जन्म, मृत्यु व कर्मफल का क्या है खेल, जानें ईशान आयुर्वेदिक कॉलेज के चेयरमैन डॉ डी0के गर्ग से

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (21 मार्च 2022): रविवार को ‘सच्ची बात प्रोफेसर विवेक कुमार के साथ’ परिचर्चा के 67 वें एपिसोड में मुख्य अतिथि डॉ डी.के गर्ग (चेयरमैन ईशान ग्रुप ऑफ कॉलेज ग्रेटर नोएडा ने जन्म, मृत्यु, कर्मफल पर अपने विचार सांझा किये।

परिचर्चा की शुरुआत में प्रोफेसर विवेक कुमार ने डॉक्टर डी.के गर्ग का हार्दिक अभिनंदन किया, प्रोफेसर विवेक कुमार ने डॉक्टर डी.के गर्ग का संक्षिप्त परिचय देते हुए दर्शकों को बताया कि डॉ डी.के गर्ग ने MCom, LLB, MBA, LLM, MIPL और LAW मे पीएचडी और डबल पीएचडी की हुयी है। डॉ गर्ग उच्च कोटि के विद्वान और वेदपाठी हैं, डॉ गर्ग की अलग-अलग विषयों पर 31 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।

आगे उन्होंने बताया कि डॉ गर्ग 15 लघु कथा लिख चुके हैं, आयुर्वेद के ऊपर 10 पुस्तकें लिख चुके हैं, आध्यात्म के ऊपर 6 पुस्तकें लिख चुके हैं। डॉ गर्ग गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार में राज्यपाल के द्वारा नामित एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर हैं। पिछले 32 वर्षों से डॉ गर्ग शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं।

परिचर्चा में प्रोफेसर विवेक कुमार ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य है कि समाज में जो भ्रांतियां फैली है या जो समाज और देश को प्रभावित करने वाले विषय है उन पर हम सच्चाई के साथ परिचर्चा करें। प्रोफेसर विवेक कुमार ने परिचर्चा के शुरू में डॉ गर्ग से उनकी प्रकाशित पुस्तकों के बारे में बातचीत की।

प्रो. कुमार ने पूछा कि जन्म, मृत्यु, कर्मफल यह एक ऐसे विषय हैं जिनके ऊपर समाज में बहुत सारी भ्रांतियां है, ऐसी पुस्तक लिखने के लिए आपको कहां से प्रेरणा मिली और कहां से यह विचार आया कि आपको इस पर पुस्तक लिखनी चाहिए। इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ गर्ग ने बताया कि जन्म, मत्यु और कर्मफल एक ऐसा विषय है जिसको जानने की सबकी इच्छा होती है, जब किसी के परिवार के सदस्य की मृत्यु होती है तो वह परिवार काफी दिनों, काफी वर्षो तक एक शोक में रहता है। उनके मन में यह सवाल आता है कि मेरे प्रियजन कहां हैं, कैसे हैं किस अवस्था में हैं, क्या कर रहे हैं, कहां उनका जन्म हुआ है, जबकि परिवार में किसी बच्चे का जन्म होता है तो उस परिवार में खुशी का माहौल होता है। एक तरफ स्वागत की तैयारी है और दूसरी तरफ दुख की तैयारी और हर किसी की इच्छा होती है कि उसे इस रोजाना की झंझट से मुक्ति मिले। एक बच्चा जब पैदा होता है तो वह अलग नहीं होता है धीरे-धीरे उसे चलना-बोलना, उठना-बैठना खाना-पीना, मां-बाप सिखाते हैं, सब फिर उसको उंगली पकड़ के स्कूल ले जाते हैं। स्कूल में संघर्ष की जिंदगी गुजरती है, वह बच्चा कब छोटे से बड़ा हो गया उसको पता ही नहीं चलता, उसका कीमती बचपन कही खो जाता है, बच्चा संघर्ष करते हुए स्कूल से पास होकर कॉलेज में जाता है, वहां भी संघर्ष करता है, अपने जीवन में उसके मन में विचार आता है कि उसको कुछ बनना है।

फिर बच्चा जब अपनी शिक्षा पूरी कर लेता है तो बच्चे का गृहस्थ जीवन शुरू हो जाता है। फिर परिवार मे आ जाता है फिर वही बच्चा एक दिन अपने बच्चों का पिता बन जाता है, फिर वह पिता अपने बच्चों से अपने सपने जोड़ देता है कि अपने बच्चे को यह बनाना है, एक पिता 20 से 30 साल अपने बच्चों के संघर्ष में लगाता है, हर पिता यह सोचता है कि जब उसके बच्चे बड़े हो जाएंगे तो वह आनंद के साथ अपना जीवन व्यतीत करेगा।

जब वह पिता 50 साल की उम्र में आता है तो उसकी इंद्रियां कमजोर होने लगती है, आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है, बाल सफेद होने लगते हैं, दांत गिरने लगते हैं, धीरे-धीरे वह व्यक्ति अपनी वृद्ध अवस्था में प्रवेश कर जाता है, फिर एक दिन शरीर प्राण त्याग देता है, किसी को समझ में नहीं आता कि क्या है जन्म, मृत्यु, संघर्ष, वृद्धावस्था । यह सब समझने के लिए मैंने कई वर्षों तक अध्ययन किया, कई विद्वानों से भी मैंने विचार विमर्श किया। फिर मेरी इच्छा हुई कि इसको कलम बंद कर दूं ,इन सब से ही प्रभावित होकर मैंने जन्म-मृत्यु-पुनर्जन्म एवं कर्मफल रहस्य पुस्तक लिखी है।

प्रोफ विवेक कुमार द्वारा पूछने पर डॉ डीके गर्ग ने पुस्तक के बारे में संक्षिप्त से बताया कि पुस्तक में 13 अध्याय हैं | तीन चीजें अटल है जो कभी नष्ट नहीं होती ईश्वर, जीव, और प्रकृति, इन तीनों को अलग से विस्तार से बताया गया है, अलग से इनके अध्याय हैं कि ईश्वर क्या है, जीव क्या है और प्रकृति क्या है, ईश्वर की उपासना क्या है, मृत्यु क्या है। फिर एक अध्याय आता है जिसमे बताया गया है कि मृत्यु के पूर्व और मृत्यु के बाद जीवात्मा की गति क्या होती है। फिर आगे अध्याय आता है पुनर्जन्म क्या है, कर्म फल क्या है। फिर आखरी अध्याय आता है मृत्यु के बाद जो कार्यक्रम होते हैं वो सब क्या है।

डॉ गर्ग ने कहा कि इन विषयों पर आज तक कोई वैज्ञानिक शोध ना तो हुआ है और ना ही संभव है। पुनर्जन्म किसी को कैसे मिला, क्यों मिला। इसलिए ऋषिगत ग्रंथों पर ही विश्वास करना उचित होगा । 5 ग्रंथों को इसमें समावेश किया गया है वेद, उपनिषद, मनुस्मृति, श्रीमद्भागवत गीता, दर्शन शास्त्र ।

प्रोफेसर विवेक कुमार ने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते है की हे कुंती नंदन तेरे और मेरे कई जन्म हो चुके हैं, अंतर केवल इतना है कि मुझे उन सारे जन्मों के बारे में जानकारी है, लेकिन तुझे उन जन्मों के बारे में पता ही नहीं है इसलिए तुझे सारा संसार नया लगता है। मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है, ऐसी ही अजीब आत्मा है, पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करती है।

डॉ डीके गर्ग ने जवाब देते हुए कहा कि मृत्यु शरीर की होती है, जीवात्मा की कभी मृत्यु नहीं होती है। जीवात्मा अपना चोला बदलती रहती है और कर्मों के अनुसार चोला प्राप्त करती है। कर्म तीन प्रकार के बताए गए हैं, प्रारबद्ध कर्म, क्रियामान कर्म और संचित कर्म। ईश्वर ने मनुष्य को कर्म करने की स्वतंत्रता दी है। सब में जीवात्मा एक समान है लेकिन जो हमारी बुद्धि है वह हमारे कर्मों के अनुसार हमें चलाती है। डॉ गर्ग कहते हैं कि पिछले जन्म की जो यादें होती हैं उस पर उन्हें विश्वास नहीं है।

प्रो विवेक कुमार ने आगे सवाल किया कि सोशल मीडिया पर उन्होंने एक वायरल वीडियो देखा है। उस वीडियो में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करने की कोशिश की है कि पृथ्वी का जो ऊपर वाला हिस्सा है वह स्वर्ग है, जबकि पृथ्वी के नीचे वाला हिस्सा जो है वह पाताल लोक है, तो आपका क्या मानना है, स्वर्ग की जो अवधारणा है पृथ्वी के ऊपर ही है।

डॉ गर्ग ने बताया कि इस विषय में उन्होंने कई विशेषज्ञ से बात भी की है। उन्होंने कहा कि पहले हमें अपना घर देखना चाहिए, घर में स्वर्ग है या नर्क बन रहा है। स्वर्ग और नर्क बस एक अवधारणा है। डीके गर्ग ने उदाहरण देते हुए बताया कि अब आप यूक्रेन को देख लीजिए नर्क बना हुआ है और दिल्ली या आसपास के क्षेत्र स्वर्ग है, अभी तो यह तो सिर्फ एक अवधारणा है। स्वर्ग जो है वह सिर्फ हमारा परिवार और हमारा खुश रहना ही स्वर्ग है।

प्रोफेसर विवेक कुमार आगे सवाल करते हैं कि एक अवधारणा यह भी है कि जब कोई भी मनुष्य जन्म लेता है तो उसको करोड़ों योनियों से गुजरने के पश्चात मनुष्य का जीवन प्राप्त होता है। मैंने ऐसा भी सुना है कि मानव रूप में जन्म लेने से पहले की जो योनि है वह गाय की होती है, इसलिए गाय को मनुष्य की मां कहा जाता है। आप वैज्ञानिक तरीके से क्या बताना चाहेंगे इस बारे में?

डॉ गर्ग ने जवाब देते हुए कहा कि करोड़ों योनियों के बाद मनुष्य को जीवन मिला यह गलत है, अगर मै इस जन्म में अच्छे कर्म कर लूं तो मैं मनुष्य बन जाऊंगा। हम यह तो मानते हैं कि अगले जन्म में हमारे कर्म साथ जाते है लेकिन वेदों में एक बात और लिखी हुई है कि हमें कर्मों के हिसाब से तीन फल मिलते है – जाति, आयु, भोग । अगला जन्म किस जाति में होगा यह ईश्वर निर्धारित करेंगे, पशु जाति, पक्षी जाति, मनुष्य जाति। आयु भी ईश्वर निर्धारित करता है कि हमारी आयु 100 वर्ष की है या 50 वर्ष की, जाति को नहीं बदला जा सकता लेकिन हम आयु को प्राणायाम, व्यायाम करके बदल सकते हैं। तीसरा आता है भोग हम कहां पैदा होंगे, कैसे वातावरण में पैदा होंगे हमारे कर्मों के अनुसार निर्धारित होता है।

प्रोफेसर विवेक कुमार आगे सवाल करते हुए पूछते हैं गाय के बारे में जो मान्यता है उसके बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे।

डॉ गर्ग जवाब देते हुए कहते हैं कि सबसे पहले आप यह समझिए की श्रृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई, श्रृष्टि की उत्पति अमुथली से हुई यह हमारे वेदों में लिखा हुआ है, उसी को माता कहा गया है। पांच तत्व को माता नहीं कहा गया है, गाय को तो माता सिर्फ इसलिए कहते क्यूंकि गाय हमें दूध देती है और उससे हमारा पालन-पोषण होता है बाकी सब गलत धारणाएं हैं। हमारी माँ, गऊ माँ, पृथ्वी माँ यह तीनों ही हमारे लालन पोषण में महत्वपूर्ण है।

प्रोफेसर विवेक कुमार आगे सवाल करते हुए कहते हैं कि अभी पिछले कुछ दिनों से एक मूवी चल रही है कश्मीर फाइल्स, उसमें एक आतंकवादी को दिखाया गया है जो कई लोगों को मारता है। क्या उस आतंकवादी को वह कर्म फल मिला।

डॉ डीके गर्ग जवाब देते हुए कहते हैं कि ईश्वर सर्वश्रेष्ठ न्यायधीश है अगर कोई यहाँ बच गया तो ईश्वर की न्यायलय में नहीं बचेगा क्योंकि वहां कोई वकील नहीं होता है, वहां कोई किसी का पक्ष नहीं रखता है, वहां ईश्वर को सब सच्चाई पता होती है। कर्मों का फल हमें तुरंत बाद मिल जाता है, कुछ कर्मों का फल थोड़े समय बाद मिलता है, कुछ कर्मों का फल जन्म जन्मांतर चलता रहता है । अगर कोई यहां रह कर मजे ले रहा है, सुख सुविधा की जिंदगी जी रहा है बुरे कर्म करने के बाद भी तो उसका परिणाम ईश्वर की न्यायालय में उसको भुगतना ही पड़ेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर मैंने सौ बुरे कर्म किए हैं वह 200 अच्छे कर्म कर दिए हैं तो वह भूले नहीं जाएंगे, उनका भी परिणाम भुगतना ही पड़ेगा। इंसान को अनुभूति नहीं होती कि वह जो कर रहा है वह सही है गलत है, इंसान अपने अनुसार सब कुछ करता रहता है उसको ज्ञान नहीं होता कि वह सही कर रहा है या गलत कर रहा है।

प्रोफ कुमार ने आगे महाभारत के समय का सवाल करते हुए पूछा कि ऐसा कहते हैं कि मां के गर्भ में बच्चे के अंदर कुछ ना कुछ संस्कार आते हैं अभिमन्यु के बारे में कहा जाता है कि अभिमन्यु को चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करना आता था और यह उसने अपनी माता के गर्भ में सीखा लेकिन उसको बाहर निकलना नहीं आता था इस बात में कितनी सच्चाई है और आप क्या मानते है।

इसको हमें वैज्ञानिक दृष्टि से और शास्त्रों की दृष्टि से दोनों तरीके से देखना चाहिए। बच्चा गर्भ में किस अवस्था में होता है यह विज्ञान सिद्ध कर चुका है, 7 महीने तक बच्चे का शरीर का निर्माण होता है और लगभग 9 महीने पूर्ण होने के बाद बच्चा बाहर आने की चेष्टा करता है, उसके बाद वह एक मिनट भी गर्भ में रहना नहीं चाहता। शास्त्र कहते हैं जो माता अपनी गर्भावस्था में कलेश में रहती है, बस बच्चा क्लेश में ही पलेगा जो माता बहुत सक्रिय रहती है तो उसका बच्चा सक्रिय ही रहेगा। यह बताना गलत है जन्म के बाद बच्चे को संस्कार दिए जाते हैं। बच्चे का सबसे पहले गुरु ईश्वर होता है। दूसरा गुरु उसकी मां होती है। यह कहना गलत है कि बच्चा सब कुछ गर्भ में ही सीख कर आता है।

प्रोफ कुमार ने आगे कहा कि ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति कर्म करने से या भक्ति मार्ग के द्वारा मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।

इसके जवाब में डॉ गर्ग ने कहा कि मोक्ष कभी ऐसे नहीं मिलता है कि आपने आज सोचा कि मै आज अच्छे कर्म करता हूं तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी । मोक्ष एक ऐसी अवधारणा है जिसके लिए बहुत प्रयत्न करने की जरूरत है, ईश्वर या प्राणायाम के द्वारा सानिध्य करना पड़ेगा। सर्वबीज और निर्वभीज दो ध्यान की अवस्थाएं होती हैं। ईश्वर के साथ जुड़ने के लिए आपको बहुत तप करना पड़ेगा। तप करने का अर्थ एक पैर पर खड़े रहना या भूखा रहना नहीं है, तप के द्वारा सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि ईश्वर क्या है, ईश्वर से अपने आपको कैसे जोड़ूं, तब जाकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

समाज में एक अवधारणा है कि अगर किसी व्यक्ति के साथ अच्छा हो जाता है तो उसको लगता है की मैंने मेहनत की, मैंने अच्छे कर्म किए तो उसका फल मुझे मिला है, जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ बुरा हो जाता तो भगवान को दोष देना शुरू कर देता है। यह अज्ञानता है, हम ईश्वर के कर्म फल में विश्वास नहीं करते और बहुत जल्दी ही अपना आपा खो बैठते हैं। गलत हुआ तो उसका दोष ईश्वर को नहीं देना चाहिए क्योंकि ईश्वर को कुछ भी काम करने के लिए किसी एजेंट की आवश्यकता नहीं होती है हमारे समाज में एक गलत अवधारणा भी है कि ईश्वर ने किसी को शेर बना कर भेजा, किसी को इंसान बना कर भेजा, किसी को हाथी बना कर भेजा, ईश्वर खुद में परम शक्तिशाली है, ईश्वर सबको पैदा करता है, ईश्वर के तीन प्रमुख कार्य है, ईश्वर सृष्टि को बनाता है, चलाता है, और समाप्त करता है। समाप्त तब करते हैं जब पृथ्वी पर ज्यादा पाप बढ़ जाता है, हर इंसान पापी बन जाता है तो ईश्वर प्रलय भी ला सकता है।

प्रोफ कुमार ने आगे पुछा कि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मेरी आयु कितनी होगी, मैं क्या-क्या भोग करूंगा, ईश्वर ने सब मेरे बारें में लिखा हुआ है, ईश्वर ने जन्म के साथ ही प्रारबद्ध तय कर दिया है, कितना सही है ये?

ईश्वर हमें जन्म के साथ ही तीन चीजें देता है – आयु, भोग, और जाति। हम अपने कर्मों के अनुसार बदल सकते हैं, यदि कोई व्यक्ति प्राणायाम करें, अपने शरीर का ध्यान रखें, सात्विक भोजन करें तो वह अपनी आयु को बढ़ा सकता है। भोग को हम ज्ञान प्राप्त करके बदल सकते हैं।

अंत में प्रोफ कुमार ने पुछा कि कुछ विद्वान बच्चे के जन्म के समय उसकी पत्री बनाते हैं, नाम के माध्यम से, कुछ अंकों के माध्यम से या उसके जन्म स्थान के माध्यम से व्यक्ति की आयु निर्धारित करते हैं। लेकिन आप ने कहा है कि ईश्वर ने व्यक्ति की आयु 100 वर्ष तय की है लेकिन व्यक्ति प्राणायाम, व्यायाम करके इसको घटा या बढ़ा सकता है। क्या सोचते है आप इस बारे में?

यह सब अज्ञानता है, जिसने दर्शन शास्त्र का ज्ञान नहीं लिया वह सब इन चक्कर में पड़े रहते हैं। किसी का जन्म, किसी की मृत्यु इंसान के हाथ में नहीं है। आपने कोरोना काल में देखा होगा बहुत लोगों की मृत्यु हो रही थी बहुत जो बाबा बने रहते थे कि वह पूजा कर लीजिए, यह कर लीजिए, वह सब गायब हो गए, कही नजर ही नहीं आए। ये सब कर्म से भागने के तरीके हैं और कुछ लोग अपना परिश्रम से कमाया धन इन लोगों पर लगाते हैं धन का दुरुपयोग करना दोष है।

इस प्रकार से दोनों विद्वानों के बीच एक सार्थक परिचर्चा सम्पन्न हुई।

https://www.facebook.com/tennews.in/videos/675828407089065/

Share