होली के नाम पर फुहड़ता और महापुरुषों का चरित्र हनन का गंदा खेल

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (18/03/2022): होली से संबंधित लेख के पहले पांच भाग में आपको बताया कि होली का पर्व सदियों पुराना और हमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता का प्रतीक है क्योंकि इस पर्व के द्वारा बदलते मौसम में निरोगी रहने का अचूक उपाय सुझाया है इसलिए इस पर्व पर रात्रि को गांव के बाहर विशाल सामूहिक अग्निहोत्र से कीटो का शमन , जौ की बाली अग्नि में भूनकर वर्षा दूर करना ताकि पकी हुई फसल नष्ट ना हो और अगले दिन शरीर पर यज्ञ की मर्दन,टेसू के फूलों के जल से नहाना आदि इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है।

लेकिन होली पर वर्तमान तरीके को देखकर लगता है की हम अपनी परिपाटी भूल चुके हैं और अज्ञान बनते जा रहे हैं जिसके भविष्य में दुष्परिणाम होंगे।
कुछ बानगी देखो।

1.शराब भांग नशा का बढ़ता चलन
2. मांस विक्रेताओं के यहाँ हिंदुओ की बढ़ती भीड
3. होलिका दहन में गौ के गोबर से बने उपले ,हवन सामग्री के साथ यज्ञ करने के बजाय कूड़ा करकट और गंदी लकड़ियों के ढेर में आग लगाकर पूजना
4 राधा कृष्ण का नाच और उनको फूलो से चारो ओर से ढक देना और इनको पूजना

जबकि ये सभी जानते है की राधा कृष्ण के मामी थी और मामा मामी का भांजे को बहुत स्नेह होता है,और ऐसा ही कृष्ण राधा के मध्य था।कृष्ण की पत्नी का नाम रुकमणी था ।कृष्ण का राधा के साथ किसी भी प्रकार के अश्लील नाच गाने का प्रदर्शन किसी भी तरह से उचित और धार्मिक क्रिया नही कह सकतें।ये हिंदू समाज पर कलंक है । यदि हिम्मत है तो मोहम्मद को उसकी पत्नियां जैनब, अयेशा आदि के साथ दिखा कर देखे। ये ढोंग एक साजिश के तहत हिन्दू धर्म में शामिल किया गया है जो आजकल मंदिरों में जोश के साथ दिखाई पड़ता है और पंडे भी कोई आवाज नहीं उठाते बल्कि इस दुष्प्रचार से धन कमाने में लगे है।

कृष्ण का चरित्र जानने , समझने और अपनाने योग्य है यही कृष्ण की पूजा होगी।कृष्ण योगिराज थे,चारो वेद के ज्ञाता थे जिन्होंने युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और ऐसा चक्रव्यूह रचा की पांडव युद्ध में जीत गए।

कृष्ण गौ पालक थे उन्होने गौ वर्धन के द्वारा मथुरा और अपने राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जिसको हम अतियोशक्ति अलंकार के प्रयोग से कन की उंगली पर गौवर्धन को उठा लेना कहते है ।उनके राज्य में सभी महिलाएं योग्य और समृद्ध थी,उन्होंने महिलाओं को बराबरी का हक दिया इसलिए कहते है की कृष्ण के जमाने मे 16000 रनिया थी।

आपसे विनती है कि सत्य स्वीकार करे ,हवा में ना बहे , स्वाध्याय करे ,गलत परिपाटी के शिकार होकर आने वाली पीढ़ी को गलत होने से बचाएं अन्यथा आप स्वयं दोषी होंगे।

 

By Dr D K Garg

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