टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (30/01/2022): उत्तर प्रदेश जेवर विधानसभा में ऐसे कौन से मुद्दे हैं जो वहां के सरकार पर हावी हो रहे हैं, जानिए
टेन न्यूज़ लाइव के माध्यम से अजीत सिंह दौला से खास बातचीत हमारे सहयोगी रंजन अभिषेक के द्वारा किया गया। उन्होंने ‘चुनावी बात’ में उत्तर प्रदेश की राजनीति के बारे में बात की। उन्होंने जानने का कोशिश किया कि उत्तर प्रदेश में जो चुनाव है उसमें जो चार प्राधिकरण है उसमें से कौन सा उम्मीदवार जीत रहे और उत्तर प्रदेश में कौन से मुद्दे हैं। वहां पर कौन से मुद्दे हैं जो वहां की सरकार पर हावी हो रहा है।
इन सब सवालों के जवाब के प्रमुख अंश प्रस्तुत है।
-योगी यूपी के लिए है उपयोगी, इस वाक्य से आप कहां तक सहमत हैं? और योगी के कार्यकाल से आप कहां तक सहमत है?
माननीय योगी आदित्यनाथ जी का आज 5 साल का कार्यकाल पूरा हो गया और उन्हें बहुत भारी बहुमत से जीता था और उन्हें एक मौका मिला है। पूर्व सरकार जो था चाहे वह बहुमत समाजवादी की हो या फिर समाजवादी पार्टी कि सरकारी रही और लोगों को शायद लगा कि यह सरकार उन लोगों से बेहतर काम करेगी। जनता ने उस पर विश्वास दिखाया और जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत से उनकी सरकार को जीताई है जो वादे उन्होंने चाहे वह किसानों के कर्ज माफी के किए हों, बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के या चाहे वह कानून व्यवस्था के वादे थे तो लोगों को लगता था कि उनके बहन बेटियों की रक्षा के लिए उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है और किसानों के मामले लंबित हैं, चाहे वह भूमि प्राधिकरण के मामले हो या भूमि अधिग्रहण का मामला हो तो किसानों को लगता था कि फैसला हमारे हक में आएगा।
मैं यह कह सकता हूं कि जहां तक जेवर विधानसभा का यह प्रश्न है कि अभी गौतम बुध नगर में इस समय चार प्राधिकरण काम करते हैं। विशेषकर यमुना विकास प्राधिकरण जो काम करता है। और अब एयरपोर्ट अथॉरिटी भी यहां आ गई है। तो इसमें जिनकी जमीन पर विकास हुआ तो उस जमीन का मालिक उस जमीन का हिस्सेदार नहीं बन पाया वो परेशान हैं वहां का, किसान परेशान हैं वहां का, और वहां का बेटा जिसने पढ़ लिखकर आज सड़कों पर है बेरोजगार है। तो यहां पर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी है सारी लेकिन इंडस्ट्री का अभाव है लेकिन जो भी इंडस्ट्री आई है तो वहां पर किसान के बेटों के लिए कोई रोजगार नहीं है। मेरे पास सारे प्रमाण है कि जो भी कंपनी यहां पर काम कर रही है उन्होंने यहां पर एक टैग लगा दिया और एक मैसेज दे दिया कि जो भी 200-250 किलोमीटर की दूर की जिनकी आईडी कार्ड है हम उन्हें नौकरी देंगे। एक तरफ देश की सांसद ने कानून बनाया कि आप बाजार भाव का चार गुणा मुआवजा किसान को देंगे और लेंगे और उनकी सहमति से लेंगे। ना तो किसान को मुआवजा मिला और ना ही उनकी सहमति से उपज लिया गया। जब 7 गांवों को शिफ्ट किया गया उस गांव की शिफ्टिंग में जो पॉलिसी अडॉप्टेड की गई। पहले तो यह था कि जिसकी जितनी जगह में घर बना हुआ है उसको उतनी ही जगह दे दिया जाए लेकिन वह शिफ्टिंग का जगह आते आते ही वह योजना बदल दी गई। और यहां तक कि 50 मीटर से लेकर 300 मीटर तक की प्लॉट दिए गए। 50 गज के या 50 मीटर के प्लॉट में कोई कोई लालन-पालन कर सकता हों और एक गांव का आदमी पशुपालक होता है जिससे उनकी जीविका चलती है। जब यह गांव को शिफ्ट किया गया तो उनके काम छीन गए। अब उनके पास ना तो कारोबार है ना ही जमीन और ना ही उनके बच्चों के लिए कोई नौकरी है उनसे सब छीन गए।
यदि यही विकास यही विकास का दृष्टिकोण है तो मैं समझ चुका हूं कि यह कैसा विकास? जिनकी जमीन पर विकास हुआ है और उन परिवारों को भी विकास में शामिल करना चाहिए। हमेशा से हमारी यही मांग रही है कि किसानों को जो लंबित मांग है, उन्हें पूरा किया जाए। लेकिन जो मांग है वह आज भी लंबित है कह सकता है कि 5 साल में सरकार ने कोई भी ऐसा काम नहीं किया जिससे कि किसान संतुष्ट हो, वहां के बेरोजगार युवा संतुष्ट हो और कानून व्यवस्था मजबूत हुआ हो वहां पर कोई भी काम ऐसा नहीं हुआ है जिससे कि सब संतुष्ट हो इसलिए जनता में बहुत आक्रोश भरा हुआ है। जनता को भरोसा तो मिला लेकिन काम कुछ भी नहीं हुआ।
-2017 की पहले की बात करें तो उस समय अखिलेश यादव की सरकार थी। उस समय भी कानून व्यवस्था सही नहीं था, इस पर उस समय भी बहुत सारे प्रश्न चिन्ह लगे थे। उस पर आपकी क्या राय है? हाल के दिनों में जो बेरोजगारी आई है, क्या वह 2017 के बाद की है या 2017 से पहले की है?
देश में जब कहीं भी विकास होता है तो उस विकास में उस विकास में स्थानीय लोगों का समावेश होना बहुत ही आवश्यक है। विकास की जो प्रक्रिया वह लगातार चलती रहती हैं। किसानों की जो समस्या है वह पूर्ण की सरकारें ने उन्हें अच्छा से नहीं कर पाएं इसलिए तो सरकार को उन्होंने बदला। इसलिए जनता ने सोचा कि यदि हम इसकी सरकार बनाते हैं तो यह हमारी वादों को पूरा करेंगे क्योंकि इनके सारे वादे अच्छे हैं और काम भी अच्छा करेंगे। उत्तर प्रदेश में बहुत सारे वादे किए गए थे। मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री द्वारा लेकिन कोई भी वादा किसानों के हित में नहीं पूरा किया गया। तीनों प्राधिकरण में किसान मेजोरिटी में है। गौतम बुध नगर और जेवर में तो किसान बहुत ही मेजोरिटी में हैं। क्योंकि जेवर विधानसभा के अंदर सिटी में, अभी उस लेबल का विकास नहीं हुआ। अभी भी यहां पर ग्रामीण इलाके के लोग ज्यादा हैं। आज वहां का बुरी हालत है। उम्मीद थी कि जब सरकार आएगी तो 5 सालों में जो जमीन शिफ्टिंग पॉलिसी में जो गांव को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था उन पॉलिसी को लेकर आएगी सरकार। आज भी प्लॉट शिफ्टिंग कि पॉलिसी की कागज सरकार के पास है, जमीन पर नहीं आई है। उम्मीद था कि यह सारे काम पूरे हो जाएंगे लेकिन इन्हें विवादित बनाया दिया गया है। जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करके उन्हें जिताती है उन पर भरोसा दिखाती है कि उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा। सरकारों का क्या है सरकारें तो आती जाती रहती है लेकिन काम जो है, जनता के हित में होना चाहिए और उनकी मांगों को पूरी करनी चाहिए। और मुझे भी उम्मीद था कि योगी आदित्यनाथ जी कुछ अच्छा काम करेंगे और उनका नाम इतिहास में लिखा जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दलित के साथ और ब्राह्मण के साथ बहुत अत्याचार हुआ और फेक एनकाउंटर भी हुए जो कि प्रमाणित हो गए हैं। यह कह देना सिर्फ सब अच्छा है लेकिन सब अच्छा नहीं है। यदि सब कुछ अच्छा होता तो उन्हें इतना संघर्ष चुनाव में संघर्ष नहीं करना पड़ता। हम कह सकते कि जेवर में जो विधानसभा चुनाव है उसमें आर पार की टक्कर है और यहां से राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ही जीतेंगे जब वह चुनाव जीतकर आएंगे तो वह जनता की मांगों और कामों को पूरा करेंगे।
-आपने कहा कि ब्राह्मण और दलित वर्ग नाराज हैं और जो उनके प्रवक्ता है वह कह रहे हैं कि कोई भी वर्ग नाराज नहीं है। जो विपक्ष है वह विकास दुबे के नाम को लेकर ब्राह्मणों के मुद्दे को बहुत उछालने का प्रयास कर रहे हैं। विकास दुबे ने जिन पुलिसवालों को मारा और हमला किया, क्या उसमें ब्राह्मण नहीं थे? अगर कोई उपद्रवी प्रवृत्ति का व्यक्ति है और असामाजिक तत्व है और उन्हें सजा मिलती है तो क्या इसे जाति विशेष से जोड़ना कहां तक सही है?
जो उत्तर प्रदेश में घटना हुआ है वहां के दलितों पर वहां के बहन बेटियों पर बहुत सारी घटना हुई जैसे कि हाथरस, उन्नाव और आगरा ऐसे बहुत सारे घटना हुई है और इन घटनाओं का एक प्रतिक्रिया है। अगर उत्तर प्रदेश में यही कानून व्यवस्था है तो इन्होंने अपराधियों के साथ खड़ा हुआ ना कि पीड़ितों के साथ इन्होंने खड़ा हुआ। जब विपक्ष ने मुद्दा उठाया तब जाकर कहीं एफ आई आर दर्ज हुआ है। अपराधियों के साथ कार्रवाई नहीं हुई और किसान रोता रहा अपने परिजनों के खोने के बावजूद भी उनके मुकदमे नहीं दर्ज हो रहे थे। यदि यही कानून व्यवस्था है कि अपराधियों के साथ सरकार खड़ी है और जो किसान है उनकी मांग जायज है लेकिन सरकार उनके साथ नहीं है। राजा का धर्म कहता है कि सब के साथ न्याय हो। किसी के साथ में अन्याय ना हो और अपराधियों को सजा मिले। जो सत्ता में होते हैं उनका जनता के प्रति जवाबदेही होना चाहिए। हम जानते कि जनता कि मोहर विकास और निर्माण पर लगेगी और हम चुनाव जरूर जीतेंगे।
-आपने अभी दलित की बात की हैं और आप उस गठबंधन के हिस्सा है और समाजवादी पार्टी के साथ आपका गठबंधन है। दलित की राजनीति करने वाले जो नेता हैं या वोट बैंक समीकरण जो है, दलितों में हैं। ओमप्रकाश राजभर और स्वामी प्रसाद मौर्य है साढ़े 4 वर्ष तक उन्हें याद नहीं आता है दलित की और उस शोषित पीड़ित कि वह साढ़े 4 वर्ष तक सत्ता का मजा लेते और वह कुर्सी का मजा लेते हैं। फिर वह साढ़े 4 वर्ष बाद दलित भाइयों की याद आती है और वह समाजवादी पार्टी में आ जाते हैं। क्या समाजवादी पार्टी या गठबंधन दलित हितैषी और किसान हितेषी वॉशिंग मशीन है कि क्या यह जो नेता पैराशूट पहन कर आते हैं और अपने आप को दलित हितैषी और किसान हितैषी कहने लगते हैं?
यह वर्तमान राजनीति का यह परिदृश्य है जो कि हम यह वादे और बातें हम जनता के साथ किए हैं, वह सभी वादे को पूरा करें और धर्म भी यही कहता है कि हम जनता धर्म की हित की रक्षा करें। हमें बेहतर प्रतिनिधित्व का काम करना चाहिए कि जो जिस दल और जिस पर है उसको पद की गरिमा बनाते हुए जो भी ड्यूटी मिली है उसे उस काम को पूरा करना चाहिए।
-आपका जो विपक्ष है उनका कहना है कि अखिलेश यादव जो है, वह अपना परिवार नहीं बचा पाए। अपर्णा यादव का अखिलेश यादव के परिवार से जाना और योगी आदित्यनाथ का दामन थामना। इस गठबंधन के लिए और उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए क्या कुछ बदल सकता है या कोई नुकसान देगा कि राजनीतिक को आपका इस पर क्या राय है?
यदि घर का या पार्टी का कोई नेता दूसरी पार्टी में जाता है तो इससे पार्टी में कमजोरी तो आती है और नुकसान तो होता है परिवार को ना बांध पाना और इकट्ठा रख पाना और कौन नहीं चाहेगा कि अपने परिवार को एक साथ इकट्ठा रखें। अब सब यही कहेगा कि अखिलेश यादव जी अपने परिवार को नहीं संभाल पाए। हर व्यक्ति को अपने बात को कहने का आजादी का हक है। वह अपने किसी भी दल में जा सकते हैं। किसी भी पार्टी में जा सकते हैं और हम उस पर किसी भी तरह का बंदिश नहीं लगा सकते। सबका यह अधिकार है कि वह अपनी बात को रखें और अपना दल प्रतिनिधि चुने। और सब की भूमिका तय है। यह परिवार की तरफ से आजादी है कि हम किसी भी दल में जा सकते है और उन पर कोई भी बंदिश नहीं है।
-अखिलेश यादव के अंदर एक एटीट्यूड है कि वह लोगों को वो अधिकार नहीं देते हैं जिनके वह हकदार हैं। यह गठबंधन कितना टिकाऊ है, आज चाचा जान साथ इस गठबंधन की उम्र कितनी है, आपको क्या लगता है? दूसरी बात समाजवादी पार्टी और उनकी गठबंधन को मुसलमान का वोट चाहिए लेकिन अब्बा जान से परेशानी है। इन दोनों प्रश्न का आपका इसके बारे में क्या कहना है?
यह गठबंधन किसानों की ताकत से बना है और किसानों को सामने रखकर बना है किसानों के जितने भी मुद्दे चाहे वह जमीन अधिग्रहण के हो या फिर एमएसपी की जितने भी मुद्दे हों इन सब को ध्यान में रखकर ये गठबंधन बनाया गया है और यह गठबंधन बहुत लंबा चलेगा। परिवार के बारे में मैं यह कह सकता हूं कि मुलायम सिंह के विरासत की और और चौधरी चरण सिंह की विरासत को दोनों के नेता आगे बढ़ा रहे हैं और शिवपाल सिंह ने भी संगठन में बहुत काम किया और इस मिशन को आगे बढ़ाने में उसका भी साथ है। उनका भी सपना है कि उनके नेतृत्व में काम हो और जनता का विकास हो। परिवार में भी एक साथ और गठबंधन में भी एक साथ है इसलिए जनता के हितों की रक्षा के लिए दोनों मिलकर काम करेंगे।
-भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने कहा है कि हमारी लड़ाई विपक्ष के साथ है ही नहीं, क्योंकि उनका और मेरा यह लड़ाई 80 और 20 की है। अब यह 20 का खेल बिगाड़ने के लिए हैदराबाद के भाईजान भी आ गए हैं तो क्या आपको नहीं लगता कि महागठबंधन का या राष्ट्रीय लोक दल का सफर जो उसके अपेक्षाएं हैं कि हम उत्तर प्रदेश की सत्ता में बैठेंगे, कुर्सी पर बैठेंगे और उस सपने को ओवैसी भाईजान तोड़ ना दे कहीं। हमारा तो 80 फ़ीसदी वोट है और 20 में तो सबका वोट है। आपका इसके बारे में क्या राय है?
यह बात सही है प्रदेश की जनता भी जानती है। वह कितनी है उत्तर प्रदेश की जनता के हितों की रक्षा करते हैं और किसानों की रक्षा करते हैं। यह बात जनता जानती हैं। उनका पहले से ही सब कुछ तय है कि किस सीट से किसे लड़ाना और कहां पर कौन उम्मीदवार को खड़ा करना है तो यह साफ है कि यह जो 80 और 20 की बात करते हैं।
हमें देश की नागरिक की बात करना चाहिए, जनता की बात करना चाहिए और किसानों की बात करना चाहिए। उनके मुद्दों को ध्यान में रखकर फैसला करना चाहिए और इनके हितों की रक्षा करना चाहिए। आपको यह बात करना चाहिए। आपने क्या काम किए लेकिन आप तो 80 और 20 की बात करते हैं। यह 80 और 20 प्रदेश की जनता है।आप जनता की आदर की जगह आप उनका बटवारा करना चाहते हैं।
-कांग्रेस को आप कहां देखते हैं, उनका एक टैगलाइन है, ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ आप इसके बारे में क्या कह सकते हैं?
राहुल गांधी जी ने अपनी सरकार के खिलाफ खड़ा होकर किसानों के लिए उन्होंने नया जमीन अधिग्रहण कानून कानून बनाने का काम किया और यह संदेश हर सरकार के सामने हैं। और प्रियंका गांधी की छवि और वाणी में कोई कमी नहीं है और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। उनका जो एक टैगलाइन है ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ यह महिलाओं में एक आत्मविश्वास दिया और महिलाएं उसके साथ हैं और हम सब मिलकर इस मिशन में कामयाब जरूर होंगे।
-आपने कहा कि इस बार जेवर के जनता ने तय करना है कि वह परिवर्तन चाहती हैं। जैसा कि आपने कहा, उन्होंने काम नहीं किया। मानता हूं कि उनके मत प्रतिशत में गिरावट आए फिर भी वह नम्बर वन है। यह जो रणनीति है और आंकड़ों का जो खेल है। यह गठबंधन का फासला कैसे तय करेगी?
यदि आप भारतीय जनता पार्टी के एक चुनाव पहले चले जाएं तो उन्होंने 6000 मत पाए। मीडिया में सोशल मीडिया में मोदी और योगी के पक्ष में एक बड़ा अभियान चलाया। उसका नतीजा यह हुआ कि यह परिवर्तन आया और जनता ने दूसरे पार्टी को इग्नोर कर दिया। भाजपा को एक चुनाव में 6000 मत मिले थे। यदि आंकड़ों के आधार पर तय होता है कि कौन सी पार्टी विजय बनेगी। यह कहना फिर बहुत मुश्किल हो जाएगा। बहुत बड़ी उम्मीद थी उत्तर प्रदेश की सरकार से और स्थानीय विधायक से यह लगता था कि बहुत बड़ा काम होगा लेकिन सच जो सामने आया है उससे जनता बहुत क्रोधित है, गुस्सा में है और वो रोते हैं जो वादे सरकार ने जनता से किए थे और एक भी वादे उन्होंने पूरे नहीं किए। प्राधिकरण और सरकार एक मॉडल पेश कर सकती थी कि गांव कैसे बनाए जाते हैं। लेकिन मुझे दुख इस बात की है कि प्रदेश की जनता ने जिसे बनाया और वह एक अच्छा मॉडल गांव पेश कर सकते थे लेकिन उन्होंने इसे नहीं बनाया। इसलिए जनता ने मन बना चुका है कि अब हम गठबंधन की सरकार बनाएंगे
-सत्ता के लोगों को कहने के लिए तो हैं हमने जेवर में एयरपोर्ट बनवाए हैं और एक्सप्रेस का काम किया है और तमाम काम है जो हमने किए हैं। जेवर में किसान के अलावा और कौन से मुद्दे हैं जो जनता के समीप लाएगी? और वहां पर क्या-क्या मुद्दा है जो जमीनी हकीकत चुनाव को प्रभावित करेगी? और अजीत जी अपनी नई पार्टी की शुरुआत की है इस नई पार्टी में अजीत जी अपने आप को कहां देखते हैं?
मेरे जीवन की जो सामाजिक और राजनीतिक जीवन की जो शुरुआत हुई। राजनीति में लंबा सफर है और मैं हमेशा किसानों के साथ खड़ा रहा है। नौजवानों के साथ खड़ा और मैं हमेशा उन मुद्दों के साथ खड़ा रहा हूं। कोई भी सरकार रही, मैं कभी भी जनता के मुद्दों को नहीं छोड़ा। मैं हमेशा उनके साथ रहा हूं। कुछ हद तक सफलता मिली और हर मुद्दे पर जीत हासिल की। राष्ट्रीय लोक दल के जो स्थापना करने वाले हैं स्थापना करने वाले नेता चौधरी चरण सिंह जी जो इस वक्त पार्टी की आत्मा है। देश में उन्होंने अंतिम क्षण तक सांसद में किसानों का मुद्दा उठाने का काम किया है।जेवर का सबसे बड़ा मुद्दा है बेरोजगारी का हम नौकरी दिलाने का काम करे युवाओं को यह हमारा प्रमुख मुद्दा है।उनको कंपनी के मालिक कह रहे हैं कि दूर के आईडी लेकर आए तब हम आपको नौकरी देंगे, यह गलत बात है। हम हम चाहते हैं आप इनको इन्हीं की खेत पर आप कंपनी आप चलाइए और उनको नौकरी दीजिए। पहले के प्रतिनिधित्व खामियों को दूर करके हम जनता के विश्वास को जीतकर अच्छे काम करके दिखाएंगे। जेवर की जनता गठबंधन की सरकार के पक्ष में मतदान कर रही है।
उत्तर प्रदेश की सियासत कहीं ना कहीं पूरे देश को प्रभावित करती हैं। उत्तर प्रदेश की जनता क्या सोच रहे हैं चुनाव के बारे में। इस बार कौन से प्रत्याशी जीतेंगे और वहां के कौन से महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो वहां के स्थानीय हैं। इन सब के बारे में जानने के लिए हमारे टेन न्यूज नेटवर्क से जुड़े रहिए।
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