आज दिनांक 28 मई को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की 137 वीं जयंती का आयोजन कुलपति महोदय के मार्ग दर्शन पर डीन, स्कूल ऑफ़ हुमनिटीज डॉ नीती राणा एवं डॉ विवेक कुमार मिश्र हैड ऑफ़ द डिपार्टमेंट राजनीति विज्ञान विभाग, स्कूल ऑफ़ हुमनिटीज, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। एस अवसर पर वीर सावरकर जी को याद एवं नमन किया गया। वीर सावरकर भारत माता के ऐसे सपूत थे जिन्होंने अदभुत जीवट और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हुए इस देश को आज़ाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने एक भारत और मज़बूत भारत की कल्पना की, जिसे साकार करने का संकल्प हर भारतीय के मन में है।
वीर विनायक दामोदर सावरकर का मानना था कि हमें यानि भारत को केवल विश्व सुपर पावर नहीं बनना है, विश्व के लिए मार्गदर्शक बनना है,और यह स्वदेशी की शक्ति से ही किया जा सकता है। विकसित, आत्मनिर्भर भारत ही विश्व का मार्गदर्शन कर सकेगा। भारत ही है जो विश्व को दिशा दिखा सकता है। स्वदेशी के विचार को वीर सावरकर जी ने आगे बढ़ाया था। सावरकर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वदेशी के समर्थन में विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। 07 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने पुणे में विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। इस कार्यक्रम के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विदेशी कपड़ों की होली जालने की घटना का समाचार इंग्लैंड में भी प्रकाशित हुआ था।
वीर सावरकर के स्वदेशी को लेकर विचार बहुत प्रासंगिक, गहन और सशक्त रहे हैं। सावरकर का मानना था कि भारत को रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होना चाहिए ताकि हम बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित हो पाएं। सावरकर जी के स्वदेशी विचारो की प्रसांगिकता आज भी है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी कोरोना काल के संकट में उनके आत्मनिर्भर भारत के स्वदेशी विचार का मंत्र सबको दिया ।