महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी गाजियाबाद, धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि समाज ने महिलाओं को देवी बनाकर उन्हें कमजोर कर दिया। उन्होंने कहा कि देवी के रूप में बस उसे पूजने वाली वस्तु बनाकर सजाया जाता है। जबकि एक महिला को यदि महिला के रूप में पूर्ण स्वतन्त्र कर दिया जाय तो वह स्वयं ही मैरीकाम किरन बेदी साइना नेहवाल और निर्मला सीतारमन आदि जैसी बन सकती है। उनके अनुसार महिलाएं कभी भी कमजोर नहीं रहीं मात्र सामाजिक स्थितियों के फलस्वरूप उन्हें कमजोर बताया जाता रहा है। आज का समाज जागरूक हो रहा है। महिला और पुरूष के बीच लैंगिक मतभेद को कानून के द्वारा नहीं बल्कि मानसिकता में बदलाव लाकर ही दूर किया जा सकता है।
आईआईएमटी कालेज ऑफ लॉ एवं आईआईएमटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को करने में आईआईएमटी कॉलेज की महिला शिकायत निवारण प्रकोष्ठ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर बोलते हुए कत्थक डांसर अनु सिन्हा ने कहा कि महज एक दिन को महिला सशक्तीकरण दिवस के रूप में मनाने से सशक्तीकरण संभव नहीं है महिलाओं को पूर्ण सशक्तीकरण के लिए व्यापक अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है।
वेल बीइंग सस्था की निदेशक एवं मनोवैज्ञानिक सलाहकार स्मिता पांडेय ने कहा कि कुछ चुनिंदा घटनाओं एवं कुछ चुनिंदा लोगों की वजह से कई सारी अन्य महिलाओं एवं लड़कियों के बाहर निकलने के दरवाजे बंद हो जाते हैं। जरुरत है बंद दरवाज़ों को खोलने की।महिलाओं को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी और जुल्म का प्रतिरोध करना होगा
इस कार्यक्रम में लॉ कालेज के अधिष्ठाता राकेश जौली ,आईआईएमटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ के के सैनी , आईआईएमटी कॉलेज आफ लॉ निदेशक डॉ पंकज द्विवेदी ,आईआईएमटी कालेज ऑफ पोलिटेक्नीक के निदेशक उमेश कुमार, बीएड के प्राचार्य डॉ एच एन होता, डॉ मोनिका रस्तोगी, दीपिका भाटी, पंखुरी श्रीवास्तव, अपर्णा सिंह, कौशिकी राय ऋचा शुक्ला, वैशाली राज ,कोमल मलिक, रमा रानी ,मनीष अत्री, शैलेष त्रिपाठी, शोभित श्रीवास्तव, प्रशांत मावी, प्रमोद कुमार शर्मा, डॅा मुनीष शर्मा, डॉ धीरेंद्र सिंह, आशु गुप्ता आदि उपस्थित रहे।