जी.एल. बजाज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेनेजमेंट, ग्रेटर नॉएडा में छात्र एवं छात्राओं ने सीखे आत्मसुरक्षा व सषक्तीकरण के गुण

जी.एल. बजाज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेनेजमेंट में महिला आत्मसुरक्षा व सषक्तीकरण विशय पर दो दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजित किया गया।यह कार्यक्रम जी.एल. बजाज संस्थान के वाईस चेयरमैन श्री पंकज अग्रवाल जी के मार्गदर्षन में आयोजित किया गया।

इस प्रषिक्षण कार्यक्रम का आरम्भ माँ सरस्वती की वंदना, पुश्प अर्पण तथा संस्थान के निदेषक के अभिभाशण व आमंत्रित अतिथियों कर्नल (रिटा.) वी.एन. थापर फाॅदर ऑफ़ शहीद विजयंत थापर, डाॅ. दिव्या गुप्ता (प्रेसिडेंट-ज्वाला महिला समिति),  रणविजय सिंह  पुलिस अदीक्षाक (ग्रामीण), ग्रेटर नोएडा व सुश्री रेणु इंगले के स्वागत से हुआ। अपने अभिभाशण में संस्थान के निदेषक ने छात्रों को बताया कि महिला सुरक्षा आज की आवष्यकता है।

महिलाओं को समाज में समानता का अधिकार प्राप्त है। अपितु हम उनसे असमानता व्यवहार करते हैं। साथ ही उनके साथ र्दुव्यवहार तथा उन पर अत्याचार समय≤ पर होते रहते हैं। फिर भी हम अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं। अतः हम सभी को महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्वयं आगे आना पड़ेगा साथ ही महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी, तभी समाज का कल्याण होगा।

प्रषिक्षण कार्यक्रम में कर्नल वी.एन. थापर ने छात्रों को बताया कि मैं प्रतिदिन समाचार-पत्रों में देखता हूं कि महिलाओं से असमान व्यवहार की खबर आती है जबकि हमारे समाज में मां दुर्गा, मां सरस्वती आदि देवियों को सर्वश्रेश्ठ स्थान प्राप्त है। बावजूद हमारे समाज में महिलाएं असुरक्षित है। यह हमारे समाज के लिए बहुत ही षर्म की बात है। आप सभी को प्रषिक्षित करते हुए मुझे बहुत खुषी हो रही है कि आप लोग अपनी सुरक्षा कर सकेंगे तथा साथ ही जरूरतमंदों को भी समय≤ पर मदद करेंगे।

कर्नल वी.एन. थापर ने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए रूखसाना व रक्षा की प्रेरणादायक कहानियां सुनाई व बताया कि रूखसाना ने खूंखार आतंकवादी से बिना डरे उस पर हमला किया जिसमें उनकी मां ने भी साथ दिया और आतंकवादी की ही ए.के.-47 राईफल से उस पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। इस तरह रूखसाना ने अपनी, अपनी मां व पड़ोसियों को सुरक्षित किया। इस पराक्रम के मद्देनजर भारत सरकार ने रूखसाना को राश्ट्रपति पुरूस्कार से सम्मानित किया।

अपने प्रषिक्षण कार्यक्रम में डाॅ. दिव्या गुप्ता ने ज्वाला फाउंडेषन के उदय की कहानी बताई कि ज्वाला फाउंडेषन का जन्म 2012 में हुआ जो एक सामायिक परिवर्तन के रूप में प्रतिबिंबित होता है। मैं हमेषा कहती हूं कि ‘अब केंडल मार्च नहीं, अब सेंडल मार्च निकलेगा।’ यह महिलाएं जब तक षान्त है तब तक सब ठीक है। अगर यह षांति छोड़ दे ंतो आग नहीं ज्वाला में परिवर्तित हो जाती है। आप रविन्द्र नाथ टैगोर की कहानियां पढ़ें व डर और भय को छोड़ें तथा दूसरों की मदद करें क्योंकि दूसरों की मदद करना गर्व की बात है। आप निर्भिक हो कर समाज की सेवा करे। समाज आपको सम्मान देगा, निःस्वार्थ भाव से काम करें। कुछ पाने की इच्छा मनुश्य के मानव मूल्यों को क्षीण कर देता है।

आप हमेषा अपने दोनों पैरों पर सावधान की अवस्था में खड़े हों। लोगों की आंखों में आंख डालकर बात करें। यह व्यक्तित्व का गुण है। इसे विकसित करना होता है तभी आप अपने को सुरक्षित कर सकती हैं। आपकी आवाज आपका हथियार है। इसे प्रयोग करना सीखें। आप अनुषासित रहें साथ ही अपने देष के लिए जीने और मरने का जज्बा अपने मन में रखें। श्री रणविजय सिंह ने छात्रों को बताया कि आत्मरक्षा के तरीके अवष्य सीखने चाहिए ताकि आप अपने आप को सुरक्षित कर सकें, साथ ही समाज के लोगों को भी। सामान्यतः यह सुना जाता है कि मुझे नियम व कानून की जानकारी नहीं है।

अतः आप कुछ सामान्य व आधारभूत कानूनों की जानकारी रखें तथा कानून का सम्मान करें और कभी भी इसका निरादर न करें। आपने जो आत्मरक्षा के तरीके खुद सीखें हैं वे दूसरों को भी बतायें व प्रषिक्षित करें तभी समाज को लाभ होगा। सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा का विषेश ध्यान रखते हुए 1090 हेल्पलाईन नं0 प्रदान किया है जिसका उपयोग कर महिलायें आसानी से सहायता प्राप्त कर सकती हैं। श्री सिंह ने अपने इस प्रषिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को मैं रक्षक हूं का षपथ ‘‘हम यह षपथ लेते हैं कि हम, हमारी बहन-बेटियों की सुरक्षा को अपना कत्र्तव्य मानेंगे। हम उन्हें सदा सम्मान की दृृश्टि से देखेंगे।

उन्हें अपने समान समझेंगे तथा उनकी सुरक्षा के लिए हम अपनी जान, मान सर्वस्व लगा देंगे। हम यह षपथ लेते हैं कि समाज में हर जगह ये संदेष प्रेशित करेंगे कि नारी के सम्मान और सुरक्षा से ही महान राश्ट्र का सृजन संभव है। हमने एक सुंदर, स्वच्छ, सुरक्षित एवं न्यू इंडिया के निर्माण के लिए आज यह षपथ ली है। हम प्रतिफल इसके लिए सदैव कटिबद्ध रहेंगे’’ दिलाई।
कार्यक्रम के अंत में प्रबन्धन संस्थान की डीन ने आमंत्रित अतिथियों का उनके अमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त किया तथा छात्रों को बताया कि हमें मनुश्य को रंग, रूप व भाशा के आधार पर नहीं पहचानना चाहिए बल्कि उनके गुणों के आधार पर पहचान करनी चाहिए। हम आज पृृथ्वी, वातावरण व समानता की अवधारणा पर कार्य कर रहे हैं।

हमारे समाज में त्रिदेव के समान ही त्रिदेवियां पूजनिय हैं जो मां सरस्वती, मां दूर्गा व मां लक्ष्मी हैं। हमारे समाज की अवधारणा है कि एक सफल पुरुश के पीछे एक महिला का हाथ होता है। आज यह प्रासंगिक नहीं है। महिलाएं पुरुशों की सफलता में उनके साथ हैं तथा समान अवसर की भागीदार हैं। इस कार्यक्रम में संस्थान के समस्त छात्र व शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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