टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (24 दिसंबर, 2023): गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह का आयोजन 24 दिसंबर 2030 को किया। जिसके अंतर्गत मुख्य अतिथि के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति एवं उच्च सदन के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ रहे। वही कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाधिपतिव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई। कार्यक्रम के अंतर्गत विशिष्ट अतिथियों के तौर पर उत्तर प्रदेश के एनआरआई और निवेश संवर्धन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी व उत्तरप्रदेश के लोक निर्माण मंत्री बृजेश सिंह उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड़ का हृदय से स्वागत करता हूं। शून्य से शिखर की यात्रा कैसे होती है, संघर्षों से राह कैसे बनती है, इसकी प्रतिमूर्ति के रूप में आज उपराष्ट्रपति महोदय हमारे सामने हैं। दीक्षांत समारोह के अवसर पर उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को मैं हृदय से बधाई देता हूं। और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। विश्वविद्यालय का नामकरण गौतम बुद्ध के नाम पर हुआ है। आपने गौतम बुद्ध के जीवन में बहुत सारी विशेषताएं देखी होगी। जीवन के जिन रहस्य को गौतम बुद्ध ने उद्घाटित किया था वह हर मनुष्य के इर्द-गिर्द घूमती है।
बुद्ध ने कहा था समस्या है, यानी सर्वप्रथम हमें चुनौती को स्वीकार करना है। इसके पश्चात समस्या का समाधान भी है, परंतु उसे आपको तलाशना होगा। और हर समस्या का निवारण भी है। परंतु मुख्यत व्यक्ति समस्या से भागने का प्रयास करता है उसे स्वीकार नहीं करता। इसलिए समस्या को स्वीकार कर हमें उसकी राह को पहचानना होगा और हर राह मंजिल की ओर जाती है।
गौतम बुद्ध का जीवन के हर क्षेत्र के व्यक्ति के लिए बराबर घटित होता है परंतु वह राह को उपयोग नहीं करना चाहता है। बुद्ध का जीवन रोमांचक एवं प्रेरणादाई है। परंतु उसे हमने किस रूप में स्वीकार किया यह हम पर निर्भर करता है।
गौतम बुद्ध जिस तरह से अपने राजमहल में सिद्धार्थ के रूप में कैद हो गए थे, आप विश्वविद्यालय में एक छात्र के रूप में कैद हो जाते हैं। शिक्षा की व्यवस्था हमें शिक्षित तो कर पाएगी परंतु जब तक व्यवहारिक ज्ञान नहीं होगा, तब तक वह हमें ज्ञानवान नहीं बना पाएगी। शिक्षण संस्थानों में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान को जोड़ना होगा जिसकी शुरुआत गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में हो चुकी है।
जब हमारे शिक्षण संस्थानों से कोई उपाधि धारक निकले वह किसी भी भ्रम की स्थिति में ना रहे उसके सामने उसे मंजिल तक पहुंचाने का रास्ता स्पष्ट हो। बुद्ध ने हमें जो राह दिखाई वह स्पष्ट रूप से दिखाई। जब वे राज महल में रहते थे तो उनके मन में विचार आया कि मैं अब बड़ा हो चुका हूं और मुझे बाहर जाकर राज्य में क्या कुछ चल रहा है यह देखना होगा। सर्वप्रथम बुजुर्ग व्यक्ति को देखकर पूछा कि इसकी पीठ को क्या हो गया है, तो किसी ने जवाब दिया कि यह बुजुर्ग हो गया है। इस प्रकार अगली बार बीमार व्यक्ति को देखते हैं। तीसरी बार जब वह मृत व्यक्ति को देखते हैं कि चार लोगों उसे कंधा दे रहे हैं तब वह पूछते हैं की मृत्यु क्या होती है। इन्हीं सभी सांसारिक दुखों को देखते हुए वह शाश्वत की खोज में निकल पड़े।
उन्होने जो उपदेश दिए हैं उनमें सर्वप्रथम यही है कि धर्मम शरणम गच्छामि। अभी आपको कुलपति के द्वारा जो दीक्षांत उपदेश दिया गया यह भारत की गुरुकुल परंपरा रही है। जिसके अंतर्गत गुरु शिक्षा के उपरांत अपने शिष्य को यह बताता है कि आपको सत्य राह पर चलना है और धर्म का आचरण करना है।
योगी आदित्यनाथ ने धर्म को परिभाषित करते हुए कहा कि धर्म पूजा पद्धति नहीं है। जीवन के शाश्वत मूल्य है। सदाचार, नैतिक मूल्य और कर्तव्य का समन्वित रूप है। गौतम बुद्ध ने भी इन्हीं सभी मार्गों को साथ लेकर आगे बढ़ाने की प्रेरणा अपने अनुयायियों को दी थी।
उसके पश्चात उन्होंने गौतम बुद्ध के द्वारा दिए गए प्रेरणा उपदेशों के बारे में बताते हुए कहा कि सर्वप्रथम हमें अपनी मंजिल का चयन करना है और उसी राह पर आगे बढ़ना है और फिर पीछे नहीं हटाना है कई बार ऐसा होता है कि भय लगने से इंसान पीछे हट जाता है।
इसके पश्चात वह कहते हैं कि संगठित रहकर कार्य करना बहुत जरूरी है क्योंकि वह परिणामदायी होता है। यदि परिवार की भी बात की जाए तो एक ही व्यक्ति यदि अपनी बात को सर्वश्रेष्ठ रखेगा तो परिवार में भी विद्रोह की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए सभी के विचारों को महत्वता देते हुए संगठित रहने के सिद्धांत को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होने के बाद 36 वर्ष तक उन्होंने सामाजिक जन जागरण के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। और आप सभी के लिए यह हर्ष का विषय है कि उन्ही गौतम बुद्ध के नाम पर बनाया यह विश्वविद्यालय आपको शिक्षित कर रहा है।
यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि विश्व में सबसे अधिक युवा भारत में है और भारत में सबसे अधिक युवा उत्तर प्रदेश में है। थोड़ा सा प्रयास करने के पश्चात जो परिवर्तन होता है उस परिवर्तन के हम भी वाहक बन सकते हैं। हमने अपने शिक्षण संस्थानों को एक टापू बना दिया है जिसका देश दुनिया से कोई संपर्क ना हो। शैक्षणिक संस्थान डिग्री बांटने का अड्डा ना बने। बल्कि समाज के प्रति कृतज्ञता का भाव पैदा करे।
यह विश्वविद्यालय जिसमें आप शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं यह समाज के द्वारा आप सभी को दिया गया है सरकार सिर्फ एक माध्यम है। मुझे प्रसन्नता है कि जब जेवर इंटरनैशनल एयरपोर्ट की कार्यवाही आगे बढ़ी तो सोशल इंपैक्ट स्टडी का कार्य गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने अपने हाथों में लिया। इससे विद्यार्थियों का अनुभव बड़ा और विश्वविद्यालय की आय भी बड़ी।
इसके साथ-साथ हमारे साथ उपराष्ट्रपति महोदय जिन्हें शून्य से शिखर तक का अनुभव है वे उच्च सदन के चेयरमैन के रूप में देश का मार्गदर्शन कर रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि यहां आठ विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल मिला है और हमारे मित्र देशों से पढ़ने आए विद्यार्थियों जिन्होंने बुद्ध को आत्मसात किया है, उन सभी को शुभकामनाएं देता हूं और इस विश्वविद्यालय का कुलाधिपति हमेशा से मुख्यमंत्री रहा है तो वैसे भी आपको कोई दिक्कत नहीं आने वाली है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया उपदेश सभी छात्रों के लिए प्रेरणादाई रहा क्योंकि उन्होंने मुख्यतः सभी बातों में गौतम बुद्ध के जीवन को सिद्धांत के रूप में अपने की बात कही। उनके द्वारा कही गई बातें छात्रों के भविष्य के लिए मार्गदर्शन के रूप में कार्य करेंगी।
इस खास मौके पर गौतमबुद्ध नगर के लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा, राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर, जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह, दादरी विधायक तेजपाल नागर, तीनों प्राधिकरणों के वरिष्ठ अधिकारी, ग्रेटर नोएडा के इंडस्ट्री के कई दिग्गज हस्ती और मीडिया के लोग मौजूद रहे।।
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण टेन न्यूज़ यूट्यूब चैनल से किया साथ ही टेन न्यूज़ ने ऑनलाइन मीडिया पार्टनर की भूमिका निभाते हुवे कई विशेष न्यूज़ रिपोर्ट्स भी प्रकाशित किए ।