एपीजे इंटरनैशनल स्कूल, ग्रेटर नोएडा में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन

एपीजे इंटरनैशनल स्कूल, ग्रेटर नोएडा ने 23 नवंबर, 2019 को ‘युवा वैज्ञानिक- मेटामोर्फोसिस‘ नामक विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया। यह प्रदर्शनी छात्रों की बौद्धिक जिज्ञासा को जगाने के साथ-साथ वैज्ञानिक स्वभाव के संवर्धन और विकास पर केंद्रित थी। इस प्रदर्शनी में कक्षा पहली से नवीं और ग्यारहवीं तक के विद्यार्थी सम्मिलित थे | 

प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण प्लास्टिक को छोड़ने के लिए जागरूकता पैदा करना था , परियोजनाओं में केवल रिसाइकिल प्लास्टिक का उपयोग किया गया था | टिकाऊ और जैविक जीवन को बढ़ावा दिया गया था | प्रदर्शनी में उपस्थित सभी प्रोजेक्ट का कार्य विद्यार्थियों ने  विद्यालय में ही केवल ‘शून्य काल’ (जीरो पीरियड) में ही किया और इसके लिए उनकी पढ़ाई भी सुचारु रूप से चलती रही | प्रदर्शनी का आयोजन ‘शून्य लागत’ पर करने का प्रयास अभिभावकों द्वारा काफी सराहा गया |

विद्यार्थियों ने विभिन्न परियोजनाओं द्वारा काम करने वाले मॉडलों का सतत विकास, रोजमर्रा की जिंदगी में मशीनों की उपयोगिता को बताया तथा इसके साथ – साथ  ‘स्मार्ट सिटी’ की अवधारणा, कृषि में आधुनिक प्रथाओं, अंतरिक्ष में प्रौद्योगिकी, बल और घर्षण, नवीकरणीय संसाधन, ग्लोबल वार्मिंग और विद्युत प्रवाह सर्किट और अन्य विषयों पर भी डिजाइन तैयार किए गए थे। 

विद्यार्थियों ने स्मार्ट डस्टबिन, स्मार्ट लाइट्स, अपशिष्ट जल प्रबंधन, छत पर खेती, ड्रिप सिंचाई, चुंबकीय कारों और विभिन्न सर्किट जैसे प्रोजेक्ट बनाकर अनुभवात्मक शिक्षा प्राप्त करके अभिभावकों के मन को लुभाया  ।

गाँधी जी द्वारा ‘नई शिक्षा तालीम’ को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों ने अपने पूरे मनोयोग से शिक्षा के साथ – साथ खेल -खेल में अपनी परियोजनाओं को अंजाम दिया | विद्यार्थियों ने शहरी क्षेत्रों में हो रहे प्रदूषण को दूर करने के लिए ‘इको फ्रेंडली मड हाउस’ भी बनाया इतना ही नहीं   विद्यालय परिसर में ही प्रत्येक वर्ग के विद्यार्थियों ने स्वेच्छा से भूमि के एक छोटे से हिस्से में बिना कैमिकल इस्तेमाल किए ऑरगैनिक खेती करने की योजना बनाई है | पहले कदम के रूप में, उन्होंने गोबर, गुड़, गोमूत्र और बेसन का उपयोग करके जैविक खाद बनाया। 

प्रदर्शनी के अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या सुश्री रीना सिंह ने जोर देकर कहा कि वर्तमान पीढ़ी को संसाधनों के पर्याप्त उपयोग के बारे में संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है और उन्हें सिखाया जाना चाहिए कि अपने ग्रह की देखभाल कैसे करें, क्योंकि हम में से प्रत्येक एक फर्क कर सकता है लेकिन साथ में हम एक बदलाव ला सकते हैं। ।

Share