गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “कोरोना वायरस हेतु रोग निवारक प्रतिरोधक शक्ति के बढ़ावे सबंधी पर्यावरणीय तथा आहार संबंधी नियमों” पर वेबिनार सम्पन्न

गौतम बुद्ध विश्विद्यालय के स्कूल ऑफ वोकेशनल स्टडीज तथा एप्लाइड साइंसेस में डॉ प्रदीप तोमर, विभागाध्यक्ष कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग के तकनीकी सहयोग से वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का मुख्य उद्देश्य नागरिकों तथा समाज को सर्वव्यापी महामारी COVID-19 के उत्पत्ति के कारण हस्तांतरण, लक्षण तथा पहचान, तीव्रता तथा कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरोधकशक्ति बढ़ाने हेतु पर्यावरणीय तथा आहार संबंधी नियमों की जानकारी देना था।
इस वेबिनार में दिल्ली, एन सी आर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरयाणा, पंजाब तथा मध्य प्रदेश राज्यों से 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रो0 एन0 पी0 मेलकानिया, सयोंजक वेबिनार, डॉ0 आशा पांडेय, डॉ0 शिव शंकर, डॉ0 आर0 के0 गुप्ता तथा ई0 अनुराधा मिश्रा ने COVID-19 तथा कोरोना वायरस से संबंधित उपरोक्त पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। भारत सरकार के प्रयासों जैसे एकांतवास, lockdown, सफाई, समूह समाधान, सामाजिक दूरी बनाए रखना तथा आरोग्यसेतु app द्वारा स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान के प्रसार से corona वायरस जनित महामारी से निपटने के प्रयासों की उपयोगिता भी व्यक्त की गई।

वन्यजीवों के निवास स्थान (habitat) की कमी तथा विघटन जो मानव गतिविधियों से क्रमशः बढ़ा है, को रोग उत्पादक विषाणुओ के वन्य जीवों से मानव में स्थानांतरण को kovid 19 जैसी सर्वव्यापी महामारी का प्रमुख कारण बताया गया। पुनः wet market (मीट मार्केट) जिसमे वन्य जीवों जैसे चमगादड़ के मांस के व्यापार ने भी कोरोना वायरस जैसे जानलेवा विषाणुओ को मानव तक पहुँचाया है। वहीं प्रयवर्णीय परिवर्तन प्रमुखतया जलवायु परिवर्तन तथा बढ़ते वायु प्रदूषण से मुख्यतया वरिष्ठ नागरिकों में स्वशन सम्बन्धी बीमारी के बढ़ने से covid 19 सर्वव्यापी महामारी को मानव को पीडित करने में सुविधा प्राप्त हुई है। वेबिनार में रोग निवारक उपायों जैसे जीने की आधारभूत प्रक्रियायों, स्वसुरक्षा तथा प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के निवारक उपायों को प्रतिभागियों को बतलाया गया। रोग निवारक प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाले भोज्य पदार्थों जैसे प्रोबायोटिक पेय तथा हर्बल चबाने वाले उत्पादों की जानकारी भी वेबिनार के माध्यम से दी गयी। सभी वक्ताओं ने वन्य तथा शहरी परिवेश में जैव विविधता के संरक्षण को बढ़ावा देने, वन्य जीवों के हैबिटैट संरक्षन, अंतरराष्ट्रीय पशु व्यापार, वेट् मार्केट तथा वेस्ट मैनेजमेंट को अधिक गहराई से विचार करने तथा प्रयोग में लाने के लिए बल दिया। मानव के प्राकृतिक प्रतिरोधक प्रडॉली को बनाये रखने तथा बढ़ाने हेतु भोजन में फाइबर युक्त, स्थान आधारित तथा मौसमी फल तथा साग भाजी की विभिन्नता को भोजन के रूप में प्रयोग करने को बढ़ाने की आवश्यकता को आधुनिक युग की जीवनशैली में महत्ता को सराहा गया। भारतीय जीवन शैली को आर्थिक और पारिस्थितिकीय दृष्टि से सर्वोत्तम विधि के रूप में जाना गया। निःसंदेह एक जागरूक उपभोक्ता के रूप में ही मानव अपने तथा प्रकृति के संबंध को वर्तमान समय में तथा भावी पीढ़ियों हेतु बनाये रखने में सफल सिद्ध होगा।

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