ग्रेटर नोएडा / दिल्ली एनसीआर – 23 जुलाई 2023 – जीआई फेयर इंडिया का दूसरा संस्करण जीवंत रूप से पांच दिनों के लाइव शिल्प प्रदर्शन, भोजन, ढेर सारे अनुभवों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, आगंतुकों, क्रेताओँ और संरक्षकों में संख्या में भारी वृद्धि के साथ ही संपन्न हो गया। 24 जुलाई 2023 तक इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में चले जीआई फेयर इंडिया में आगंतुकों का स्वागत निर्माताओं और विनिर्माताओं ने अद्वितीय, प्रामाणिक और मूल उत्पादों के एक भव्य प्रदर्शन से किया।
आर.के. वर्मा कार्यकारी निदेशक-ईपीसीएच ने बताया कि यह शो 10,000 से अधिक दर्शकों की उपस्थिति के साथ समाप्त हुआ। इसमें 30 देशों के 110 से अधिक विदेशी खरीदार और 300 से अधिक विदेशी खरीद प्रतिनिधि और घरेलू वॉल्यूम खरीदार शामिल थे। मेले में 14.5 करोड़ रुपये का बिज़नेस इन्क्वायरी हुई ।
जीआई फेयर इंडिया का समापन एक समापन समारोह के साथ हुआ, जिसमें डॉ. रजनी कांत (पदमश्री), कार्यकारी निदेशक, ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे |
इस अवसर पर बोलते हुए ईपीसीएच के अध्यक्ष दिलीप बैद ने कहा, जीआई फेयर इंडिया के इस दूसरे संस्करण में भारत के जीआई उत्पादों का सबसे बड़ा प्रतनिधित्व बल्कि यू कहें कि लगभग सभी जीआई उत्पादों का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व देखा गया। इस आयोजन में भारतीय प्रक्रियाओं, स्वदेशी उत्पादों और उत्कृष्ट कृतियों को विश्व बाजारों में ले जाने की महत्वाकांक्षा के साथ कृषि उपज, निर्मित सामान, खाद्य सामग्री, हथकरघा और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में फैले 400+ जीआई टैग वाले उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। मेले को विदेशी खरीदारों, घरेलू वॉल्यूम खरीदारों और आम जनता ने सीधे मूल स्रोत से अद्वितीय उत्पादों को देखने, अनुभव करने और उनकी खरीदारी करने का एक अनूठा अवसर के तौर पर देखा और इसमें शिरकत की। इस आयोजन में विदेशी खरीदारों से लेकर स्थानीय क्रेताओं ने उत्पादकों, निर्यातकों और प्रदर्शकों से संबंध स्थापित किए, पूछताछ की और बड़े पैमाने पर खरीदारी की है। कई लोग अभी से ही अगले संस्करण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
स्पेन के एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारी नतालिया कार्डिएलो उपभोक्ता बाजार के लिए सभी प्रकार के उत्पादों का आयात करती हैं। उन्होंने कहा, “मैं यहां सिर्फ उत्पादों का जायज़ा लेने आई हूं और मुझे अभी से ही भारत की लकड़ी की कलाकृतियों से प्यार हो गया है। मैंने दक्षिण भारत से केले के चिप्स, प्रामाणिक काजू और इलायची जैसे मसाले जैसी खाने की चीजें भी खरीदीं हैं। यहां मिल रहे आभूषण भी बहुत शानदार और अनोखे हैं। वह 2016 से व्यवसाय कर रही हैं और कपड़ा और चाय जैसे व्यक्तिगत पसंदीदा उत्पादों के लिए यह उनकी भारत की 5वीं यात्रा है।
ग्रेस मुइरुरी, 15 वर्षों से केन्या स्थित वैश्विक बी2बी सलाहकार हैं। केन्या विशिष्ट होटलों और ऐसे ही प्रतिष्ठानों के लिए प्राचीन वस्तुओं, प्रामाणिक वस्तुओं और वस्त्रों के स्रोत के लिए गठबंधन बनाने के लिए यहां मौजूद है। वियतनाम से यहां आए सू , भारत और वियतनाम के बीच कई समानताएं पाती हैं। यहां मनमोहक रूप से प्रदर्शित उत्पादों, अनोखी वस्तुओं और बेमिसाल कपड़ों को देखकर उन्हें काफी आश्चर्य हुआ। भारत भर के किसानों की कृषि उपज को उपभोक्ताओं से जोड़ने वाली केरल स्थित कंपनी फार्मस्मोजो के लिए कार्यरत नवीन यहां जैविक मसालों, सामग्रियों, नट्स, खाद्य उत्पादों और यहां तक कि हस्तशिल्प में काम करने वाले आपूर्तिकर्ताओं/संभावित भागीदारों की तलाश में हैं। एक ही छत के नीचे जीआई टैग वाले उत्पादकों की मौजूदगी उनके लिए यह काम सुविधाजनक बनाती है।
अधिकांश जीआई टैग वाले उत्पादों का लंबा इतिहास और इसके साथ ही उनसे एक विस्तृत परंपरा जुड़ी हुई है। इसके साथ ही ये ऐसी सामग्रियों और प्रक्रियाओं का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं जो उन्हें इतना विशिष्ट और विख्यात बनाते हैं। टिकाऊ यानी सस्टेनेबल होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल होना भी जीआई उत्पादों की पहचान हैं। अधिकांश उत्पाद हस्तनिर्मित होते हैं, उनके रंग प्राकृतिक होते हैं, इसी तरह जीआई टैग वाले खाद्य पदार्थ रसायन मुक्त और ज्यादातर जैविक होते हैं।
डॉ. राकेश कुमार, महानिदेशक-ईपीसीएच एवं अध्यक्ष-आईईएमएल ने बताया कि हाल ही में जीआई टैग प्राप्त उत्पादों में प्रसिद्ध अलीगढ़ के ताले, शादियों और उत्सवों का पर्याय बने अमरोहा के ढोलक, ज्यामितीय रूप से डिजाइन किए गए बागपत के घर की साज-सज्जा, प्रमुख चेक पैटर्न के साथ बाराबंकी के हथकरघा, लकड़ी में सुरुचिपूर्ण तार की जड़ाई की मैनपुरी तारकशी, आबनूस और शीशम पर नक्काशीदार जटिल बहने वाले रूपांकनों के साथ नगीना की लकड़ी की शिल्पकला, रहस्यमय बांदा शज़ार पत्थर शिल्प जिसमें स्वाभाविक रूप से अतीत की ज्वालामुखीय गतिविधि के परिणामस्वरूप लघु पत्ते शामिल हैं और कई अन्य आगंतुकों को बहुत भा रहे हैं और उनके पसंदीदा उत्पाद बन गये हैं। जिन उत्पादों को जीआई टैग मिलने की प्रक्रिया चल रही है या फिर बहुत जल्द उन्हें जीआई टैग मिलने वाला है ऐसे उत्पाद भी आगंतुकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। इनमें प्रमुख रूप से महाराष्ट्र की करक्यूमिन से भरपूर बासमत हल्दी शामिल है, जिसका उपयोग जैविक कपड़ा डाई के रूप में भी किया जाता है; इसके आलावा प्रसिद्ध झिलमिलाती हैदराबाद लाख की चूड़ियाँ देखने के लिए आगंतुकों की इतनी भीड़ है कि लोगों को लाड बाज़ार की सड़कों में भीड़ का सामना करना पड़ रहा है।
‘जीआई टैग्ड हैंडीक्राफ्ट एन इफेक्टिव टूल फॉर प्रमोशन ऑफ प्रोडक्ट्स’ विषयक पर एक पैनल चर्चा में प्रख्यात वक्ताओं और डोमेन विशेषज्ञों ने उत्पादों के जीआई पंजीकरण में प्रमुख चुनौतियों; जीआई पंजीकरण के लिए भविष्य का दृष्टिकोण; जीआई टैग वाले उत्पादों को बढ़ावा देने के तरीके; जीआई उत्पादों में गुणवत्ता आश्वासन तंत्र; जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म; जीआई उत्पादों के ऑनलाइन विपणन के लिए रणनीति के प्रमुख तत्व जैसे विषयों पर सघन दृष्टि प्रदान की। इस पैनल चर्चा में उपस्थित लोगों ने जीआई पंजीकरण में आसानी, दी जाने वाली सहायता और व्यापार के लिए जीआई टैग के लाभों के साथ-साथ इन उत्पादों से जुड़े हितधारकों और कार्यबल की आजीविका के बारे में भी सीखा, वर्मा ने आगे बताया ।
अनुकरणीय प्रदर्शन वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों और संगठनों तथा प्रतिभागियों को सम्मानित करने के लिए आज एक पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. रजनी कांत (पदमश्री) ने पुरस्कार प्रदान किये। संस्थागत पुरस्कार कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए); भारतीय स्पाइस बोर्ड; भारतीय टी बोर्ड; उद्योग विभाग, असम सरकार; एमएसएमई विभाग, ओडिशा सरकार; जम्मू एवं कश्मीर व्यापार संवर्धन संगठन (जेकेटीपीओ); उत्तराखंड हथकरघा और हस्तशिल्प विकास निगम (यूएचएचडीसी); उत्तराखंड जैविक वस्तु बोर्ड, उत्तराखंड सरकार; गोवा राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद; उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआएआएटी); भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री विभाग, पीडीटीएम के महानियंत्रक; मणिपुर ऑर्गेनिक मिशन एजेंसी (मोमा); भारतीय खाद्य पर्यटन संगठन को दिए गए, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर.के. वर्मा को सूचित किया।