ग्रीन हाइड्रोजन का हब बनेगा भारत, भारत के पास है असीम संभावनाएं: सौरभ मोहन सक्सेना, हाइड्रोजन एंटरप्रेन्योर

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (29 जून 2023): टेन न्यूज नेटवर्क की खास पेशकश “सच्ची बात: प्रोफेसर विवेक कुमार के साथ” कार्यक्रम में “ग्रीन हाइड्रोजन में भारत की अग्रणी भूमिका ” विषय पर व्यापक चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर विवेक कुमार ने किया, वहीं अतिथि के रूप में हाइड्रोजन एंटरप्रेन्योर सौरभ मोहन सक्सेना उपस्थित रहे।

ज्ञात हो कि भारत सरकार ग्रीन हाइड्रोजन के दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग पर्यावरण के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। वहीं भारत इस दिशा में तेजी से अपना कदम आगे बढ़ा रहा है। भारत सरकार कई देशों के साथ ग्रीन हाइड्रोजन की तकनीक व उत्पादन को स्थापित करने के लिए बात कर रही है। केंद्र सरकार ने 04 जनवरी 2023 को 19,744 करोड़ रुपए की ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को भी मंजूरी दे दी है।

कार्यक्रम में चर्चा करते हुए प्रोफेसर विवेक कुमार ने पूछा कि पहले तो ये बताएं कि ग्रीन हाइड्रोजन है क्या? सौरभ मोहन सक्सेना ने जवाब देते हुए कहा कि हाइड्रोजन हमारे ब्रम्हांड में सबसे अधिक पाया जानेवाला सबसे हल्का कण है,जो वायु में पाया जाता है। हमारा पूरा ब्रम्हांड हाइड्रोजन से चल रहा है। हाइड्रोजन सबसे क्लीनेस्ट गैस है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा है ही नहीं। प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में स्टोर है हाइड्रोजन। इसको ईंधन के रूप में प्रयोग करने के लिए हमें इसका इलेक्ट्रोलिसिस करके सौर ऊर्जा के संयोग से ग्रीन हाइड्रोजन बनाते हैं। आगे उन्होंने कहा कि अभी अमृतकाल में प्रधानमंत्री ने इसका बीड़ा उठाया है, हमलोग पूर्व से ही इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।और अब तो पूरा जीवन जी हाइड्रोजन के लिए समर्पित है। इस क्षेत्र में भारत के पास असीम संभावनाएं हैं। भारत ने जो लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2070 तक हम कार्बन उत्सर्जन के मामले में जीरो हो जाएंगे। और भारत इस दिशा में कार्य कर रहा है आने वाले समय में भारत इस क्षेत्र का नेतृत्व कर्ता बन सकता है।

प्रोफेसर विवेक कुमार ने अगला सवाल करते हुए पूछा कि अभी वर्तमान में हाइड्रोजन किन इंडस्ट्री में प्रयोग किए जा रहे हैं? जवाब देते हुए सौरभ मोहन सक्सेना ने कहा कि कई अलग अलग इंडस्ट्री में प्रयोग किए जा रहे हैं। जैसे पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री, सीमेंट इंडस्ट्री में, फूड इंडस्ट्री में इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि ईंधन के रूप में प्रयोग नहीं हो रहे हैं। सौरभ मोहन सक्सेना ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह फ्यूल ऑफ द फ्यूचर है, और फ्यूल ऑफ द फ्यूचर क्यों है? वो इसी वजह से है क्योंकि ये पूर्णत: क्लीनस्ट है। दुनिया के कई विकसित देश इस दिशा में काम कर रहे हैं। भारत के पास पर्याप्त सूर्यातप है क्योंकि हम भूमध्य रेखा के पास हैं, हमारे पास काफी संभावनाएं है इस दिशा में।

वहीं ग्रीन हाइड्रोजन उत्सर्जित करने मेंखर्च के विषय में बात करते हुए सौरभ मोहन सक्सेना ने कहा कि, अभी जो एक ईंधन चक्र पूरी व्यवस्था लागू है, उसको हटाना और फिर एक नए सेटअप को बिछाना यही एक बहुत बड़ी बात है। अभी हाइड्रोजन की कीमत काफी अधिक है, तो अभी सरकार इस दिशा में आर&डी कर रही है, और इसपर प्रयोग किए जा रहे हैं। सरकार उसी दिशा में काम कर रही है, भारत में कई संस्थाएं इसे सस्ता करने के दिशा में काम कर रहे हैं और अनुसंधान कर रहे हैं। अगले चार से पांच साल में हम आम आदमी के एक विकल्प प्रस्तुत कर पाएंगे।

आगे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व कार्यान्वयन काफी तेजी से हो रहा है। भारत के पास युवा शक्ति है, संसाधन है, ज्ञान है और इंडस्ट्री भी है। अगर हम विश्व में अग्रणी होने की बात करें तो विश्व में अग्रणी तो भारत हो रहा है और पूरी अर्थव्यस्था है, तो इसपर पूरा अनुसंधान हो रहा है। देशों में जापान काफी आगे है, जर्मनी में मध्य पूर्व के जो देश हैं वो भी इस दिशा में अनुसंधान कर रहे हैं क्योंकि उनका पूरा का पूरा व्यापार ही ईंधन का है। तो दुनियाभर में इस दिशा में काम हो रहे हैं। पीएम के अमेरिकी दौरे और वहां पर अमेरिकी समकक्ष के साथ साझा बयान में ग्रीन हाइड्रोजन की चर्चा को लेकर श्री सुमन ने कहा कि यह हम जैसे लोग जो इस दिशा में काम करते हैं उनके लिए खुशी की बात है कि उस छोटे समय में भी पीएम ने ग्रीन हाइड्रोजन की बात की। हमारे पास शानदार संस्थान हैं जो अनुसंधान कर रहे हैं, हमारे पास घरेलू बाजार उपलब्ध है और संरचनात्मक विकास के लिए ही सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए 19 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया है।

ग्रीन हाइड्रोजन के भंडारण को लेकर उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति हमेशा से ऐसी रही है और हमारे वेदों में जो स्त्रोत लिखे हैं वह इक्वेशन है। अगर हम ग्रीन हाइड्रोजन की बात करें तो यह पेट्रोल एवं अन्य ईंधनों से चार गुना अधिक ज्वलनशील है। तो सुरक्षा मानकों के अनुसार हमें इसे स्टार करना होगा, और अब तो ग्रीन स्टील, ग्रीन सीमेंट की भी बात हो रही है, तो पूरे इकोसिस्टम में ही अनुसंधान हो रहे हैं। इसको इस तरह से व्यापक विस्तार देना चाहते हैं कि आम आदमी भी इसमें अपना योगदान दे सकते हैं। कई स्तर पर काम चल रहा है, कई संस्थान इस दिशा में काफी तेजी से काम कर रही है।

हाइड्रोजन एंटरपेन्योर सौरव सुमन ने कहा कि हमलोग चाह रहे हैं कि भविष्य के ईंधन ग्रीन हाइड्रोजन को आम आदमी के लिए किफायती कर सकें और इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। और इसका परिणाम यह है कि आज हम आम लोगों को हाइड्रोजन ईंधन के रूप में दे सकते हैं और वाहन मालिकों को इसका इंतजार नहीं करना पड़ेगा बल्कि वो गाड़ी में ही इसको बनाकर उपयोग कर सकते हैं, तो पेट्रोल और डीजल में इसको मिला देते हैं तो इससे प्रदूषण उत्सर्जन में काफी कमी आएगी और ईंधन का खफत भी काफी कम होगा।

कार्यक्रम में जी.के.सिंह नाम के एक दर्शक ने पूछा कि हाइड्रोजन को हम हाई प्रेशर पर जेनरेट करते हैं या लो प्रेशर पर? जवाब देते हुए सौरभ मोहन सक्सेना ने कहा कि हम लो प्रेशर पर जेनरेट करते हैं क्योंकि हाइड्रोजन काफी ज्वलनशील गैस होता है तो हाई प्रेशर के साथ काफी समस्या आ जाती है।इसी तरह अन्य दर्शकों ने भी विषय से जुड़े अपने सवाल पूछे जिसका उद्यमी सौरभ मोहन सक्सेना ने सहजता से जवाब दिया।

ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व

बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जा सकता है, साथ ही यह देश में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भी मददगार साबित हो सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन के प्रचलन के बाद भारत की जीवाश्म ईंधनो पर निर्भरता कम हो जाएगी। इस दिशा में वर्तमान की केंद्र सरकार और देश की तमाम उच्च शिक्षण संस्थान द्वारा अनुसंधान किए जा रहे हैं।

इस विषय पर आपका क्या विचार है अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।।

Share