30 October, 2018 13:55

आईआईएमटी कॉलेज ऑफ लॉ में अपराध नियंत्रण विषय पर विचार गोष्‍ठी

अध्यात्मिक तथा नैतिक मूल्यों का हृास किसी समाज में असहनशीलता को जन्म देता है। असहनशीलता अपराध की उत्पत्ति का एक बड़ा कारक है। उन्होंने कहा कि संविधान के मूल अधिकारों तथा मूल कर्तव्य जैसे भागों का उद्देश्य कहीं न कहीं नैतिक तथा प्राकृतिक मूल्यों की रक्षा करना है ये बाते न्यायाधीश वीर नायक सिंह ने आईआईएमटी कॉलेज ऑफ लॉ में अपराध नियंत्रण विषय पर आयोजित विचार गोष्‍ठी में कही। उन्होंने कहा कि कभी कभी नैतिक मूल्यों का हृास पुलिस को भी प्रभावित करता है, जिससे वह अव्यवहारिक पहलुओं को व्यवहारिक बनाने का प्रयास करती है। ऐसे में न्यायालय की भूमिका अहम हो जाती है। सिंह ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में मादक दृव्यों का बढ़ता प्रयोग भी नैतिक मूल्यों के हृास का परिणाम है। आज का छात्र वर्ग नकारात्मक सोच से प्रभावित हुआ है। आगे उन्‍होंने कहा कि कहा कि विधि में रूचि किसी की व्यक्तिगत या पारिवारिक हो सकती है लेकिन छात्रों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह विधि के छात्र होने के साथ साथ देश के नागरिक भी हैं। भारत वह देश है जो वसुधैव कुम्बकम की धारणा में विश्वास करता है।

ग्रेटर नोएडा, आईआईएमटी कॉलेज आफ लॉ में अपराध नियंत्रण विषय पर विचार गोष्‍ठी का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि न्यायाधीश वीर नायक सिंह रहे। कालेज ऑफ लॉ के निदेशक डॉ. पंकज द्विवेदी ने मुख्य अतिथि को तुलसी का पौध सौंपकर उनका स्वागत किया। जिसके उपरांत अधिष्ठाता श्री राकेश जौली ने अपने स्वागत उद्बोधन में यह कहा कि उन्हें वीर नायक सिंह के साथ जब एक पुलिस अधिकारी के रूप में कार्य करने का मौका मिला तो उन्हें उनके साथ जीवन मूल्यों को समझने का मौका मिला।

आईआईएमटी कॉलेज ऑफ लॉ के निदेशक डॉ. पंकज द्विवेदी ने न्यायाधीश वीर नायक सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया। डॉ. द्विवेदी ने सिंह का धन्यवाद ज्ञापित किया कि उन्होंने छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान से अवगत कराया। इस अवसर पर डॉ. धीरेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका रस्तोगी, प्रमोद कुमार शर्मा,प्रशांत मावी, आशू गुप्ता, शैलेष त्रिपाठी,मनीष अत्री, रूपेश मलिक, दीपिका भाटी, कौशिकी राय, अमृत लाल, पंखुडी श्रीवास्‍तव आदि उपस्थित रहे।

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