Sharda University में आपदा पीड़ितों की पहचान के आधुनिक फोरेंसिक परिप्रेक्ष्य पर वर्कशॉप का आयोजन

ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में शारदा स्कूल मेडिकल एंड रिसर्च और स्कूल ऑफ डेंटल साइंस ने आपदा पीड़ितों की पहचान के आधुनिक फोरेंसिक परिप्रेक्ष्य को लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इंटरनैशनल स्पीकर डॉ साइमन बोटॉन्ड हंगरी, डॉ टोरे सोलहेम,नॉर्वे ने मेडिकल और डेंटल के स्टूडेंट्स के सामने अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में डॉ साइमन बोटॉन्ड और डॉ टोरे सोलहेम ने कहा कि आपदा में मृतकों की जीभ और डिजिटल तरीके बॉडी को स्कैन करके उनकी पहचान की जा सकती है। हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल प्रयोग करना चाहिए और हमेशा नई तकनीक के बारे में सोचना होगा। इस प्रक्रिया से कम समय में हम मृतकों की पहचान करके उनके परिजनों को बता सकते है।
इस दौरान एम्स के डॉ आदर्श कुमार ने बताया कि आपदा पीड़ितों की पहचान आपदा पीड़ित पहचान (डीवीआई) एक बहु-घातक घटना के जवाब में की गई एक सम्मानजनक, व्यवस्थित और व्यवस्थित प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसका उद्देश्य घटना के मृत हताहतों की वैज्ञानिक रूप से पहचान करना है ताकि उन्हें उनके रिश्तेदारों को लौटाया जा सके। इस प्रक्रिया में मृत व्यक्ति की पोस्ट-मॉर्टम जानकारी का लापता व्यक्ति की पूर्व-मॉर्टम जानकारी से मिलान करना और इसके माध्यम से मृत व्यक्ति की पहचान करना शामिल है। डीवीआई एक बहु-विषयक गतिविधि है जो मानव अवशेषों की पहचान करने के लिए तुलनात्मक वैज्ञानिक और गैर-वैज्ञानिक तरीकों की एक श्रृंखला पर निर्भर करती है। समाज में मृतकों की पहचान न केवल मानवीय कारणों से बल्कि कानूनी दृष्टि से भी जरूरी है। हर साल बड़ी संख्या में आपदा पीड़ित अज्ञात हो जाते हैं, जहां मानव अवशेष पहचान से पहले नष्ट हो जाते हैं। आपदा पीड़ित की पहचान की दिशा में भारतीय फोरेंसिक पेशेवरों की तैयारी, तत्परता और भूमिका के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

वर्कशॉप के दौरान डॉ पारूल खरे ने कहा कि प्राकृतिक या मानव निर्मित परिस्थितियों से उत्पन्न होने वाली सामूहिक आपदा स्थितियों और ऐसी घटनाओं के बाद मानव पहचान में फोरेंसिक दंत कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पहचान के लिए मिलान तकनीक, पोस्टमार्टम प्रोफाइलिंग, आनुवंशिक फिंगरप्रिंटिंग, दंत जीवाश्म मूल्यांकन और डिजिटल घटाव के साथ दंत बायोमेट्रिक शामिल होते है।

इस मौके पर डॉ विशराम सिंह, डॉ पूजा रस्तोगी, डॉ निरुपमा गुप्ता, डॉ एके गडपायले,डॉ एम सिद्धार्थ, डॉ आरपी गुप्ता, डॉ दीपक भार्गव और डॉ अंकिता कक्कर मौजूद रहे।

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