, आज कहते हैं हमारा इन्विटेशन कब आएगा।

आगे कहा कि जिस सेकुलर की पट्टी सभी को पढ़ाई जाती है उस सेकुलर का अर्थ धर्मनिरपेक्ष नहीं बल्कि पंथनिरपेक्ष है। अयोध्या में दिए गए कार सेवकों का बलिदान आज सफल हुआ, धर्म का उदय होना ही था और हो रहा है। जो लोग आज बात करते हैं कि विकास की बात करिए मंदिर की नहीं। सन 1990 में जब अर्थव्यवस्था ध्वस्त पड़ी थी और बेरोजगारी प्रचंड थी तब सरकार कहती थी जो आज अपोजिशन बना खड़ा है की मस्जिद बचाएंगे। जबकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हमेशा उस जगह को विवादित ढांचे का नाम ही दिया गया।

आंदोलन को याद करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि आपको बता दें कि 22 दिसंबर 1949 को विवादित ढांचे के पास जिन सीआरपी की ड्यूटी लगी रहती थी उनमें से एक थे अब्दुल बरकत उन्होंने कहा था कि रात के समय यहां पर काफी तेज रोशनी हुई और प्रकाश और रोशनी के समाप्त होने के बाद मुझे यहां पर कुछ मूर्तियां दिखाई दी। इसे सनातन की शक्ति ही कहा जा सकता है कि वह मूर्तियां वहां पर प्रकट हुई थी। परंतु आज लोगों को वह रोशनी कब दिखाई देगी। उस समय प्रदेश सरकार ने वहां से मूर्तियां हटाने की बात भी कही थी परंतु सीएम की बात को DM ने टाल दिया क्योंकि तब तक CM की परिभाषा संविधान में अंकित नहीं थी।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि 1976 में सरकार ने वहां पर रूटिंग खुदाई बंद कर दी परंतु जैसे-जैसे विज्ञान बढ़ता गया ईश्वर भक्ति भी बढ़ती चली गई। अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार के समय ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार की खोज की गई। अब उस समय सुप्रीम कोर्ट से ऑपरेशन करने की मनाही थी, लेकिन हमने अल्ट्रासाउंड कर दिया। और हकीकत यह थी कि ऊपर से जो मस्जिद के खंभे थे नीचे से वह मंदिर के खंभे निकले।

सारी बिजली उसकी है मैं तो केवल तार हूं: मनोज मुंतशिर शुक्ला

गीतकार एवं मोटिवेशनल स्पीकर मनोज मुंतशिर के आगमन के समय पूरे सभागार में “जय श्री राम” के नारे लगने लगे। उन्होंने कहा कि सारी बिजली उसकी है मैं तो केवल तार हूं, सारा करंट तो सिर्फ ईश्वर से आ रहा है।

यहां जय श्री राम के नारे सुनकर मुझे वही एहसास हो रहा है जो 7500 साल पहले मां कौशल्या की गोद भरने पर उन्हें हुआ होगा। वही आनंद हो रहा है जो जीते हुए मदलो को देखकर खिलाड़ी को होता है और फसलों से भरे खेत को देखकर किसानों को होता है। आज हम मंगल पर जीवन खोज रहे हैं पर प्रभु श्री राम ने त्रेता युग में जीवन में मंगल खोज लिया था। हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन आज राम है परंतु प्रॉब्लम क्या है प्रॉब्लम है जिंदगी की रफ्तार में कोई ठहराव नहीं है। आज कामयाबी और खुशी में फर्क बताने वाले बुजुर्ग कहीं पीछे ही छूट गए हैं। कलाई पर घड़ियां तो है पर परिवार के लिए समय नहीं है। दादा पत्थर को भगवान मानते थे और पोते भगवान को पत्थर मानते हैं।

आगे कहा कि फेसबुक पर हजारों फ्रेंड होने के बाद भी उन चार दोस्तों को याद करते हैं जो एक आवाज में आकर खड़े हो जाते थे। वे कहते हैं कि राम से बड़ा कोई मॉडल नही है और रामायण से बड़ा कोई फार्मूला नही है। वे कहते हैं कि पिता की बात पर उन्होंने सिंहासन त्याग दिया, सिंदूर की कसम की खातिर सात समंदर पार किया। भाई के मूर्छित होने पर मौत को चुनौती दी। साथ ही राष्ट्रभक्ति इतनी थी कि अयोध्या यानि मातृभूमि की पुकार आने पर सोने की लंका को लात मार दी थी। मां मातृभूमि से बढ़कर कोई जननी नहीं है हमारे लिए सेल्फ रिस्पेक्ट का मतलब भारत की रिस्पेक्ट है और स्वाभिमान का मतलब भारत का स्वाभिमान है। मालदीव जिसने हमारी भारत माता पर प्रहार करने का प्रयास किया उसे हमने 24 घंटे में जवाब दे दिया उनके पर्यटन पर हमने अलीगढ़ का ताला लगा दिया।

भारत वालों से अक्सर पूछा जाता है कि वह कौन है? तो भारत वासी वह है जिन्होंने बाण फेंक कर धरती से धारा निकाल दी और एक उंगली पर गोवर्धन उठा लिया, वह है भारत जिनके फेंके हुए पत्थर पानी में तैर गए। मनोज हमारे तमाम राष्ट्र प्रेमियों के नाम भारत वासियों के लिए गिनते हैं और कहते हैं कि भारत और भारत की भारतीयता महान है। यह 22 जनवरी की तारीख ऐसे ही नहीं आई बल्कि इसको लाने में बहुत सारे बलिदान से आई है। न जाने कितनी मांग की सिंदूर मिट गए, ना जाने कितनी बहन की राखियां छीन ली गई, ना जाने कितने बापो ने बेटों को कंधा दे दिया तब जाकर यह 22 जनवरी आई है। प्राण प्रतिष्ठा निमंत्रण को लेकर वह यह भी कहते हैं कि उनके घर भी यह निमंत्रण पहुंच चुका है जो कुर्ते के ऊपर जनेऊ पहनते हैं। वह कहते हैं कि हम ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकते परंतु गिलहरी जिस तरह अपने शरीर पर रेट लपेटकर समुद्र में झाड़ देती थी। गिलहरी जितना योगदान हम भी श्री राम महोत्सव में दे सकते हैं। एक शायरी के जरिए कहते हैं कि सूरज नहीं बन सकते तो दिया बनो।

अंत में उन्होंने हिंदू फोबिया का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों के मन में इस तरह की शंका को पनपा दिया गया परंतु मैं यह बताना चाहता हूं कि हिंदू किसी को डराता नहीं है पर किसी के बाप से डरता भी नहीं है।।

इस प्रांजल अवसर पर नवाब सिंह नागर, पूर्व मंत्री; सतेंद्र सिसोदिया, क्षेत्रीय अध्यक्ष भाजपा; गजेंद्र मावी, जिलाध्यक्ष, गौतमबुद्ध नगर; अमित चौधरी, जिला पंचायत चेयरमैन; बिमला बाथम, पूर्व विधायक; डीके भारद्वाज, भाजपा नेता; बिजेंद्र प्रमुख, विकास खंड दादरी;रवि भदौरिया, पूर्व मंडल अध्यक्ष भाजपा; मुकेश शर्मा, कवि; डॉक्टर पियूष द्विवेदी; योगेंद्र शर्मा फोनरवा अध्यक्ष; डॉ डीके गुप्ता, चेयरमैन, फेलिक्स अस्पताल; सतेंद्र नागर, भाजपा उपाध्यक्ष; जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य राजसिंह यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार, जिला उप क्रीड़ा अधिकारी अनिता नागर, एनआइओएस चेयरपर्सन डाक्टर सरोज शर्मा, उत्तर प्रदेश प्राथमिक संघ के पदाधिकारी, उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ के पदाधिकारी, विभिन्न सेक्टर के आरडब्ल्यूए पदाधिकारी व सेक्टर के एओए के पदाधिकारियों के साथ कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।।

 

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