टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (05 सितंबर 2023): टेन न्यूज की खास पेशकश ‘सच्ची बात- प्रोफेसर विवेक कुमार के साथ’ में ‘इसरो की उड़ाने’ विषय के तहत चंद्रयान-3 की अभूतपूर्व सफलता एवं इसरो की यात्रा और उपलब्धियों पर व्यापक चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हेड प्रोफेसर विवेक कुमार ने किया। वहीं अतिथि पैनल में एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिवानी वर्मा; साइंस कम्युनिकेटर डॉ सुशील द्विवेदी; एवं विज्ञान भवन के राज्य सचिव डॉ प्रशांत कुंजडया मौजूद रहे।
कार्यक्रम के संचालक प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि ” इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन में सफलता हासिल की है, अभी सूर्य मिशन आदित्य L-1 को भेजा गया है और कई सारी योजनाएं हैं इसरो की जिसमें की 2021 में गगनयान भेजने की योजना है अंतरिक्ष में और जल्द ही भारत 2030 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण करने वाला है।”
डॉ. शिवानी वर्मा ने इसरो की यात्रा और चंद्रयान -3 की सफलता को लेकर कहा कि चंद्रयान -3 चंद्रमा के बारे में बहुत कुछ अध्ययन करेंगे। वहां कोई जीवन संभव है या नहीं,किस तरह के रेडिएशन आ रहे हैं। इससे ये पता चलेगा कि हमारे अलावा भी अन्य ग्रहों पर जीवन है। अगर हम वहां पर जाकर हम रहना चाहते हैं तो हमें ये जानना होगा कि वहां का तापमान क्या है? किस तरह का स्ट्रक्चर होगा और इन तमाम जानकारियों के लिहाज से चंद्रयान-3 काफी अहम है।
आदित्य L-1 को लेकर डॉ शिवानी वर्मा ने कहा कि इसरो ने जो आदित्य L-1को लॉन्च किया है यह अभी पांच दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में घूमेगा उसके बाद इसे सूर्य की तरफ L-1 प्वाइंट पर भेजा जाएगा। जब L-1 पर हमारा आदित्य जाएगा तो वो बिना किसी बाधा के सूर्य को देख सकेगा और लगातार देख सकेगा। यह बहुत अहम है हमारे लिए और यहां आदित्य एक ऑरबिट में घूमते रहेगा जिसे हम हेलो ऑरबिट कहते हैं।
वहीं सूर्य मिशन आदित्य L-1 को लेकर डॉ सुशील द्विवेदी ने कहा कि सूर्य इस पूरे इकोसिस्टम को बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इन्हीं चीजों को दृष्टिगत रखते हुए ये मिशन रखा गया है कि सूर्य के भीतर जो हैं, हीलियम, हाइड्रोजन का पता लगा सकें। हीलियम का पृथ्वी पर सीमित भंडार है तो क्या भविष्य में सूर्य हीलियम का एक स्त्रोत बनेगा। जो भी पैराबैगनी किरणें हैं कहीं वो भविष्य में मनुष्य के लिए खतरनाक तो नहीं होगा। इन तमाम चीजों को जानने के लिए यह मिशन लॉन्च किया गया है। हम सभी जानते हैं कि सूर्य में इतना तापमान है कि कुछ भी उसके नजदीक नहीं जा सकता, इसीलिए वैज्ञानिकों ने ये प्लान बनाया है कि जहां पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र का अंतिम बिंदु है वहां भेजा जाए। इस प्वाइंट की विशेषता है कि वहां अगर किसी वस्तु को रख दिए जाएं तो वैज्ञानिक की जो अपेक्षाएं हैं वो पूरा कर पाएंगे।
आगे डॉ द्विवेदी ने आगे कहा कि इसरो की खास बात ही यही है, भारत की इसरो की उड़ाने उनकी विश्वसनीयता अद्भुत है। किसी मिशन में भी इसरो संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करता है।और इसीलिए इसरो ने एक अद्भुत विश्वसनीयता कायम किया है। इसरो की उड़ाने एवं इसका अंतरिक्ष मिशन दुनिया में सबसे अलग हैं। ये केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के कल्याण के लिए समर्पित और कार्यरत है। इसरो की उड़ाने ना केवल भारत की भविष्य को तय कर रहे हैं बल्कि पूरे विश्व के भविष्य को दिशा दे रहे हैं।
डॉ प्रशांत कुंजडिया ने कहा कि अबतक हम जहां तक पहुंचे हैं और जो हमारी उपलब्धि है वह गर्व करने योग्य है। यह यात्रा 50 वर्षों की है लेकिन पिछले एक दशक में जिस गति से हम चल रहे हैं इस गति से चलते रहें तो बहुत जल्दी बहुत कुछ पा लेंगे।
आगे उन्होंने गगनयान को लेकर उन्होंने कहा कि गगनयान में हमलोगों को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है, जो अंतरिक्ष यात्री जाएंगे अंतरिक्ष में वो फिर सकुशल वापस आ जाएं इन सभी पर अध्ययन करना होगा। और जो विकसित देश हैं उसके उलट हम जो ये करना चाहते हैं ये अलग है क्योंकि भारत किसी देश पर साम्राज्य स्थापित नहीं करना चाहते हैं बल्कि हम मानवता के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। चाहे वो चंद्रयान -3 हो, आदित्य L-1 हो या फिर गगन यान हो इन सभी का उद्देश्य है कि इन सब के विषय में हम जानें और मानव कल्याण के लिए इसका प्रयोग करें।
वहीं आगे डॉ प्रशांत ने हनुमान चालीसा के एक चौपाई को कोट करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि हमारे जो महर्षि थे वो वैज्ञानिक थे, हमारे जो ऋषि मुनि थे उन्होंने जो विज्ञान का वर्णन किया उसे धर्म से जोड़कर किया ताकि आम जन भी इसे समझ सके।
बता दें टेन न्यूज के इस खास कार्यक्रम में इसरो की उड़ाने, यात्रा, उपलब्धि एवं मिशन पर व्यापक एवं बौद्धिक चर्चा हुई।।