‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’ ने दी चेतावनी, मोटो जीपी रेस बंद करें या अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे सरकार

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (12 सितंबर 2023): ग्रेटर नोएडा के गौतमबुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में मोटो जीपी बाइक रेस का शानदार आयोजन होने जा रहा है। मोटो जीपी बाइक रेस के फाइनल मुकाबले में पीएम मोदी के आगमन की भी चर्चा है। लेकिन, अब इस मोटो जीपी बाइक रेस से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है।

दरअसल, ‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर राघवेंद्र कुमार ने इसे लेकर चेतावनी दे दी है। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि मोटो जीपी रेस सिर्फ अमीर देशों के लिए रोमांच है, भारत के लिए मौत की रफ्तार है। मोटो जीपी रेस अभी तक सिर्फ 30 देश मे ही आयोजित की गई है। जो 31वाँ देश अब भारत होगा। जिन देशों में अभी तक यह रेस आयोजित हुआ है, उन देशों के सड़क सुरक्षा के बुनियादी ढांचे बहुत मजबूत है। उन देशों में पैदल चलने और साइकल चलाने वाले लोगों के लिए अलग ट्रैक होते हैं। कार और बाइक की रफ्तार में स्पीड लीमिट यहां अधिक होती है। यहाँ सड़क हादसे बहुत कम होते हैं, क्योंकि सड़क सुरक्षा को लेकर काम करने वाली एजेंसी बहुत मजबूत होती है।भारत पहले से ही विश्व के सभी देशों से मौत के आंकड़ों में पहले पायदान पर है। यहाँ जागरुकता बढ़ाने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने एवं सुरक्षा कानून को लागू करने पर सरकार ध्यान केंद्रित कर रही है। क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष सड़क हादसों की वजह से 4 प्रतिशत जीडीपी का नुकसान हो रहा है। जबकि भारत में विश्व स्तर पर लगभग दो प्रतिशत ही वाहन है। लेकिन यह 11 प्रतिशत से अधिक सड़क यातायात मौत के लिए जिम्मेदार है, भारत में पैदल यात्रियों और साइकिल चलाने वाले के लिए कोई सुरक्षा कानून नहीं है। जो देश में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत में से एक तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार है, और इसके लिए कोई आपातकालीन प्रणाली भी नहीं है। सड़क यातायात से होने वाली मौत का मजबूत आकड़े की कमी भी शामिल हैं। हमारे भारत में आज भी सड़क पार करने के लिए दोनों दिशाओं में देखना पड़ता है, क्योंकि भारत में गाड़ी चलाने वाले जिम्मेदार नागरिक की आज भी कमी है। अधिकांश राज्यों की अपनी सड़क सुरक्षा नीतियां होने के बावजूद भारत के पास सड़क सुरक्षा रणनीतियों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए कोई प्रमुख एजेंसी नहीं है। भारत में आज भी 50 प्रतिशत लोग सड़कों पर साइकिल चलाते हैं, राज्यों की तुलना की जाए तो वेस्ट बंगाल के बाद दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश राज्य में 75.6 प्रतिशत लोग आज भी सड़कों पर साइकिल चलाते हैं और मौत के आंकड़ों के हिसाब से उत्तर प्रदेश सभी राज्यों से अग्रणी बना हुआ है। गौतमबुद्ध नगर जिले में जब से फॉर्मूला वन ट्रैक बना तब से इस जिले में सड़क हादसों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि यहां के युवाओं में ओवर स्पीड गाड़ी चलाने की वजह से हादसों में वृद्धि के साथ चालान और मौत के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में 2004 में धूम पिक्चर रिलीज के बाद से स्पीड बाइक का प्रचलन तेजी से बढ़ गया। बाइक में साइलेंसर बढ़ाना तेज ध्वनि का प्रचलन हादसों में एकाएक इजाफा देखने को मिला है। प्लेन सीट वाली बाइक भी एक दम से स्टाइलिश बाइक के साथ सीट भी बदल गई। क्योंकि हमारे भारत में प्रचार से लोग काफी आकर्षित होते हैं।

आगे उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मंत्रालय के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए 76.2 प्रतिशत लोग अपनी मुख्य कामकाजी 18 से 45 वर्ष के होते हैं। भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वाले देश में सामाजिक आर्थिक स्थिति और सड़क उपयोग पैटर्न के बीच एक स्पष्ट संबंध है। इसीलिए गरीब लोगों के सड़क यातायात दुर्घटना में शामिल होने की संभावना अधिक रहती है। सड़क दुर्घटना कोविड-19 की तरह हमारे भारत में सामाजिक आर्थिक परिदृश्य को खराब कर रही है, और हमारे परिवहन मंत्रालय ने कोविड-19 से भी घातक इसे करार दिया है। भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने 2020-2021 में एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि “सड़क दुर्घटना 50 प्रतिशत कम करने का वादा किया था, लेकिन दो माह पहले अपना एक स्टेटमेंट में कहा कि “मैं अच्छे सड़क एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर तो बनवा सकता हूँ, लेकिन सड़क दुर्घटना कम करने में असफल रहा इसलिए मैं अपने पहले दिए गए स्टेटमेंट को वापस लेता हूँ। क्योंकि राज्य सरकार एवं उनके अधिकारी सामंजस्य के साथ कार्य नहीं किए।

‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’ की कहानी

‘हेलमेट ऑफ इंडिया’ राघवेंद्र कुमार ने आगे कहा कि एक व्यक्ति को बचाने में 90 लाख की बचत होती है। यातायात दुर्घटनाएं छोटे विकलांगता से आज भारतीय समाज विश्व स्तर पर बोझ बनता जा रहा है। इस खतरनाक परिदृश्य में सड़क सुरक्षा मंत्रालय गरीबों की हित की रक्षा के लिए नीतियां बना रही है। भारत में सड़क सुरक्षा रिपोर्ट को मजबूत करने में चुनौतियां बनी हुई है, जिसे व्यवहारिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए मैं पिछले 9 साल से सड़क हादसों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूँ। जो पिछले 9 सालों से भारत की सड़कों पर घूम-घूम कर भारत के युवाओं की जिंदगी बचाने का प्रयास कर रहा हूँ, क्योंकि आज से 9 साल पहले नोएडा एक्सप्रेस-वे पर मैं अपना एक दोस्त खो दिया था। जो अपने माता-पिता का इकलौता चिराग था। तब से मैंनें शपथ ली कि भारत की सड़कों पर हर नागरिक को एक स्मार्ट रोड यूजर बनाने से पहले उसे अपना दोस्त बनाऊंगा, ताकि वह भारत की सड़को पर हादसे के खिलाफ लड़ाई लड़ सके। इस लड़ाई को लड़ते हुए मुझे 9 साल हो गए और अपने जेब खर्चे से अब तक भारत की सड़कों पर 56000 से अधिक हेलमेट बाट चुका हूँ। सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचा चुका हूँ, करोड़ों लोगों तक अपना मिशन पहुंचाने में सफल हुआ हूँ, जो दुनिया अब हमें राघवेंद्र कुमार की जगह हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानती है। मोटो जीपी रेस हमारे भारत के युवाओं को सड़कों पर स्पीड रफ्तार की बढ़ावा दे सकती है। जिस वजह से हमारे देश की सड़कों पर मौत की रफ्तार तेजी से बढ़ेगी क्योंकि सड़क पर गाड़ी चलाने वाले वाहन स्वामियों को सड़कों का अंदाजा नहीं रहता है, क्योंकि इसी सड़क पर आम व्यक्ति साइकिल लेकर चलता है, और पैदल चलने वाले भी होते है। भारत के 77 साल आजादी के बाद भी आज भी 40 प्रतिशत लोग शिक्षा से वंचित हैं। 90 प्रतिशत लोगों को सड़क पर चलने का नियम कानून ही नहीं पता है। फिर ऐसे रोमांचक रेस के आयोजन से भारत के राजस्व का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है, और 90 प्रतिशत जनता की जान माल प्रभावित हो सकती है।।

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