गलगोटियास विश्वविद्यालय में “आर्ट ऑफ़ लिविंग” संस्था के तत्वावधान में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ समापन

गलगोटियास विश्वविद्यालय में “आर्ट ऑफ़ लिविंग” संस्था के तत्वावधान में रविवार को फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन हुआ |

इस चार दिवसीय “आर्ट ऑफ लिविंग” द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में गलगोटियास विश्वविद्यालय के फैकल्टी-मेम्बरों को सुदर्शन क्रिया, अलोम-विलोम और प्रणायाम की तकनीक के बारे में बहुत ही बारीकी से बताया गया। जिनमें श्वसन तकनीकें, ध्यान, योग और दैनिक जीवन के लिए व्यावहारिक ज्ञान के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके साथ ही भारत की महान संस्कृति और योग की महान विधाओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की की गयी।

आज कार्यक्रम के समापन पर जब प्रतिभागियों से “आर्ट ऑफ़ लिविंग” के बारे में बात की गयी तो उन्होंने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि हमने पिछले चार दिनों में जिस प्रकार की अद्भुत अनुभूतियों को महशूस किया है वो अपने आप में बहुत अलौकिक हैं। आगे उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात और कही कि यह भी एक कटु सत्य है कि “आर्ट ऑफ़ लिविंग” में किसी के भी जीवन में साकारात्मक विचारों को लाने की एक अद्भुत शक्ति समाहित है।

इसलिए “आर्ट ऑफ़ लिविंग” एक ऐसी महान संस्था है जो भारतीय संस्कृति की संरक्षक होने के साथ-साथ जन कल्याण करने वाली महान विधाओं की जननी भी है।

गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने इस अवसर पर कहा कि “आर्ट ऑफ लिविंग” हमें जीवन जीने की कला सिखलाती है। आज के इस भाग दौड़ भरे जीवन में जब हम तनाव से गुजर रहे हैं। तब आर्ट ऑफ लिविंग हमें योग व जीवन शैली में परिवर्तन के माध्यम से तनाव से राहत पाने की राह दिखाता हैं। दिन-प्रतिदन के तनाव और खिंचाव के बीच खुश रहकर जीवन का आनंद लेना ही आर्ट ऑफ लिविंग है। यह एक तकनीक है, जिसके माध्यम से तनाव और चिंताओं को दूर कर जीवन में खुशी और आनंद लाने की कला सीखी जाती है। आर्ट ऑफ लिविंग भारतीय संस्कृति की महान विधाओं की एक महा विद्या है।

“आर्ट ऑफ़ लिविंग” की ओर से आये हुए अखिलेश परमाणु जी (सीनियर फैकल्टी), डा० साधना जी, सविता शर्मा जी और राजेश मथुर जी, नीति श्रीवास्तव जी और श्रुति जी ने फैकल्टी डेवलपमेंट के सभी सत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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