अब खुद से नो ड्यूज प्रिंट कर पाएंगे ग्रेटर नोएडा के आवंटी, प्राधिकरण से जुड़ी बाकी सेवायें भी जल्द एक क्लिक पर होंगी उपलब्ध

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ईआरपी के जरिए आवंटियों से जुड़ी सेवाओं को पाने का अधिकार आवंटियों के हाथों में देने की शुरुआत कर दी है। नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेना हो या फिर नाम-पता में संशोधन, आवंटी खुद से कर सकते हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ईआरपी के बीटा वर्जन शुक्रवार को लांच दिया है। फिलहाल औद्योगिक सेक्टर ईकोटेक 7, 10 या फिर 11 के आवंटी अपना नो ड्यूज सर्टिफिकेट खुद से अपने कंप्यूटर के जरिए प्रिंट कर सकते हैं। बाकी सेक्टरों के उद्यमियों के लिए भी ये सुविधाएं जल्द मिलने लगेंगी। प्राधिकरण आवंटियों से जुड़ी 143 सेवाओं को प्राप्त करने का अधिकार जल्द ही आवंटियों को सौंपने में जुटा है। ईआरपी की शुरुआत करने वाला ग्रेटर नोएडा प्रदेश का पहला प्राधिकरण बन गया है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लिए शुक्रवार का दिन बहुत खास दिन रहा। प्राधिकरण का बहु आयामी प्रोजेक्ट ईआरपी (इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) सिस्टम का बीटा वर्जन लांच कर दिया। वैसे तो इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री के हाथों छह जनवरी को होना था, लेकिन उनके न आ पाने के कारण शुक्रवार को प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने सहायक श्यामवीर और आकाश राघव के साथ एसीईओ दीप चंद्र व अमनदीप डुली, ओएसडी सचिन कुमार समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इसके बीटा वर्जन को लॉन्च कर दिया है।

करीब 63 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को आईटी कंपनी टेक महिंद्रा पूरा कर रही है। शुक्रवार को ईआरपी की शुरुआत औद्योगिक सेक्टर ईकोटक 7, 10 व 11 से की गई है। यहां के उद्यमी नो ड्यूज सर्टिफिकेट खुद से प्रिंट कर सकते हैं। उद्यमी नाम, पता आदि में संशोधन भी खुद से अपने कंप्यूटर पर कर सकते हैं। बशर्ते केवाईए (नो योर अलॉटी) अपडेट हो। अब तक इन कार्यों को करने का अधिकार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों-कर्मचारियों के पास था। अब यह अधिकार आवंटियों के हाथों में चला गया है। ये सुविधाएं सिर्फ ईकोटेक 7, 10 व 11 के आवंटियों तक ही नहीं रहेगी, बल्कि सभी उद्यमियों व अन्य तरह के आवंटियों (आवासीय, आईटी, संस्थागत) को भी मिलेगी। ईआरपी के तहत कुल 143 सेवाओं को जोड़ दिया जाएगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट पर ही ईआरपी का लिंक उपलब्ध है। इस पर क्लिक करते ही आवंटी इन सेवाओं का लाभ ले सकते हैं। इस अवसर पर सीईओ नरेंद्र भूषण ने कहा कि बैकिंग की तरह ही ग्रेटर नोएडा के आवंटी अब प्राधिकरण से जुड़ी सेवाओं का लाभ खुद से प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले समय में सभी विभागों से जुड़ी हर सेवाएं इससे जुड़ती जाएंगी। कोविड को देखते हुए ईआरपी के जरिए प्राधिकरण से जुड़ी सुविधाएं आवंटियों के हाथों में दे देना बहुत जरूरी है। उन्होंने इसकी शुरुआत कराने के लिए सिस्टम, इंडस्ट्री व टेक महिंद्रा कंपनी के प्रयासों की सराहना की। ईआरपी के शुभारंभ के मौके पर जीएम आरके देव, डीजीएम सीके त्रिपाठी, केआर वर्मा व सलिल यादव, ओएसडी नवीन कुमार सिंह, इंडस्ट्री सेल की प्रबंधक सीमा मित्तल व टेक महिंद्रा की टीम मौजूद रही।

ई -ऑफिस में पहले ही बदल चुका है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ईआरपी की शुरुआत शुक्रवार को की है, लेकिन ई ऑफिस में पहले ही बदल चुका है। प्राधिकरण में सिर्फ ई-फाइलें ही बनती हैं। अगर कोई फरियादी कागज पर अप्लीकेशन लाता है तो भी उसे स्कैन करके ई-फाइल ही बना दी जाती है। उसी पर सभी अप्रूवल दिए जाते हैं। यानी प्राधिकरण पेपरलेस हो चुका है। ईआरपी के जरिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अन्य सरकारी महकमों से कई कदम आगे निकल चुका है।

आवंटियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है ईआरपी

आवंटी, ईआरपी का लाभ सुरक्षित तरीके से प्राप्त कर सके, इसके लिए तीन स्तर पर वेरिफिकेशन का प्रावधान किया गया है। पहला, आवंटी का लॉग इन आईडी व पासवर्ड होगा, जिसे डालने के बाद उसके मोबाइल नंबर पर ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) आएगा। ओटीपी के वेरिफिकेशन के बाद आवंटी पर अपना अप्लीकेशन अपलोड करेगा तो उसका वेरीफिकेशन आधार नंबर से भी होगा। इसके लिए आवंटियों का केवाईए (नो योर अलॉटी) अपडेट किया गया है। ईआरपी का लाभ पाने के लिए आवंटी को 100 रुपये शुल्क भी देना होगा। ईआरपी पर ही पे नाउ का विकल्प आएगा। वहीं से भुगतान हो जाएगा। ईआरपी लागू होते ही ग्रेटर नोएडा, प्रदेश का पहला प्राधिकरण बन जाएगा।

ईआरपी के तहत आवंटियों को मिलने वाली सेवाएं

आने वाले दिनों में ईआरपी के तहत मिलने वाली सुविधाओं में बिल्डिंग प्लान अप्रूवल, पानी व सीवर कनेक्शन, फंक्शनल सर्टिफिकेट, नो ड्यूज सर्टिफिकेट, लैंड अलॉटमेंट सिस्टम, मोर्टगेज सर्टिफिकेट, मोर्टगेट परमिशन, मैप सरेंडर सर्टिफिकेट, एड्रेस चेंज, लीज डीड का टाइम एक्सटेंशन, वन टाइम पेमेंट, टाइम एक्सटेंशन ऑफ कंस्ट्रक्शन, डुप्लीकेट पेपर जारी करना, चेंज इन कॉन्सीट्यूशन, रेस्टोरेशन ऑफ अलॉटमेंट, रेंट परमिशन, नाम परिवर्तन, पजेशन लेना, डाइरेक्टर्स में बदलाव, पेमेंट का री-शेड्यूलमेंट, टाइम एक्सटेंशन फॉर लीज डीड, परमिशन ऑफ कॉमर्शियल एक्टीविटी, प्लॉट को सरेंडर करना, लैंड अलॉटमेंट, नाम जुड़वाना आदि शामिल हैं।

Share