IIIMT STUDENTS CREATE GOLDEN BOOK OF WORLD RECORDS

Gr Noida : आईआईएमटी के छात्रों ने रचा इतिहास
-विश्वक की सर्वाधिक मोटी हस्ततलिखित इंजीनियरिंग पांडुलिपि (पुस्त क) की तैयार -महज एक घंटे में लिखने के बाद बाईडिंग कर तैयार करने का विश्वि का पहला रिकॉर्ड
ग्रेटर नोएडा। आईआईएमटी कॉलेज समूह के छात्र और छात्राओं ने विश्वं में सर्वाधिक मोटी हस्तटलिखित इंजीनियरिंग पांडुलिपि (पुस्ताक) तैयार करने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। इस पुस्तंक को लिखने का कार्य 2904 विद्यार्थियों ने एक साथ शुरु किया और 11616 हजार पृष्ठों की किताब महज 35 मिनट में लिख दी और कुल 60 मिनट में कंपाइल होकर तैयार हो गई। इतने कम समय में सर्वाधिक मोटी हस्तटलिखित पुस्तकक तैयार करने का यह पहला विश्वई रिकॉर्ड है।
गोल्डेिन बुक ऑफ वर्ल्डस रिकॉर्ड के प्रतिनिधियों ने इस घटना को लाइव रिकॉर्ड किया। इसी दौरान उन्हों ने आईआईएमटी को विश्वि रिकॉर्ड बनाने का प्रमाण पत्र भी भेंट किया। रिकॉर्ड मेकिंग का हिस्साह बनकर विद्यार्थियों के चेहरे पर जबर्दस्तण रोमांच और उत्साॉह था। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क तीन स्थित आईआईएमटी कॉलेज परिसर में किया गया। 2904 विद्यार्थियों ने सुबह 11 बजे लेखन कार्य शुरु किया और एक घंटे के अंदर 11616 पृष्ठों की इंजीनियरिंग पांडुलिपि तैयार कर दी। आईआईएमटी समूह के चेयरमैन योगेश मोहनजी गुप्ता6 ने मौके पर पहुंचकर विद्यार्थियों का उत्सािहवर्धन किया। उन्होंरने कहा कि यह विश्व का अद्भुत और अनोखा रिकॉर्ड है। छात्र और छात्राओं ने अपने अदम्यं उत्साहह से यह साबि‍त कर दिया कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।
आईआईएमटी कॉलेज समूह के प्रबंध निदेशक मयंक अग्रवाल ने कहा, कि इस अद्भुत रिकॉर्ड को बनाने के पीछे मुख्यि मकसद बच्चोंक को कुछ नया करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साेहित करना था। इस कार्यक्रम के टीम लीडर डॉ. राहुल गोयल ने बताया कि इस उपलब्धि का श्रेय विद्यार्थियों की मेहनत और परिश्रम के साथ कॉलेज के शिक्षकों और प्रबंधकों को जाता है, जिन्हों्ने विद्यार्थियों को असाध्यक कार्य को साध्यक बनाने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया।

गौरतलब है कि 15 फरवरी को आईआईएमटी विश्व्विद्यालय मेरठ के 3105 छात्र और शिक्षकों ने महज 80 मिनट में भगवद्गीता के श्लोषकों का उच्चा रण कर विश्व1 रिकॉर्ड बनाया था। पहले यह रिकॉर्ड जर्मनी के नाम दर्ज था। इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए विद्यार्थी कुछ समय पहले से ही तैयारी कर रहे थे। कॉलेज के शिक्षकों और प्रबंधकों ने अपने विद्यार्थियों को इस कार्य को करने के लिए जागृत, प्रेरित और उत्साोहित किया।

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