ISRO के सहयोग से गलगोटियास विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “विक्रम साराभाई अंतरिक्ष प्रदर्शनी” का हुआ शुभारम्भ

यह तीन दिवसीय प्रदर्शनी “अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)” अहमदाबाद द्वारा गलगोटियास विश्वविद्यालय में 1 से 3 अगस्त-2024 तक भारतीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के सहयोग से “विक्रम साराभाई अंतरिक्ष प्रदर्शनी” के नाम से प्रधानमंत्री की पहल के अनुरूप “नेशनल स्पेस डे” के उपलक्ष्य में की जा रही है।

आज उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में स्पेश एप्लीकेशन सैंटर एसएसी /इसरो अहमदाबाद के डायरेक्टर नीलेश एम देसाई ने विद्यार्थियों को ऑन लाइन सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के उत्तरी भाग में एक महान संस्थान स्थापित करने के लिए गलगोटियास विश्वविद्यालय को बहुत-बहुत बधाई।

उन्होंने नासा के बारे में बात की, और कहा कि अब लोग चंद्रयान-3 के बाद इसरो के बारे में जानने लगे हैं। यह हम सबके के बहुत ही गर्व की बात है।

उन्होंने आगे बताया कि स्पेस ऐप सेंटर, एएमडी अभी भी बहुत प्रसिद्ध नहीं है, परन्तु यह इसरो के बाद दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है।

इस केंद्र का क्या काम है: एक बहु-विषयक केंद्र है जो विभिन्न पेलोड और सेंसर के उपकरणों को विकसित करता है, जो उपग्रह का दिल और मस्तिष्क होते हैं और अंतिम उत्पाद भी जो स्पेस ऐप सेंटर, एएमडी में किया जाता है। पूरा अंतरिक्ष कार्यक्रम एएमडी से उत्पन्न हुआ और इसरो उन अनुप्रयोगों से अधिक प्रेरित है जो वे स्पेस ऐप सेंटर में विकसित करते हैं।
उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण एक बात और यक कही कि चंद्रयान और मंगलयान जैसे कार्यक्रम स्पेस ऐप सेंटर की गतिविधियों का केवल 20% हिस्सा हैं। बाकी 80% छात्र और संकाय को शिक्षित और संवेदनशील बनाने में शामिल है जिसके लिए वे इस प्रकार की भव्यतापूर्ण प्रदर्शनियों का आयोजन करते हैं।
अंतरिक्ष गतिविधियाँ दोनों इसरो और स्पेस ऐप सेंटर में की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी की पहल पर 23 अगस्त 2024 को इसरो की विभिन्न उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए भारत मंडपम में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होगा।

अपने सम्बोधन के अन्त में उन्होंने बेंजामिन फ्रैंकलिन को उद्धृत किया, “मुझे बताओ और मैं भूल जाता हूँ। मुझे सिखाओ और मुझे याद रहता है। मुझे शामिल करो और मैं सीखता हूँ।”
यह प्रदर्शनी उसी उद्देश्य के लिए आयोजित की गई है, ताकि आपको, छात्रों को सीखने के लिए शामिल और नामांकित किया जा सके। देसाई का अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में अग्रणी कार्य क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डालता है और असंख्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है।

विक्रम सारा भाई स्पेस एग्जीबिशन के अध्यक्ष सीनीयर सांईटिस्ट परेश सरवैय्या ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी का उद्देश्य स्कूल के विद्यार्थियों को हम साईंस और टैक्नालॉजी के बारे में विस्तार से बतायेंगे। देश की युवा पीढ़ी को इस प्रदर्शनी से क्या लाभ होगा इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज तक जो प्रोजेक्ट हमने बनाये हैं और जो मिशन हमने पूरे किये हैं। आगे आने वाले बच्चे उस कार्यक्रम को और आगे ले जायेंगे। विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि “ काम इतनी ख़ामोशी से करें कि सफलता शोर मचा दे।”।

एसएसी-इसरो की वैज्ञानिक शिवांगी जयसवाल ने कहा कि हम इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी में बच्चों को सिखायेंगे कि इसरो कैसे काम करता है। विद्यार्थियों के सीखने के लिये यह एक बहुत ही सुनहरी मौका है।
गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटियास ने अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हम अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के रोमांचक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, जिसका प्रतिनिधित्व हमारे आदरणीय अतिथियों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों, द्वारा किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे युग में जहाँ अंतरिक्ष अन्वेषण और तकनीकी प्रगति हमारे भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण हो गए हैं, आज का यह कार्यक्रम प्रेरणा और ज्ञान का एक प्रकाशस्तंभ है। यह हमें अज्ञात की खोज और हमारी समझ के क्षितिज को विस्तृत करने के लिए मानव जिज्ञासा की अविनाशी भावना को आगे लाता है।

आज पहले दिन अनेक स्कूलों को सैकड़ों विद्यार्थियों ने इस प्रदर्शनी में हिस्सा लिया। वाटर रॉकेट लॉंचिंग का कार्यक्रम बच्चों के लिये बहुत ही आकर्षक का केन्द्र रहा।
जब आसमान रॉकेट लाँच हुआ तब बच्चों खूब तालियाँ बजायी और आनन्द लिया। बच्चों ने बताया कि प्रदर्शनी को देखने के बाद हमारे मन-मस्तिष्क गहरा प्रभाव पड़ा है। हमारे मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ नया करने भावना जगी है जिससे हम अपने राष्ट्र का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर सकें।

Share