तन से दिव्यांग, मन से बलवान। पढ़ें दिव्यांग योग गुरु तेजस्वी शर्मा के स्वर्णपदक विजेता बनने की ओजस्वी कहानी

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (31 जुलाई 2022):

” मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे”

कहते हैं कि मनुष्य की जिजीविषा एवं इच्छाशक्ति बड़े से बड़े एवं असंभव कार्यों को संभव बना देती है। हिन्दुस्तान सहित पूरे विश्व में कई ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अपने सपनों को एक नई उड़ान दिया है। भारत की अरुणिमा सिन्हा एवं इंग्लैंड के स्टीफंस हॉकिंग सहित कई ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने कई बाधाओं को पारकर सफलता हासिल की है।

” वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल ना हो,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या, जब धाराएं प्रतिकूल ना हो”
“जयशंकर प्रसाद”

ऐसे ही एक विपरीत परिस्थितियों से अपने संघर्षों के सहारे सकारात्मक सोच कड़ी एवं नियमित मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा का एक युवक जो शरीर से तो दिव्यांग है, परन्तु मन से बलवान है। युवक का नाम है ‘तेजस्वी शर्मा’, तेजस्वी शाररिक रूप से दिव्यांग है, 9 महीने की आयु में ही वह पोलियो जैसे गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए थे। 9 महीने की आयु से ही वह योगा करना शुरू कर दिया। तेजस्वी कहते हैं:
” मैं जब 9 महीने का था तो मैं पोलियो बीमारी का शिकार हो गया, और तब से मैंने नहीं बल्कि योग ने मुझे अपना लिया। और 5 वर्ष की आयु के बाद मैं स्वयं योगाभ्यास करने लगा।”

 

यह संघर्षपूर्ण सफर इतना सरल नहीं था, कई चुनौतियों से भरे इस सफर पर यात्रारत थे तेजस्वी। लेकिन एक कहावत है कि “अगर मेहनत शिद्दत से की गई हो तो सफलता जरूर मिलती है।” ठीक उसी प्रकार तेजस्वी ने दिनरात योगाभ्यास करने लगे और इसी क्षेत्र में जीवन को मोड़ने का संकल्प लिया।

समयानुरूप तेजस्वी भारत सहित दुनिया के कई मंचो पर योगासना प्रतियोगिता में भाग लिया, और अपना परचम लहराया। तेजस्वी ने 2010 में भारतीय योगा चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया, वर्ष 2012 में हांगकांग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योगा चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 2011 में विश्व योग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और वर्ष 2014 में अंतरराष्ट्रीय योगा चैंपियनशिप, संघाई में रजत पदक अपने नाम किया। वर्ष 2015 में इन्हें समता अवार्ड, यंग एचीवर अवार्ड एवं भारत योग रत्न अवार्ड से नवाजा गया।

 

इतना ही नहीं उन्होंने कई ऐसे कामयाबी हासिल किया है, आपको बता दें कि इनका नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। साथ ही तेजस्वी वर्तमान में पेशे से अधिवक्ता हैं और साकेत न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं। और साथ ही वो भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन बनी संस्था NYSF के संयुक्त निदेशक भी हैं।

टेन न्यूज से खास बातचीत में तेजस्वी ने अपने संघर्ष पूर्ण यात्रा की चर्चा करते हुए कहते हैं कि:

” यह सफर इतना आसान नहीं था, कई मंचों पर कई जगहों पर लोगों के द्वारा अपमानित हुआ, लेकिन हार नहीं मानी और नियमित रूप से मेहनत करता रहा।” साथ ही उन्होंने कहा कि “हमारे समाज भी आज भी दिव्यांगों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किए जाते हैं। जबकि उसके व्यक्ति के दिव्यांगता में उसका कोई दोष नहीं है। हमारे समाज को भी अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।”

 

आपको बता दें कि अब केंद्र सरकार द्वारा योगा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले युवाओं को केंद्र सरकार के अधीन ‘C’ श्रेणी की नौकरी भी प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही योगा को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए और भी कई प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।।

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