गलगोटिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन में सोमवार को ‘पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ का आयोजन किया गया। आज 10 जुलाई से 21 जुलाई तक चलने वाला यह कार्यक्रम प्रेम रावत फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया। प्रेम राउत फाउंडेशन पूरे विश्व में अपने सामाजिक कार्यों और आंतरिक शांति के कार्यों के लिए प्रयास करने के लिए जाना जाता है। यह प्रोग्राम विद्यार्थियों और शिक्षकों के आंतरिक विकास और शांति के लिए आयोजित किया गया था।
सरस्वती वन्दना के बाद लिबरल स्कूल ऑफ एजुकेशन की डीन अनुराधा पाराशर ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अपने स्वागत भाषण में कहा कि आज का दिन हम सबके लिये बहुत ही सौभाग्यशाली दिन है क्योंकि आज हम “ शांति” जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय पर वार्ता करने जा रहे। आज के समय में “शाँति-शिक्षा” की आवश्यकता बहुत बढ गयी है। ख़ासतौर से उन बच्चों के लिये जो अपनी पहचान बनाने के लिये प्रयासरत हैं।
विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर मल्लिकार्जून बाबू ने इस अवसर पर कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए आत्मिक शांति बनाए रखना बहुत जरूरी है। यह आत्मिक शांति आपको आंतरिक ऊर्जा प्रदान करती है और आपको जीवन के प्रति सकारात्मक रखती है। आत्मिक शांति के शत्रु ईर्ष्या और लालच हैं।
नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. सुरेश गुप्ता ने कहा कि उन्हें खुशी है कि गलगोटिया विश्वविद्यालय ने इस विषय को लेकर अपनी रूचि दिखायी है और आज के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को आज के समय की जरूरत बताया ताकि शिक्षक और विद्यार्थी अपने जीवन में शांति की स्थापना करके राष्ट्र निर्माण में अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
भारतीय रेल के रिटायर्ड इंजीनियर के. के. मिगलानी ने पूरे विश्व में प्रेम राउत फाउंडेशन द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों के अंदर कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं।
प्रेम राउत फाउंडेशन की सदस्य डाक्टर तनुजा वशिष्ठ और डाक्टर लता शरण कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहीं। उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत ख़ुशी है कि गलगोटियास विश्वविद्यालय से जुडने का मौका मिला। यह कार्यक्रम शाँति शिक्षा के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है।
गलगोटियास विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया ने विद्यार्थियों को अपने संदेश में कहा कि व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही संभव है।
विश्वविद्यालय के सीईओ ध्रुव गलगोटिया ने कहा कि शांत वातावरण में ही मनुष्य के रचनात्मक व्यक्तित्व का विकास होता है।
विश्वविद्यालय की डायरेक्टर आराधना गलगोटिया ने कार्यक्रम की सफलता पर सभी को अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की। और अपने सम्बोधन में विद्यार्थियों से कहा कि छात्रों को मूल्यों और कौशलों के निर्माण के लिये प्रोत्साहित करना “शांति शिक्षा” के लक्ष्यों में से एक है।
प्रश्न उत्तर काल के दौरान ऑनलाइन मुख्य वक्ताओं से सीधा संवाद करते हुए उनके प्रश्नों के उत्तर देते हुए शांति की परिभाषा को अपने अपने तरीक़े से प्रस्तुत किया। छात्रा तस्मी अजमद ने कहा कि वातावरण को सौहार्दपूर्ण बनाये रखना और किसी तकलीफ़ नहीं देना ही शाँति है। राशी कुमारी ने कहा कि हमारा सौम्य व्यवहार ही हमारी शाँति पूर्ण सोच को प्रस्तुत करता है। कुमारी सौम्या ने कहा कि हमें सदैव शांति बनाये रखनी चाहिए इससे हमारी उन्नति के रास्ते खुलते हैं। कुमारी श्रीपूर्णा ने भी कहा कि शाँति से हमारे जीवन में सकारात्मकता की वृद्धि होती है।