ग्रेटर नोएडा/दिल्ली-एनसीआर – 27 जून 2023 – इंडियन फैशन ज्वैलरी एंड एक्सेसरीज़ शो (आईएफजेएस) ने पहले दो दिनों में ही गति पकड़ ली है। लगभग 200 प्रदर्शकों, कारीगरों और खरीदारों ने इस व्यापार मंच के अवसर का उपयोग अपने सर्वोत्तम लाभ के लिए किया। इस अवसर पर दोनों ही पक्षों को काफी कुछ सीखने को मिला। आयोजन के दूसरे दिन कई उत्पादों के साथ रैंप प्रस्तुतियाँ हुईं। इसके अलावा आयोजन में बड़ी संख्या में प्रतिभागियों और भारत सरकार के अतिथियों ने हिस्सा लिया।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर के वर्मा ने खरीदारों और विजिटर आगंतुक के बारे में सूचित किया कि,”पहली बार आने वाले आगंतुक वातावरण और केंद्रित प्रदर्शन और प्रस्तुतियों से बहुत खुश नज़र आए। कई लोग वर्षों से आईएफजेएस में अपनी प्राथमिकताओं के हिसाब से सोर्सिंग के लिए निर्माताओं से मिल रही प्रतिक्रिया को लेकर बहुत प्रसन्न दिखे।”
यूके से आए खरीदार एंड्रयू, यहां पर पहनावे की रंगत बढ़ाने के लिए सहायक उपकरण की सोर्सिंग के लिए आए हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया, “मुझे विशेष रूप से बैग पसंद हैं। मैं अपनी सोर्सिंग में आधुनिक और पारंपरिक दोनों डिजाइनों में से चयन करूंगा।” निकोला, बुश डिजाइन्स इस आयोजन में जर्मनी से पहली बार आए हैं। उन्होंने बताया, “हालांकि मैंने अतीत में भारत से आयात किया है, यह मेले में मेरी पहली यात्रा है। मैंने यहां के बारे में काफी कुछ सुना था, इसलिए मैं यहां आभूषणों, कांच के मोतियों और कागज के सामान के लिए आया हूं। मुझे यहां पर उत्पाद की गुणवत्ता, स्टालों के साफ-सुथरा प्रदर्शन और खरीदार-विक्रेता का सहज संचार पसंद आया है।’दक्षिण अफ्रीका की एक खरीदार मरीना पहले भी आईएफजेएस का दौरा कर चुकी है। अपनी भावनाओं को और मजबूत करने के साथ ही अधिक जानकारी हासिल करने वो यहां की यात्रा कर रही हैं। उन्होंने कहा, “यहां के उत्पाद अद्भुत हैं और मेरे ग्राहक उन्हें पसंद करते हैं।”
“आईएफजेएस 2023 के अध्यक्ष, अमित जैन ने कहा, “आईएफजेएस में आए देश के कोने-कोने से आए प्रतिभागियों के विशेष क्षेत्रीय प्रदर्शन पर आगंतुक पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं। उन्हें उनके हिस्सा का ध्यान और मार्केट एक्सपोजर से मिल रहा है।” आयोजन में प्रदर्शित कुछ आभूषण में शिल्पों का एक समृद्ध इतिहास है और इन्हें पारिवारिक परंपरा के तौर पर जारी रखा जा रहा है। साथ ही इन्हें आज के रुझानों के अनुरूप आकर्षक स्पर्श भी दिया गया है। इन हस्तशिल्पों में मीनाकारी, चिकनकारी, जरदोजी, मनका शिल्प, रिवर रीड बुनाई, कांथा और कोल्हापुरी चमड़े के शिल्प प्रमुख हैं।
इस अवसर पर हर्षवर्द्धन गुप्ता, उपाध्यक्ष, आईएफजेएस 2023 ने जानकारी दी की, “अन्य गतिविधियों के अलावा, शो में कई प्रतिभागियों ने उत्पादों के साथ रैंप प्रस्तुतियों कर आगंतुकों का ध्यान और सराहना बटोरी। खरीदारों ने फैशन ज्वैलरी, स्कार्फ और स्टोल, बैग, परिधान और हस्तनिर्मित जूते जैसे कपड़ा आधारित सामानों के संग्रह पर व्यावहारिक नजर डालने के लिए विजुअल मर्चेंडाइजिंग के इस तरीके की सराहना की है।”
आर के वर्मा कार्यकारी निदेशक – ईपीसीएच ने सूचित किया कि निर्यात को बढ़ावा देने और “थिंक एक्सपोर्ट” की सामयिकता को ध्यान में रखते हुए, उभरते उद्यमियों, स्टार्ट-अप, अंतरराष्ट्रीय पहुंच की तलाश कर रहे कारीगरों आदि के साथ “हाऊ टु स्टार्ट एक्सपोर्ट बिजनेस एंड एक्सप्लोर एक्सपोर्ट ऑपरच्यूनिटी” विषयक एक सेमिनार आज आयोजित किया गया। इस सेमिनार में उद्योग विशेषज्ञों और वरिष्ठ ईपीसीएच संकाय के वक्ताओं ने निर्यात शुरू करने, डिजाइन और उत्पाद विकास, खरीदारों से जुड़ने, विकास के लिए समकालीन मार्केटिंग प्रथाओं आदि पर जानकारी साझा की।
इस अवसर पर ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर.के वर्मा ने बताया कि हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और होम, जीवनशैली, कपड़ा, फर्नीचर और फैशन आभूषण और एसेसरीज के उत्पादन में लगे देश के विभिन्न शिल्प समूहों में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के करिश्माई उत्पादों की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल एजेंसी है। उन्होंने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 30019.24 करोड़ (3728.47 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में फैशन ज्वैलरी और एसेसरीज का निर्यात 1854.97 करोड़ (230.39 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा।