मैं यदि सहिष्णु ना होता, तंबू में राम ने नहीं होते।- कवी अमित शर्मा

ये भारत भूमि इसलिए धन्य है क्योंकि यहां पर मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने जन्म लिया । भगवान राम के ऊपर महर्षि बाल्मीकि ने लिखा तो अजर अमर हो गए । उसी का अनुवाद बाबा तुलसीदास ने राम चरित्र मानस के रूप में किया तो सिद्ध हो गए। मैंने अपनी तुच्छ लेखनी जब अपने मर्यादा पुरुषोत्तम को समर्पित की तो मुझ जैसे अकिंचन को भी पूरे देश दुनिया में मान सम्मान मिल गया । भगवान श्री राम जिनका एक बार नाम लेने पर ईश्वर का नाम होता है । दो बार राम-राम बोलने से अभिवादन हो जाता है । तीन बार राम राम राम बोलने से संवेदनाएं व्यक्त हो जाती हैं और अनंत बार राम राम राम राम राम राम राम का उच्चारण करने से परमात्मा का भजन हो जाता है । आज मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम चांदी के सिंहासन पर विराजमान है ।कभी मैंने ही लिखा था और उस 100 करोड़ सनातन समाज की सहनशीलता का उदाहरण इन पंक्तियों से दिया था कि

मैं यदि सहिष्णु ना होता, हिंदू बदनाम नहीं होते ।
मैं यदि सहिष्णु ना होता, तंबू में राम ने नहीं होते।

मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम की जय जयकार
जय श्री राम

Founder : Lalit foundation
Direcror : Manch Maza

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