राष्ट्रचिंतना की आठवीं मासिक गोष्ठी संपन्न, इजरायल -हमास युद्ध के विषय में हुई व्यापक चर्चा

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (05 नवंबर 2023): रविवार, 5 नवंबर को राष्ट्रचिन्तना की आठवीं मासिक गोष्ठी गेल सोसाइटी सेक्टर पाई -II के क्लब हाउस में “इजरायल-हमास संघर्ष: भारतीय दृष्टिकोण” विषय पर संपन्न हुई। जिसमें मुख्य वक्ता सेवानिवृत्ति कैप्टन शशी भूषण त्यागी, प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत (पूर्व कुलपति, कुमायूं एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग) रहे और गोष्टी का संचालन प्रोफेसर विवेक कुमार, निदेशक, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने किया।

विषय परिचय करवाते हुए प्रोफेसर विवेक कुमार, निदेशक, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने कहा कि 7 अक्टूबर को अप्रत्याशित रूप से कई इस्लामिक देशों के सहयोग से जल थल नभ से इसराइल पर हुए नृशंस हत्याकांड में डेढ़ सौ हत्याएं तथा ढाई सौ बंधकों पर हुए अत्याचार सोचनीय विषय है।

मुख्य वक्ता सेवानिवृत्ति कैप्टन शशी भूषण त्यागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इसराइल पर हमास का आक्रमण आईएसआईएस के जिहादियों पर किए गए निर्मम अत्याचार के समान वीभत्स रूप वाला ही था जिसमें उन्होंने नर पिशाच की तरह आचरण किया। महिलाओं बालको पर अमानवीय अत्याचार किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत, पूर्व कुलपति कुमाऊं व गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कहा की विषय को जानबूझकर यहूदी इस्लामी संघर्ष के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो असत्य है। इजरायल ईसा मसीह के जन्म से भी 100 वर्ष पूर्व से विक्रमादित्य काल में अस्तित्व में था। विक्रमादित्य के ईरान तक के शासन के प्रभाव के कारण इजरायली देशभक्त हुए। इजराइल में नियम है कि जो राष्ट्रभाषा हिब्रू नहीं जानते हैं वह 6 माह में वह भाषा सीख ले अन्यथा देश छोड़कर चले जाएं। इजरायली अपने देश की रक्षा के लिए पूरे विश्व से व्यवसाय घर- बार छोड़कर वापस आ गए और देश की सुरक्षा में तैनात हो गए। आगे प्रोफेसर राजपूत ने कहा कि अपने भारतीय युवाओं को चरित्रवान, ईमानदार और देशभक्त बनाना है तो उन्हे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में भेजना चाहिए।

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा राष्ट्रचिंतना के महासचिव अजेय कुमार गुप्ता ने कहा कि 4000 वर्ष पूर्व पैगंबर इब्राहिम की दूसरी पत्नी के बेटे से यहूदी धर्म की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि जब कोई भी राष्ट्र व्यापारिक व तकनीकी रूप से बढ़ता है तो विरोधियों को तकलीफ होती है तथा वह उसको आतंकवाद से विमुख करने के लिए अग्रसर रहते हैं। आज की गोष्ठी के अंत में सर्वमान्य एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि भारत की सरकार ने हमास के आतंकियों की वीभत्स कृत्यों के खिलाफ और इजरायल के समर्थन में जो कदम उठाए हैं, वे सराहनीय हैं। कई इस्लामी देश ,सांप्रदायिक शक्तियां भारतवर्ष में भी इजरायल हमास संघर्ष को यहूदी इस्लामी संघर्ष के रूप में प्रस्तुत करना चाह रहे हैं। ऐसे सभी प्रयासों को शक्ति से कुचलने की आवश्यकता है।

गोष्ठी में मीडिया प्रभारी डॉ नीरज कौशिक, प्रोफेसर बबलू रावत, संयोजक अशोक राघव, धर्म पाल भाटिया, संजीव शर्मा, विवेक द्विवेदी, प्रकाश सिंह, रविन्द्र पाल, महेंद्र उपाध्याय, डॉ उमेश, आदेश सिंघल, शशांक शेखर, जितेंद्र नागर, योगेश्वर, पवन त्रिपाठी, विनोद अरोरा आदि प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।।

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