नोएडा इंटरनेशनल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में सोमवार को वास्तुकला के दिग्गजों ने कहा कि आर्किटेक्चर को मौजूदा वक्त की चुनौतियों से सृजनात्मक मुकाबला करना होगा। अनूठी आटो के लिए चर्चित मैक्सिको की राजदूत मेल्बा प्रिया ने कहा कि शहरों की संरचना तय करते समय हमें पर्यावरण को सबसे उपर रखना पड़ेगा। वास्तुकला परिषद के अध्यक्ष आर्किटेक्ट विजय गर्ग ने कहा कि शहर तब तक स्मार्ट नहीं हो पाएंगे जब तक वे मानवीय मूल्यों और संवेदना की चिंता किये बिना बसाए नहीं जाएंगे। गौतम बुद्ध विवि के आर्किटेक्ट दिक्षु कुकरेजा ने कहा कि अध्यात्म भारत की एक पहचान हैं, और वास्तुकला में इसको फिर से शामिल करने की जरूरत है।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत एनआईयू के अध्यक्ष डा. देवेश सिंह, कुलपति डा. आर.डी शर्मा, कुलसचिव डा. जयानंद ने किया। स्कूल आफ आर्किटेक्चर के निदेशक राजेन्द्र कुुमार ने स्कूल की उपलब्धियों के बारे में बताया।
अपनी अनूठी पर्यावरण प्रेमी आटो से विश्वविद्यालय पहुंची मेल्बा ने कहा कि कोलंबस जब अमेरिका पहुंचा, तो हमारे लोगों और भारतीयों में भेद न कर पाया। हम वाकई एक जैसे हैं। उन्हांेने कहा कि वर्ष 1992 में मेरे देश की राजधानी मैक्सिको सिटी को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर का मेडल मिला। यह किसी भी देश के लिए शर्म की बात होगी।
सरकार ने शहर की योजना ऐसी बनायी और नागरिकों ने इस तरह व्यक्तिगत प्रयास किए कि यह दाग धुल गया। मैंने स्वयं आटो से चलने का निर्णय लिया, क्योंकि किसी भी एसी कार की तुलना में यह सिर्फ दसवां हिस्सा प्रदूषण करती है। भारत के भी करीब बीस शहरों को प्रदूषण ने जीने लायक नहीं छोड़ा है। निर्णय सरकार के साथ हर नागरिक को करना है।
एनआईयू में बीस से अधिक देशों के विद्यार्थियों के एक साथ पढ़ने पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि इससे अंतरसांस्कृतिक संचार को बल मिलता है, जो बेहतर दुनिया के लिए जरूरी है। महिलाओं को विकास में भागीदारी देने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मैक्सिको में तकरीबन आधी महिलाएं काम के लिए धन अर्जित करती हैं। भारत में यह संख्या दस फीसदी भी बढ़ सके तो जीडीपी 1.4 फीसदी बढ़ जाएगी।
वास्तुकला परिषद के अध्यक्ष आर्किटेक्ट विजय गर्ग ने कहा कि शहरों का स्मार्ट होना उनके स्वस्थ और खुशहाल परिवेश पर निर्भर है, जिसमें वास्तुविद की अहम भूमिका है। हमें मानवीय मूल्यांे और संवेदनाओं की चिंता करनी होगी। एआईयू द्वारा गांवों को गोद लिए जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि पास के गांवों में हम अगर आधारभूत ढांचा विकसित करने में मदद कर सके तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। उन्हांेने कहा कि आंख बंद कर पश्चिमी शिक्षा के पीछे भागने की बजाय भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ताकत को भी समझने की जरूरत है।
देश के महानतम वास्तुविदों में शामिल अपने पिता स्व. सी.पी. कुकरेजा की स्मृति में व्याख्यान देते हुए दिक्षु कुकरेजा ने कहा कि अपने परिवेश को वास्तुकला में शामिल किए बिना वास्तुकला में प्राण नहीं आ सकते। अध्यात्म भारत धर्म का जीवन मूल्य है इसी के चलते गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को बुद्ध प्रतिमा के आधार पर विकसित किया गया है। यहां बुद्ध मस्ष्कि की जगह विशाल पुस्तकालय, बौद्ध धर्म के आठ अष्टांगिक मार्गों की जगह आठ विभाग और पैरों की जगह प्रशासनिक विभाग विकसित किए गए हैं।
कार्यक्रम का संचालन मीना भंडारी ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष, शोध छात्र एवं अन्य विद्यार्थी शामिल थे।