GI Fair India के दूसरे संस्करण में पूरे भारत से शिल्प, खाद्य पदार्थ, घरेलू सजावट, जीवनशैली खरीदने का अनूठा अवसर

ग्रेटर नोएडा/ दिल्ली एनसीआर – 18 जुलाई 2023 – वैश्विक स्तर पर, जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जिनमें ऐसे विशिष्ट गुण होते हैं या ऐसी परंपराओं से जुड़े होते हैं जो उनके मूल स्थान की पहचान होते हैं। भारत को ऐसी कई दुर्लभ कलाकृतियों और हस्तशिल्प की मौजूदगी का सौभाग्य प्राप्त है, जिनमें से 440 से अधिक प्रोडक्ट्स जीआई टैग के लिए पंजीकृत हैं। जीआई फेयर इंडिया ऐसी ही सूची से अधिकृत उत्पादकों के समूह को एक साथ लाता है।

जीआई फेयर में ऐसे ही प्रदर्शकों की सबसे व्यापक प्रदर्शनी को देखने, अनुभव करने और खरीदने की उम्मीद करें जिन्हें एक ही छत के नीचे एक साथ लाया गया है । प्रदर्शनी में अनूठी सामग्री , खाद्य पदार्थ , नेचर और वेलनेस, हस्तशिल्प और हथकरघा, घर और संग्रहणीय, एवं पारंपरिक वस्त्र और सहायक उपकरण में अद्वितीय और प्रामाणिक उत्पाद देखने का मौका मिलेगा।

जी आई फेयर इंडिया 2023 का आयोजन ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे स्थित विश्व स्तरीय एक्सपो सुविधा वाले इंडिया एक्सपो सेंटर में 20 से 24 जुलाई 2023 तक किया जाएगा। इसका आयोजन हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा किया जा रहा है, जिसे वाणिज्य और उद्योग, कपड़ा मंत्रालय; सीआईपीएएम सेल – आईपीआर संवर्धन और प्रबंधन और भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री विभाग, पीडीटीएम के महानियंत्रक द्वारा समर्थन प्राप्त है। भारत के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शकों के अलावा इसमें भाग लेने वाले संगठनों में टी बोर्ड ऑफ इंडिया; स्पाइसेस बोर्ड ऑफ इंडिया; कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण; जम्मू एवं कश्मीर व्यापार संवर्धन संगठन (जेकेटीपीओ); उत्तराखंड सरकार के हथकरघा और हस्तशिल्प विकास परिषद (यूएचएचडीसी); उत्तराखंड जैविक वस्तु बोर्ड; गोवा सरकार के गोवा राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद समेत कई अन्य शामिल हैं।

मेले की अवधारणा को साझा करते हुए, ईपीसीएच के अध्यक्ष, दिलीप बैद ने कहा, “यह आयोजन अपने आप में एक अनुभव है, जिसमें मुजफ्फरनगर के गुड़ ; संभल के हॉर्न क्राफ्ट; मैनपुरी की तारकशी; असम की चाय, गमोसा और मुगा के रेशम; मणिपुर से पारंपरिक मोइरांग फी (वस्त्र) से लेकर जामनगरी बांधनी, कच्छ शॉल और गुजरात से सूरत का ज़री शिल्प; कर्नाटक से बिड्रीवेयर और इलकल साड़ियों से लेकर बोमकाई साड़ियां; ओडिशा के पट्टचित्रा और कोणार्क का पत्थर शिल्प; ब्लू पॉटरी, सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग और राजस्थान की बीकानेरी भुजिया; उत्तर प्रदेश से गुलाबी मीनाकारी, बनारस ब्रोकेड और लखनऊ की चिकन शिल्प से लेकर तेजपत्ते तक, उत्तराखंड से ऐपण कला और मुनस्यारी राजमा, हिमाचल प्रदेश से कांगड़ा चाय, चंबा रुमाल और कुल्लू शॉल से लेकर अल्लेपी हरी इलायची, वैदिक युग दर्पण और केरल से नवारा चावल समेत कई अन्य चीजें को प्रदर्शित करने के लिए एक साझा मंच प्रदान किया जाता है। यहां दर्शाई गई प्रत्येक वस्तु दुर्लभ और अनोखी है और देखने वालों के लिए ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं।

इस अवसर पर ईपीसीएच के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा कि मेले में प्रदर्शक अपने उत्पादों, शिल्प और हस्त कौशल की पृष्ठभूमि और उनसे जुड़ी कहानियाँ साझा करेंगे। इंडिया जीआई मेले का लक्ष्य इन अमूल्य देशी उत्पादों, जिन्हें लीगल लोकल भी कहा जाता है, को भारत के साथ-साथ वैश्विक बाजार के पारखी लोगों और ग्राहकों से जोड़ना है।”

आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि “वैश्विक स्तर पर, जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जिनमें मूल स्थान से जुड़े विशिष्ट गुण और परंपराएं होती हैं। संस्कृति, विरासत और प्राकृतिक विविधता के कारण, भारत का प्रत्येक क्षेत्र ऐसी कई दुर्लभताओं को समेटे हुए है, जिनमें से कुछ अभी भी सामान्य आबादी के लिए अज्ञात हैं। जीआई फेयर इंडिया में, यह एक कार्निवल जैसा मौका है जिसका आनंद लेने के साथ-साथ इतनी विविधता का अनुभव किया जा सकता है और जो पसंद हो उसे खरीदा जा सकता है।’

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि ” जीआई फेयर व्यापार का एक अनूठा केंद्र है। यह अद्वितीय उत्पादों के साथ-साथ शिल्प के साथ किसी के क्षितिज को व्यापक बनाने का स्थान है। यहां कोई भी भारत के सबसे बेहतरीन खजानों, परंपराओं और दुर्लभ वस्तुओं को देखने के साथ प्राप्त कर सकता है। इन्हें विश्व भर के बाज़ारों में ले जाने की महत्वाकांक्षा के साथ तैयार किया गया है। यह शो खरीदारों को भी अपनी पसंद की वस्तुएं खरीदने का अवसर प्रदान करता है।’ मेले में जीआई क्लस्टर और हब को उजागर करने वाले विशेश थीम क्षेत्र बनाए गए हैं, जहां जीआई उत्पादों का लाइव प्रदर्शन, निर्यात व्यवसाय के परिचय पर ज्ञान संगोष्ठी, निर्यात लक्ष्य बाजारों के लिए पैकेजिंग सुविधा को अनलॉक करना, पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग हस्तशिल्प एक प्रभावी उपकरण जैसे विषय पर पर समृद्ध पैनल चर्चा भी शामिल होगी। आगंतुकों के लिए मौके पर ही प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, पुरस्कार समारोह आदि भी किया जाएगा।

पूरे भारत के विविध सांस्कृतिक प्रतीकों और प्रसिद्ध परंपराओं का अनुभव करने के इस अनूठे अवसर के लिए यहां आने की योजना बनाएं। कोई भी व्यक्ति www.gifairindia.in पर पहले से पंजीकरण करा सकता है। ऐसी कोई भी वस्तु जिसे जीआई टैग प्राप्त है और वह प्रामाणिक है तो वो जीआई फेयर इंडिया 2023 में मौजूद होगी! मेला सभी 5 दिन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहेगा। इसमें प्रवेश निःशुल्क है।

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर.के. वर्मा ने बताया कि हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद, देश भर से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में सहायक उत्पादों को उपलब्ध कराने और घर, लाइफस्टाइल, कपड़ा, फर्नीचर और फैशन आभूषण के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादूई उत्पादों की ब्रांड इमेज बनाने के लिए एक नोडल संस्थान है।

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