गलगोटिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ ने “सुप्रीम कोर्ट: संविधान के संरक्षक और मौलिक अधिकारों के रक्षक” पर एक अतिथि व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में माननीय न्यायमूर्ति जे आर मिधा की गरिमामयी उपस्थिति रही। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और प्रोफेसर एमेरिटस स्कूल ऑफ लॉ; भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. प्रदीप राय, और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार, संचालन निदेशक आराधना गलगोटिया, गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के. मल्लिकार्जुन बाबू और स्कूल ऑफ लॉ की डीन प्रोफेसर (डॉ.) नमिता सिंह मलिक ने भी मंच की शोभा बढ़ाई।
आराधना गलगोटिया, निदेशक संचालन ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों और छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने न्यायशास्त्र के बदलते पहलुओं को समझने और कानून का अभ्यास करने के तरीके पर छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया।
माननीय न्यायमूर्ति जे आर मिधा, प्रोफेसर एमेरिटस स्कूल ऑफ लॉ, गलगोटियास विश्वविद्यालय, ने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कानूनी अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण कौशल, जैसे संचार कौशल, कानून के मूल सिद्धांतों और कानूनी तर्क पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस आयोजन के लिए स्कूल ऑफ लॉ को बधाई दी और छात्रों के करियर के लिए फायदेमंद इस तरह की वार्ता आयोजित करने के लिए उनकी सराहना की।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. प्रदीप राय ने “भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास कैसे शुरू करें” पर एक विस्तृत बातचीत की। उन्होंने निर्णयों को पढ़ने और उनका विश्लेषण करने और कानून के प्रस्ताव और बिंदु पर निर्णयों से अच्छी तरह वाकिफ होने के महत्व पर बल दिया। डॉ. राय ने कक्षा, आत्म-पठन और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर नीरज कुमार ने संवैधानिक नैतिकता के महत्व और विभिन्न पहलुओं पर ध्यान आकर्षित किया। मेहमानों ने नाज फाउंडेशन केस से लेकर वर्तमान तक संवैधानिक नैतिकता के विकास पर चर्चा की। विद्वान ने संवैधानिक नैतिकता के अध्ययन के लिए विभिन्न फैसलों और दृष्टिकोणों को उजागर किया और इसे जनतातान्त्रिक नैतिकता की विचारधारा से भिन्न बताया।
गलगोटियाज विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने अपने संदेश में विद्यार्थियों से कहा कि कठिन परिश्रम और ईमानदारी दोनों ही जीवन की सफलता के मूल मंत्र हैं। विश्वविद्यालय के सीईओ ध्रुव गलगोटिया ने विद्यार्थियों से कहा कि आने वाले समय में देश की न्याय व्यवस्था आपके हाथों में होगी। आपकी कार्यप्रणाली में आपकी ईमानदारी और आपकी कर्तव्यपरायणता की झलक होनी चाहिए। देश आपसे यही उम्मीद करता है।
अंत में, प्रोफेसर (डॉ) नमिता सिंह मलिक ने सभी आमंत्रित मेहमानों, छात्रों और संकायों को वोट ऑफ थैंक्स दिया। डॉ. नमिता ने अपने संयोजनी टिप्पणियों में यह कहा कि विधि छात्र न केवल ज्ञान का संचय करें या प्रसार करें बल्कि अपनी पढ़ाई और विश्लेषण के माध्यम से नया ज्ञान भी बनाएं।