स्कूली शिक्षा के गिरते गुणवत्ता को लेकर सपा नेता राजकुमार भाटी ने सीएम योगी पर जमकर हमला बोला

टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (23/05/2023)

शिक्षा वह बहुमूल्य आभूषण है जिसको ग्रहण कर देश के नौनिहाल अपना और देश का भविष्य बेहतर बना सकते हैं। लेकिन आज शिक्षा की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर हो रही है जहां सरकारी स्कूलों में शिक्षा और शिक्षकों का अभाव देखने को मिलता है, वहीं निजी स्कूलों में शिक्षा और शिक्षक दोनों है लेकिन निजी स्कूलों की फीस अधिक होने के कारण अविभावकों की कमर टूट रही है।साथ ही मदरसों में मुख्य रूप से एक समुदाय के पक्ष में शिक्षा दी जा रही है। इसलिए आज के समय में शिक्षा का अभाव बढता जा रहा है। वहीं देश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता कम होने पर समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने अपना विचार व्यक्त किया है। स्कूली शिक्षा के गुणवत्ता पर योगी आदित्यनाथ की सरकार को आड़े हाथ लिया है।

समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने एक निजी चैनल के बहस में प्रतिभाग करते हुए स्कूली शिक्षा के गुणवत्ता पर योगी आदित्यनाथ की सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार और पार्टी जब भी काम करती है तो चुनाव को ध्यान में रखकर काम करती है। सब पार्टियां करती हैं। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मदरसों से ज्यादा ही मोहब्बत है। जो बार-बार कहते रहते हैं कि मदरसों में सुधार करेंगे, मदरसों का उद्धार करेंगे, मदरसों का नियमितीकरण करेंगे‌ और मदरसों को कंप्यूटर देंगे। सीएम योगी का सारा ध्यान मदरसों पर है। लेकिन वह स्कूलों पर ध्यान क्यों नहीं देते? जिसमें खासतौर से सरकारी स्कूल पर क्यों नहीं ध्यान देते हैं? साथ ही आजकल देखा जा सकता है कि प्राइवेट स्कूल खुली लूट मचा रहे हैं। जिसमें देखा जा सकता है कि निजी स्कूलों के सेशन शुरू होते ही अभिभावकों के आंदोलन शुरू हो जाते हैं। जैसे की अंधाधुंध फीस ली जाती है। साथ ही स्कूलों से ही किताब और ड्रेस दी जाती है ताकि अवैध वसूली की जा सके। अत्यधिक पैसा वसूलने के लिए किताब और ड्रेस कोड बदल दिए जाते हैं ‌और निजी स्कूल इन सब चीजों पर मुनाफाखोरी करता है। सरकार के मंत्री हर बार घोषणा करते हैं कि इस बार निजी स्कूलों की ऐसी मनमानी नहीं चलेगी लेकिन हर बार स्थिति वही की वही देखने को मिलती है। अभिभावक धरना प्रदर्शन करते रहते हैं और निजी स्कूलों की अवैध वसूली जारी रहती है।

आगे उन्होंने कहा कि सीएम योगी सरकारी स्कूलों पर ध्यान क्यों नहीं देते हैं। सरकारी स्कूलों में सवा लाख के करीब टीचर्स के पद खाली पड़े हैं टीचर्स की भर्तियां नहीं हो पा रही है। बच्चों को ड्रेस और किताबें टाइम से नहीं मिल पा रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्कूलों पर भी ध्यान देना चाहिए चाहे वह सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट स्कूल। अगर मदरसों में कुछ अवैध हो रहा है, अनैतिक हो रहा है और गैरकानूनी हो रहा है। तो सरकार को पूरा हक है उस पर कार्यवाही करने का और सरकार को करना चाहिए कि अनैतिकता न हो, कोई गैर-कानूनी कृत्य न हो। लेकिन वो प्रश्न अभी भी अपनी जगह खड़ा है कि हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मदरसों पर ध्यान देते हैं और मदरसों के बच्चों की चिंता क्यों है? उनको हिन्दूओं के बच्चों की चिंता क्यों नहीं है जो निजी स्कूलों में पढ़ते है ? साथ ही सीएम योगी को गरीब बच्चों की चिंता क्यों नहीं है जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते है?

वाकाई ही आज निजी स्कूलों में शिक्षा के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अवसर बहुत कम होते जा रहे हैं। मदरसों में केवल एक समुदाय विशेष को ध्यान में रखकर शिक्षा दी जा रही है। ऐसे में बच्चे कैसे उच्च और गुणवत्ता वाली शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं? अगर बच्चों को उच्च और गुणवत्ता वाली शिक्षा नहीं प्राप्त हुई तो उनका भविष्य क्या होगा? क्या सरकार देश में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कोई कदम उठाएगी?

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