आईटीएस काॅलेज में वेबीनार के माध्यम से मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस

 

आईटीएस काॅलेज, मुरादनगर के बाॅयोटेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा 5 जून, 2020 को विश्व पर्यावरण दिवस पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में 1974 से ही सतत रूप से मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 2020 को सेलेवरेट बायोडाइवर सिटी थीम के साथ मनाने का आहवान किया है।

आईटीएस-द एजुकेशन ग्रुप शिक्षा एव समाज संबंधी विषय पर अग्रणी ही रहता है। समूह के वाइस चेयरमैन, अर्पित चड्ढा के निर्देशन मे इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया जिसकी मुख्य वक्ता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर वाई विमला थी।

उन्होंने जैव विधता संरक्षण पर अपना व्याख्यान दिया जो जन सामान्य विषय के साथ-साथ बायोटेक्नोलाॅजी कोर्स से भी संबंधित है। उन्होंने बताया कि आज विश्व मे 2 मिलियन प्रजातियां समाप्ति के कगार पर है या संकट ग्रस्त है। जिसका संरक्षण अत्यन्त आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि संकट ग्रस्त प्रजातियों को इन सीटू (प्रजातियों का मूल धर) का इन सीटू (प्रजाति के मूल धर से दूर अनुकूल वातावरण प्रदान करना) विधि से संरक्षित किया जा सकता है। भारत की संस्कृति सदैव ही संरक्षण को महत्व देती रही है। जिसका उदाहरण जन्तुवा-एव पादपो को देवी देवताओं से जोड दिया जाता है। मंदिर या धार्मिक स्थल के आस-पास किसी भी जीव (जन्तु या पादप) को हानि नही पहुंचाई जाती (सेकरेड ग्रोव) उन्होंने कोरल रीफ के संरक्षण हेतु भी चिंता से अवगत कराया जिसमें कोरल रीफ गहरे समुन्द्र मे पाये जाने वाली मूंगे की चट्टाने होती है जिसमे अनेक जीवों का आवास रहता है।

अतः कोरल रीफ को जलपोतो से हो रही हानि एक चिंता का विषय है। मानव द्वारा अतिदोहन से अनेक औषधीय पादपो का विनाश हो चुका है। जिसको संकट से बनाने हेतु जागरूकता के साथ वन अधिनियम का भी सहारा लेना होगा। सामान्य जन के ज्ञानार्थ उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के होते से जो अवं लगभग लुप्त प्राय है ऐसे ही अनेक पादक जैसे टेक्सस, मिलीयोलोग्स आदि है। वेबिनार के अंत मे वक्ता महोदया द्वारा छात्रों एव सहभागियों को प्रश्नों का उत्तर दिया गया।

इस वेबिनार मे प्रदेश के विभिन्न भागों के साथ-साथ दूसरे प्रदेशों के सहभागियों ने भी हिस्सा लिया। वेबिनार का मुख्य उद्देश्य कोरोना काल मे छात्रों को सक्रिय रखकर उनकी विषय संबंधी जिज्ञासा को भी शांत करना था।

समूह के वाइस चेयरमैन अर्पित चड्ढा ने भी बताया कि इकोसिस्टम मे प्रत्येक प्रजाति का एक निश्चित रोल तथा महत्व होता है। यदि कोई प्रजाति समाप्त होती है तो इकोसिस्टम भी प्रभावित होता है। यदि टोप कारनीवोर जैसे शेर यदि समाप्त हो जाये तो शाकाहारी जन्तुओ की संख्या बढ जायेगी जिससे चरने से पादप प्रजातियां ही समाप्त हो जाएंगी। अतः प्रत्येक प्रजाति का विश्व मे जीवित रहना आवश्यक है।

सुरिन्द्र सूद, डायरेक्टर-पीआर ने भी विश्व पर्यावरण दिवस के महत्व को समझाया उन्होंने बताया कि संरक्षण विद तो हानिकारक प्रजातियों का भी संरक्षण करते है। उन्होंने बताया कि प्रवृति में प्रत्येक खरपतवार भी अत्याधिक महत्वपूर्ण है जो किसी ना किसी जीव का भोजन होता है। प्रत्येक पादप जन्तु का भोजन श्रंखला मे अपना अलग महत्व होता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ मे डाॅ पल्लवी मित्तल ने वाइस चेयरमैन अर्पित चड्ढा , डायरेक्टर-पी0आर0 सुरीन्द्र सूद, मुख्य वक्ता तथा अन्य सम्मानीय सहभागियों का सूक्ष्म परिचय दिया तथा अंत मे प्राचार्य डाॅ सुरेन्द्र सिंह द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। वेबिनार मे छात्र समुदाय के अतिरिक्त सभी शिक्षकगण उपस्थित रहें।

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