दिव्यांग बच्चों की कलाकारी दृष्टिबाधित आदिल की जुबानी, पढ़ें पूरी खबर || IHGF 55th Delhi Fair

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (21 मार्च 2023): ग्रेटर नोएडा के प्रसिद्ध इंडिया एक्सपो मार्ट में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH) द्वारा 15 मार्च से 19 मार्च तक IHGF 55th Delhi Fair लगाया गया। जिसमें देशभर के अलग-अलग प्रदेशों से उस प्रदेश से एवं हस्तशिल्प से जुड़े भारतीय और देशी उत्पादों के स्टॉल लगे। दुनियाभर के अलग अलग देशों से बायर्स आए।

इसी कड़ी में राजस्थान के जोधपुर से ब्लाइंड एंड डेफ स्कूल के बच्चे EPCH में आए और दृष्टिबाधित आदिल ने टेन न्यूज से खास बातचीत की और अपने अनुभव साझा किए। आदिल ने कहा कि हमारी संस्था की जो फाउंडर श्रीमती सुशीला भौरा है और वह बहुत कर्मठ और दयावान है। उनके पति के 25 साल की उम्र में एक्सीडेंट के कारण आंखों का रोशनी चली गई थी और कुछ दिन बाद उनका मृत्यु हो गया था। उसके बाद उनको लगा कि दिव्यांगजन के लिए कुछ करना चाहिए। इसी तमन्ना के साथ वो आगे बढ़ी और दो बच्चों के साथ एक मंदिर में पढ़ाना शुरू किया। उनके पति की मृत्यु के बाद दृष्टिबाधितों की मदद करने के लिए दो बच्चों के साथ जोधपुर राजस्थान में एक स्कूल की शुरुआत की। इसकी शुरुआत 15 अगस्त 1977 को की गई थी। आज उस संस्था के 46 साल हो गए हैं।

उन्होंने आगे बताया कि वह न केवल दृष्टिबाधित बल्कि जो बच्चे सुन नहीं सकते और जिसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता उन तीनों के लिए ये संस्था काम करती है। इनके लिए पढ़ाई के साथ-साथ म्यूजिक, कंप्यूटर और आर्ट एंड क्राफ्ट के लिए स्पेशल ट्रेनर हायर करती है और उनको ट्रेनिंग दिलवाती है ताकि वह प्राइवेट सेक्टर में कुछ अच्छा काम कर सके।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगभग 750 से अधिक दिव्यांग बच्चे पढ़ रहे हैं वहां पर स्कूलिंग, ग्रेजुएशन, स्पेशल बीएड और डीएड भी है और डिग्री डिप्लोमा भी कराया जाता है। इसके अलावा, डेफ एंड डंप बच्चों के लिए 10वीं तक स्कूल है। साथ ही एमआर बच्चों के लिए एमआर होम है। वर्तमान में एमआर के 175 बच्चे हैं और 260 के आसपास डेफ एंड डंप के बच्चे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे इस संस्थान से जुड़े हुए 18 साल हो गए हैं और मैं यहां से ही स्कूल, ग्रेजुएशन और बीएड किया हूं। साथ ही उन्होंने बताया कि वर्तमान में मेरा रेलवे में चयन हुआ है।

उन्होंने कहा कि मैं ईपीसीएच की व्यवस्था से पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं। मैं यहां पर 3 साल से स्टॉल लगा रहा हूं और मुझे अभी तक यहां पर कोई कमी नजर नहीं आया है।

बता दें कि यह संस्था राजस्थान के जोधपुर में स्थित है। इसकी स्थापना 15 अगस्त 1977 को किया गया था और ये संस्था दृष्टिबाधित, जो बच्चे सुन नहीं सकते और जिसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता उनके लिए काम करती है।।

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