फ्लैट खरीदारों को आशियाना दिलाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने लिया महत्वपूर्ण फैसला

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने फ्लैट खरीदारों को उनका आशियाना दिलाने के लिए राहत का पिटारा खोल दिया है। लंबे समय से इंतजार कर रहे खरीदारों को पजेशन दिलाने के मकसद से रि-शेड्यूलमेंट पॉलिसी को लागू करने पर मंजूरी दे दी है। रि-शेड्यूलमेंट पॉलिसी 01 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक सिर्फ बिल्डर व वाणिज्यिक परियोजनाओं (ग्रुप हाउसिंग एवं स्पोर्ट्स सिटी) पर ही लागू होगी। इसका फायदा उन बिल्डरों को मिलेगा, जिन्होंने ऑक्यूपेंसी या कंपलीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 128वीं बोर्ड बैठक बुधवार को नोएडा प्राधिकरण के सभागार में हुई। नोएडा-ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन अरविंद कुमार की अध्यक्षता में नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी, यीडा के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह व उत्तर प्रदेश वित्त निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. राज शेखर की मौजूदगी में कई अहम फैसले हुए। खासकर फ्लैट खरीदारों को उनका हक दिलाने के लिए बोर्ड ने कई प्रस्तावों पर मुहर लगा दी है। दरअसल, कोविड और रियल एस्टेट में मंदी के चलते बड़ी संख्या में बिल्डर परियोजनाएं लंबित हैं, जिससे घर खरीदारों को घर नहीं मिल पा रहा और प्राधिकरण को बकाया भुगतान नहीं मिल रहा। इस वजह से खरीदारों के नाम संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही। घर खरीदारों की समस्या का हल निकालने और री-शेड्यूलमेंट पॉलिसी को तय करने के लिए प्राधिकरण की तरफ से समिति बनाई गई। समिति की रिपोर्ट के आधार पर री-शेड्यूलमेंट का प्रस्ताव बनाकर बोर्ड के समक्ष रखा गया।इसके अनुसार बकाया धनराशि का री-शेड्यूलमेंट सिर्फ दो वर्षों के लिए होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हर छह माह पर ब्याज दर रिवाइज की जाएगी। आवंटी पर बकाया सभी तरह की धनराशि (मूल किस्त, अतिरिक्त प्रतिकर व लीज रेंट) को जोड़ते हुए कुल बकाया धनराशि पर ही री-शेड्यूलमेंट लागू होगा। रीशेड्यूलमेंट का पत्र जारी होने के एक माह के भीतर कुल बकाया धनराशि का 20 फीसदी जमा करना होगा। रीशेड्यूलमेंट के बाद भी अगर आवंटी की दो किस्तें डिफॉल्ट होती हैं तो प्राधिकरण आवंटन को बिना सूचना दिए निरस्त कर देगा। इस बोर्ड बैठक में ग्रेनो प्राधिकरण की एसीईओ अदिति सिंह, प्रेरणा शर्मा, अमनदीप डुली व आनंद वर्धन, ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव संतोष कुमार, जीएम वित्त विनोद कुमार व आरके देव सहित तमाम वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे।

बिल्डर्स भूखंडों पर टाइम एक्सटेंशन चार्जेस में भी बोर्ड ने दी राहत

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने फ्लैट खरीदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए बिल्डर्स भूखंडों पर टाइम एक्सटेंशन चार्जेस (समय विस्तरण शुल्क) में भी राहत दे दी है। बोर्ड ने शुल्क में कमी के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया है। साथ ही जितना निर्माण हो चुका है, उस पर अब टाइम एक्सटेंशन चार्जेस नहीं लगेंगे।

दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से बिल्डर्स परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए अधिकतम 15 वर्ष तक सशुल्क समय देने और उसके बाद आवंटन निरस्त करने का प्रावधान है। वर्तमान समय में यह शुल्क दो तरह से लिया जाता है। पहला, प्रोजेक्ट के पार्ट कंपलीशन के लिए टाइम एक्सटेंशन लेने पर तीन साल बाद और 15 साल तक प्रति माह एक प्रतिशत (सालाना 12 प्रतिशत) शुल्क लिया जाता है। दूसरा, प्रोजेक्ट के पूर्ण कंपलीशन के लिए टाइम एक्सटेंशन लेने पर सात वर्ष के बाद आठवें वर्ष चार प्रतिशत, नौवें वर्ष छह प्रतिशत और 10वें वर्ष 8 प्रतिशत शुल्क लगता है। बिल्डर्स इस शुल्क का भार भी फ्लैट खरीदारों पर डाल देते हैं। क्रेडाई व नरेडको की मांग पर इन खरीदारों पर टाइम एक्सटेंशन चार्जेस का बोझ कम करने के लिए प्राधिकरण बोर्ड ने टाइम एक्सटेंशन चार्जेस में संशोधन किया है। अब पूर्ण कंपलीशन लेने पर सात वर्ष तक कोई शुल्क नहीं लगेगा। उसके बाद आठवें वर्ष एक प्रतिशत, नौवें वर्ष दो प्रतिशत, 10वषें वर्ष तीन प्रतिशत, 11वें वर्ष चार प्रतिशत, 12वें वर्ष पांच प्रतिशत, 13वें वर्ष 6 प्रतिशत, 14वें 7 प्रतिशत व 15वें वर्ष 8 प्रतिशत शुल्क लगेगा, जबकि पार्ट कंपलीशन के लिए टाइम एक्सटेंशन लेने पर तीन वर्ष बाद चौथे साल 1 प्रतिशत, पांचवें वर्ष दो, छठें वर्ष तीन और सातवें वर्ष 4 प्रतिशत शुल्क लगेगा। इसका फायदा 1.57 लाख खरीदारों को मिलेगा। गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एरिया में करीब 195 बिल्डर्स भूखंड आवंटित हैं, जिनमें से 61 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 50 परियोजनाओं का पार्ट कंपलीशन हुआ है। शेष परियोजनाओं का कंपलीशन बाकी है। इन परियोजनाओं में करीब 1.57 लाख खरीदारों ने फ्लैट खरीद रखा है। इन सभी को टाइम एक्सटेंशन शुल्क में कटौती का फायदा मिलेगा। साथ ही बोर्ड ने जितना निर्माण हो चुका है उस पर टाइम एक्सटेंशन शुल्क न लेने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है।

अब एफएआर परचेज करने पर संशोधित मैप पर दो तिहाई बायर्स की सहमति जरूरी

फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने एक अहम फैसला लिया है। अब अगर बिल्डर अनुमन्य एफएआर (फ्लोर एरिया रेष्यो) परचेज करता है तो उसे संशोधित मैप पर प्राधिकरण से स्वीकृति तब मिलेगी, जब वह दो तिहाई फ्लैट खरीदारों की सहमति पत्र प्राधिकरण में जमा करेगा। अपार्टमेंट एक्ट 2010 में भी यह प्रावधान किया गया है। अगर प्रोजेक्ट इस एक्ट के लागू होने से पहले का है तो भी बिल्डर को दो तिहाई खरीदारों की सहमति देनी होगी। यही नहीं, बिल्डरों को फ्लैट खरीदारों की सूची भी प्राधिकरण को उपलब्ध करानी होगी। प्राधिकरण बोर्ड की मंशा है कि एफएआर परचेज करने के बाद बिल्डर मनमानी तरीके से उसे लागू न कर सके, इसके लिए खरीदारों से सहमति पत्र लेना जरूरी है।

Share