शुक्रवार को अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर गलगोटियाज विश्वविद्यालय में शैक्षिक कार्यशाला एवम् शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना और दीप प्रज्जवलन करके किया गया। इस सम्मान समारोह में डा0 रविन्द्र शुक्ला (पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश) मुख्य अतिथि के रूप में पहुँचे। उन्होंने अपने अभिभाषण में शिक्षक दिवस की सभी को बँधायी दी और भारतीय संस्कृति, वैदिक शिक्षा एवं भारतीय साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में मानवीय मुल्यों का संर्वधन होना चाहिए ।
गलगोटियाज विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा० के० मल्लिकार्जुन बाबू ने वहाँ पर उपस्थित सभी सम्मानित शिक्षकों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि शिक्षक उचित मार्गदर्शक और सलाहकार होते हैं। जो कि हमें एक इंसान के रूप में विकसित होने में मदद करते हैं। वे हमें कठिन प्रयास और समर्पण के साथ-साथ जीवन के नैतिक सिद्धांतों का मूल्य भी सिखाते हैं।
विश्वविद्यालय के प्रो0 वाइस चांसलर डा0 अवधेश कुमार कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में भारतीय मूल्यों और शैक्षिक पठन-पाठन पाठ्यक्रम का विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
कुलसचिव, डा0 नितिन कुमार गौड ने आये हुए अतिथियों को गुलदस्ता भेंट करके और शाल उढाकर सम्मानित किया।
और सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से राष्ट्र को एक नयी चेतना मिलती है। इस सफल कार्यक्रम के लिये आप सभी बँधायी के पात्र हैं।
विश्वविद्यालय के चॉसलर सुनील गलगोटिया ने सभी शिक्षकों को बँधायी देते हुए कहा कि सहीं मायनों में “शिक्षक ही राष्ट्र का सच्चा निर्माता है” विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करना शिक्षक के ही हाथों में होता है।
विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को अपने संदेश में कहा कि हमें सदैव अपने गुरूजनों (शिक्षकों) का पूरी निष्ठा और आत्मीयता के साथ सम्मान करना चाहिए। अपने शिक्षकों का सम्मान करने वालों के जीवन में आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है।
विश्वविद्यालय की डायरेक्टर ऑपरेशन सुश्री आराधना गलगोटिया ने कहा कि शिक्षक का स्थान सबसे ऊँचा है। वो हमें विद्या प्रदान करने के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी प्रदान करते हैं।
संचालन करते हुए डा0 राजेश शर्मा ने कहा शिक्षक हम सब के लिये सदैव वन्दनीय हैं। उनका आशीर्वाद और उनकी दुआएँ हमारे जीवन में सदैव एक संबल का काम करती हैं।इसलिए हमें सदैव अपने माता पिता और गुरूजनों सम्मान करना चाहिए। शपथ सम्मान और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।